Venus Orbiter Mission – चंद्रमा पर भी मानव मिशन की तैयारी में सरकार
Venus Orbiter Mission: केंद्रीय कैबिनेट के फैसलों पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, चंद्रयान-4 मिशन का विस्तार किया गया है और इसका अगला कदम चंद्रमा पर मानव मिशन भेजना है। इस दिशा में सभी प्रारंभिक चरणों को मंजूरी दे दी गई है। इसके साथ ही वीनस ऑर्बिटर मिशन, गगनयान फॉलो-ऑन और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और अगली पीढ़ी के लॉन्च व्हीकल विकास को भी मंजूरी दी गई है। उन्होंने बताया कि कैबिनेट ने चंद्रयान-4 मिशन को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत चंद्रमा की चट्टानों और मिट्टी को पृथ्वी पर लाया जाएगा।
वहीं केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्र ग्रह पर वैज्ञानिक अन्वेषण और शुक्र ग्रह के वायुमंडल, भूविज्ञान को बेहतर ढंग से समझने और इसके घने वायुमंडल की जांच कर बड़ी मात्रा में वैज्ञानिक आंकड़े जुटाने के लिए शुक्र ग्रह परिक्रमा मिशन (वीओएम) को भी मंजूरी दे दी है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि कैबिनेट ने भारी-भरकम अगली पीढ़ी के प्रक्षेपण यान को पृथ्वी की निचली कक्षा में 30 टन का पेलोड स्थापित करने की मंजूरी दी है।

धरती से 100 गुना ज्यादा है वायुमंडलीय दबाव
शुक्र ग्रह पर वायुमंडलीय दबाव धरती से 100 गुना ज्यादा है। एसिड और जहरीले बादलों से घिरे शुक्र ग्रह पर अध्ययन से धरती के भविष्य को सुधारने में मदद मिलेगी। शुक्र मिशन के लिए पेलोड पहले ही विकसित किए जा चुके हैं, जो भारत के अंतरिक्ष अन्वेषण प्रयासों में मील का पत्थर है। मिशन को अनौपचारिक रूप से शुक्रयान नाम दिया गया है। शुक्र मिशन का फोकस ग्रह की सतह और वातावरण का अध्ययन करना है, जो बेहद मोटी है और एसिड से भरी हुई है।
शुक्र पर वायुमंडलीय दबाव पृथ्वी से लगभग 100 गुना अधिक है, जो इसे अन्वेषण के लिए एक चुनौतीपूर्ण वातावरण बनाता है। यह एक बहुत ही दिलचस्प ग्रह है। इसका एक वातावरण भी है। इसका वातावरण इतना घना है कि आप इसकी सतह में प्रवेश नहीं कर सकते। आप नहीं जानते कि इसकी सतह कठोर है या नहीं। वीनस ऑर्बिटर मिशन 2030 के दशक में नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) द्वारा नियोजित शुक्र के लिए अन्य अंतरराष्ट्रीय मिशनों के नक्शे कदम पर चलेगा। इन मिशनों का उद्देश्य वायुमंडलीय अवतरण पर डेटा इकट्ठा करना और ग्रह की कक्षीय टिप्पणियों का संचालन करना है।
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अंतरिक्ष में भारत की एक और छलांग
इसरो का शुक्र मिशन अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की बढ़ती प्रमुखता का प्रतीक है। इस मिशन के साथ, भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है, जो हमारे सौर मंडल के बारे में वैज्ञानिक ज्ञान और समझ को आगे बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए अंतरग्रहीय मिशन पर निकले हैं। इससे पहले भारत ने मंगल ग्रह के लिए एक अंतरग्रहीय मिशन लॉन्च किया है। मंगलयान मिशन सफल साबित हुआ क्योंकि इसने लाल ग्रह की परिक्रमा की और तस्वीरें और विज्ञान डेटा भेजा था।
( शुक्र ग्रह की खास विशेषताएं )
– 464 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है तापमान, यहां भयानक मात्रा में ग्रीनहाउस गैसें निकलती हैं
– 50 किलोमीटर तक रहती है शुक्र ग्रह पर एसिडिक बादलों की ऊंचाई
– 583.92 दिन में लगाता है यह सूरज के चारों तरफ एक चक्कर
– 01 साल शुक्र का, पृथ्वी के साल से डेढ़ गुना ज्यादा है
( शुक्र मिशन पर एक नजर )
– 1961 में भेजा गया था शुक्र पर सबसे पहला स्पेस मिशन सोवियत संघ ने वेनेरा-1 स्पेसक्राफ्ट भेजा था। लेकिन रास्ते में ही इससे संपर्क टूट गया था
– 1962 में अमेरिका का मरीनर 2 मिशन शुक्र पर सफलतापूर्वक पहुंचा।
– 4 साल की होगी भारत के शुक्रयान मिशन की लाइफ यानी इतने समय तक के लिए स्पेसक्राफ्ट बनाया जाएगा
– 2500 किलोग्राम होगा शुक्रयान का वजन
– 100 किलोग्राम के पेलोड्स लगे होंगे शुक्रयान में
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