Waqf Amendment Bill News – भाजपा बोली – चीन-पाक का हाथ होने की आशंका
Waqf Amendment Bill News: भाजपा के सांसद निशिकांत दुबे ने वक्फ (संशोधन) विधेयक पर विचार कर रही संसदीय समिति को मिले करीब 1।25 करोड़ प्रतिवेदनों को लेकर चिंता जताते हुए कहा है कि इनके स्रोत की जांच होनी चाहिए। उन्होंने आशंका जताई है कि इतनी अधिक संख्या में आवेदन मिलने के पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और चीन की भूमिका हो सकती है। दुबे ने समिति के अध्यक्ष जगदम्बिका पाल को लिखे एक पत्र में कहा कि इस जांच के दायरे में कट्टरपंथी संगठनों, जाकिर नाइक जैसे व्यक्तियों और पाकिस्तान की आईएसआई व चीन जैसी विदेशी शक्तियों के साथ ही उनके छद्म प्रतिनिधियों की संभावित भूमिका भी शामिल होनी चाहिए। दुबे का कहना है कि इस पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है कि ये प्रतिवेदन कहां-कहां से आए हैं। उन्होंने दावा किया कि इतने ज्यादा प्रतिवेदनों का अकेले भारत से ही आना सांख्यिकीय रूप से असंभव है। दुबे ने कहा कि मेरे विचार से यह महत्वपूर्ण है कि समिति इन चिंताओं पर ध्यान दे ताकि हमारी विधायी प्रक्रिया की अखंडता और स्वतंत्रता सुनिश्चित की जा सके।

लोकतांत्रिक प्रक्रिया में हेरफेर कर रही विदेशी संस्थाएं
दुबे ने पाल को लिखे अपने पत्र में कहा कि यह पूछना जरूरी है कि क्या विदेशी संस्थाएं, संगठन और व्यक्ति जानबूझकर ‘लोकतांत्रिक प्रक्रिया में हेरफेर करने’ के लिए ऐसा कर रही हैं। उनका कहना है कि भारत में एक मजबूत संसदीय प्रणाली है और समन्वित विदेशी हस्तक्षेप के माध्यम से इसे प्रभावित करने का कोई भी प्रयास राष्ट्रीय संप्रभुता के लिए सीधा खतरा है। उन्होंने कहा कि इन प्रतिवेदनों के बड़े हिस्से की सामग्री समान है या इसमें मामूली बदलाव हैं, जो संकेत देता है कि इनमें से कई संचार एक संगठित अभियान का हिस्सा हो सकते हैं। इस विवादास्पद विधेयक पर विचार कर रही समिति ने विज्ञापन जारी कर इसके प्रावधानों पर लोगों की प्रतिक्रिया मांगी थी। अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने हाल ही में कहा था कि किसी ने कभी नहीं सोचा था कि समिति को करोड़ों की संख्या में सिफारिशें मिलेंगी। उन्होंने कहा था कि अगर 1,000 सिफारिशें या प्रतिवेदन भी दिए गए थे, तो इसे एक बड़ी संख्या माना जाता था।
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इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन की भूमिका
दुबे ने कहा,‘पहले से तय सुझावों या मांगों के साथ विधायी प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए इस रणनीति का उपयोग करना, बड़े पैमाने पर सार्वजनिक समर्थन का भ्रम पैदा करना विशेष हित समूहों के लिए असामान्य नहीं है।’उन्होंने कहा कि यह लोगों की वास्तविक प्रतिक्रिया को कमजोर करने का प्रयास है। इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन की भूमिका की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि ये समूह अक्सर बाहरी शक्तियों से वित्त पोषित या प्रभावित होते हैं, जो भारत को धार्मिक आधार पर विभाजित करना, इसके लोकतंत्र को अस्थिर करना और हमारी विधायी प्रक्रियाओं को बाधित करना चाहते हैं।
इस बात पर संदेह करने का कारण है कि ये तत्व विवाद पैदा करने और जनता की राय का ध्रुवीकरण करने के लिए वक्फ विधेयक पर विचार-विमर्श का लाभ उठा रहे हैं। ये प्रयास सीमित नहीं हैं, बल्कि हमारे देश में संवेदनशील मुद्दों में हेरफेर करने के लिए कट्टरपंथी समूहों की व्यापक रणनीति का हिस्सा हैं। कट्टरपंथी इस्लामवादी उपदेशक जाकिर नाईक के प्रभाव को कम करके नहीं आंका जा सकता। ऐसी विश्वसनीय चिंताएं हैं कि नाईक और उसका नेटवर्क वक्फ विधेयक को लेकर आए प्रतिवेदनों के बाढ़ के पीछे हो सकते हैं।

गृह मंत्रालय से गहन जांच की मांग
दुबे ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई, चीन और जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश और तालिबान जैसे कट्टरपंथी संगठनों जैसी विदेशी शक्तियों का भी उल्लेख किया और कहा कि उनकी लंबे समय से भारत को अस्थिर करने और इसके लोकतंत्र को कमजोर करने में रुचि रही है। उनके मुताबिक बाहरी ताकतों द्वारा विधायी प्रक्रिया में हेरफेर करने का कोई भी प्रयास संसदीय प्रणाली की नींव पर हमला होगा। उन्होंने पाल से गृह मंत्रालय को गहन जांच करने की अनुमति देने का आग्रह करते हुए कहा कि पूर्ण पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए जांच निष्कर्ष को समिति के सभी सदस्यों तक प्रसारित किया जाना चाहिए। यह जांच वक्फ विधेयक पर विचार-विमर्श की निष्पक्षता और स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।
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