RG Kar Medical College – हिला चिकित्सक दुष्कर्म-हत्या मामले से सुको का निर्देश
RG Kar Medical College: उच्चतम न्यायालय ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक महिला चिकित्सक के साथ दुष्कर्म और उसकी हत्या से संबंधित स्वत: संज्ञान मामले की मंगलवार को सुनवाई शुरू की। भारत के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला तथा न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। सीबीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शुरुआत में पीठ को सूचित किया कि मामले में ‘अत्यंत गंभीरता’ के साथ जांच जारी है। न्यायालय ने सुनवाई के दौरान मामले की जांच में अब तक हुई प्रगति पर सीबीआई की स्थिति रिपोर्ट देखी। इसने कहा कि सीबीआई रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि कोलकाता दुष्कर्म और हत्या मामले में अन्य लोगों की भूमिका की जांच जारी है। न्यायालय ने सीबीआई को मामले की जांच पर तीन सप्ताह के भीतर आगे की वस्तु-स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।

‘धीमी’ प्रगति पर असंतोष
शीर्ष अदालत ने 30 सितंबर को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को राष्ट्रीय कार्यबल (एनटीएफ) की प्रगति पर एक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया और मामले में सुनवाई 14 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी थी। इसके पहले शीर्ष अदालत ने 30 सितंबर को बंगाल सरकार द्वारा सीसीटीवी लगाए जाने और सरकारी मेडिकल कॉलेजों में शौचालयों तथा अलग विश्राम कक्षों के निर्माण में ‘धीमी’ प्रगति पर असंतोष व्यक्त किया था और राज्य सरकार को इस काम को 15 अक्टूबर तक पूरा करने का निर्देश दिया था। शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह मामले में सीबीआई द्वारा दाखिल वस्तु स्थिति रिपोर्ट में दिए गए निष्कर्षों से परेशान है, लेकिन विवरण देने से इनकार करते हुए कहा कि किसी भी खुलासे से जांच खतरे में पड़ सकती है।
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‘चालान’ पर चिंता जताई थी
शीर्ष अदालत ने उसके समक्ष पेश रिकॉर्ड से ‘चालान’ की गैरमौजूदगी पर चिंता व्यक्त की थी और बंगाल सरकार से रिपोर्ट मांगी थी। यह ‘चालान’ प्रशिक्षु चिकित्सक के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजने वाला एक महत्वपूर्ण दस्तावेज था। शीर्ष अदालत ने शिकार महिला डॉक्टर की अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज करने में देरी पर कोलकाता पुलिस को फटकार लगाते हुए इसे ‘बेहद परेशान’ करने वाला कहा था, और आगे के घटनाक्रम तथा प्रक्रियात्मक औपचारिकताओं के समय पर सवाल उठाए थे। शीर्ष अदालत ने डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक प्रोटोकॉल तैयार करने को लेकर 10 सदस्यीय राष्ट्रीय कार्यबल का गठन किया था।

बंगाल सरकार को फटकारा था
शीर्ष अदालत ने इस घटना को ‘भयावह’ करार देते हुए प्राथमिकी दर्ज करने में देरी और अस्पताल में हजारों लोगों द्वारा तोड़फोड़ के मुद्दे पर राज्य सरकार को फटकार लगाई थी। सरकारी अस्पताल के सेमिनार हॉल में जूनियर डॉक्टर से दुष्कर्म और हत्या के बाद देश भर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था। गंभीर चोट के निशान के साथ महिला डॉक्टर का शव नौ अगस्त को मिला था। अगले दिन मामले में कोलकाता पुलिस ने एक नागरिक स्वयंसेवक को गिरफ्तार किया था। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 13 अगस्त को जांच को कोलकाता पुलिस से सीबीआई को स्थानांतरित करने का आदेश दिया, जिसने 14 अगस्त को अपनी जांच शुरू की।
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