Qimat Rai Gupta: Anil Gupta – कीमत राय गुप्ता ने अपनाई स्मार्ट बिजनेस स्ट्रेटजी
Qimat Rai Gupta – Anil Gupta कीमत राय गुप्ता नाम के शख्स ने हैवेल्स इंडिया लिमिटेड की शुरुआत की थी, 1958 में 21 साल के कीमत राय दिल्ली घूमने आए तो अपने चाचा के घर रुके। उनके चाचा की भागीरथ पैलेस मार्केट में इलेक्ट्रिकल आइटम्स की दुकान थी। कीमत भी चाचा के साथ दुकान पर हाथ बंटाने लगे।
एक बार किसी जरूरी काम से उनके चाचा शहर से बाहर गए। तब कीमत ने अकेले ही दुकान संभाली। उनकी मार्केटिंग स्किल्स के चलते ब्रिकी कई गुना बढ़ गई। चाचा ने वापस आकर जब देखा तो उन्होंने कीमत को अपना पार्टनर बनाने का ऑफर दे दिया। इस ऑफर पर कीमत राय राजी हो गए। उस वक्त केवल 10 हजार रुपए की लागत में गुप्ता जी एंड कंपनी की शुरुआत हुई। चाचा- भतीजे का बिजनेस इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरर से माल खरीदकर रिटेलर को बेचना यानी मिडिल मैन का था।

समय और पैसा दोनों बचा
बिजनेस अच्छा तो चल रहा था लेकिन कीमत राय को डर था कि रिटेलर सीधे मैन्युफैक्चरर के पास न चला जाए। कीमत राय, हवेली राम गांधी की कंपनी हैवेल्स के डिस्ट्रीब्यूटर थे। 1971 में कीमत राय को पता चला कि हवेली राम आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं और कंपनी बेचना चाहते है। उन्होंने तुरंत कंपनी खरीदने का मन बना लिया, लेकिन इतनी बड़ी कंपनी खरीदने के लिए काफी ज्यादा पैसों की जरूरत थी।
इसलिए उन्होंने 7 लाख रुपए में केवल कंपनी का सिर्फ नाम खरीदा। कीमत राय का ये कदम शुरुआत में लोगों को बेवकूफी लगा। लेकिन ये उनका एक स्मार्ट बिजनेस स्ट्रेटजी थी। हैवेल्स भले ही तब घाटे में जा रही थी, लेकिन मार्केट में एक फेमस ब्रांड था। इससे कीमत राय को अपनी कंपनी खड़ी करने में लगने वाला समय और पैसा दोनों बचा।

मार्केट में पकड़ बनाने पर फोकस
कीमत राय ने शुरुआत में मैन्युफैक्चरिंग की लागत बचाने के साथ मार्केट में पकड़ बनाने पर फोकस किया। उन्होंने पहले बाहर से प्रोडक्ट्स खरीदकर उसपर हैवल्स का टैग लगाकर बेचा। बाद में मुनाफा आने पर दिल्ली के कीर्ति नगर में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट शुरू किया। फिर 1979 में बादली और 1980 तिलक नगर में एनर्जी मीटर प्लांट शुरू किए गए।
1991 में कई विदेशी कंपनियां भारत आईं। खास तौर से चीनी कंपनियां सस्ते दामों में प्रोडक्ट्स को बेचने लगीं। इससे मार्केट में हैवेल्स को ज्यादा कॉम्पिटिशन मिलने लगा। ऐसे में कंपनी ने प्रोडक्ट का दाम घटाने की बजाय क्वालिटी पर फोकस किया। उदाहरण के लिए जिस वक्त दूसरी कंपनियों के 10 रुपए के स्विच साल भर में ही खराब हो जाते थे, हैवेल्स के 10 से 12 रुपये वाले स्विच 5-5 साल चलते थे। जब चीन ने अपने प्रोडक्ट्स के जरिए विश्व मार्केट में तेजी से जगह बनानी शुरू की तो हैवेल्स पर भी इसका असर हुआ।
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1998 में रिसर्च एंड डेवलपमेंट विंग शुरू की
अब हैवेल्स को विदेशों से नई टेक्नोलॉजी नहीं मिल रही थी, इसलिए 1998 में हैवेल्स ने रिसर्च एंड डेवलपमेंट विंग शुरू की। इस विंग का काम कम पैसे में ज्यादा सुविधा वाले और सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक आइटम बनाना है। इस विंग के आने के बाद कंपनी ने किफायती दाम वाले कई ऑटोमेटिक प्रोडक्ट मार्केट में उतारे। साल 1992 तक हैवेल्स की मार्केट वैल्यू 25 करोड़ हो गई थी । इसके बाद 1993 में हैवेल्स ने शेयर मार्केट में कदम रखा। साल 2001 में हैवेल्स ने अपना IPO लॉन्च किया था।

छोटे बेटे अनिल गुप्ता ने जॉइन की कंपनी
1992 में कीमत राय गुप्ता के छोटे बेटे अनिल गुप्ता ने बतौर नॉन एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर (NED) हैवेल्स को जॉइन किया। उन्होंने मार्केटिंग रणनीति, इनोवेशन, तकनीक एरिया में काम किया और कंपनी को वैश्विक ब्रांड बनाने में बड़ी भूमिका निभाई। पर्सनल और बिजनेस लाइफ में मैंने तीन चीजों पर जोर दिया है। अनिल राय ने कहा कि ट्रांसपेरेंसी, ऑनेस्टी और एथिक्स। जिस बिजनेस का फाउंडेशन इन चीजों पर होता है, वो बिजनेस लॉन्ग टर्म सस्टेन करते हैं। मेरे पिता कहते थे कि हैवेल्स एक परिवार की कंपनी नहीं है। यह अपने आप में एक इंस्टीट्यूशन है। इसकी अपनी एक कोर वैल्यू है।

एडवरटाइजमेंट कैंपेन पर फोकस
साल 2004-05 में सेल बढ़ाने के लिए हैवेल्स ने एक मार्केट रिसर्च की। पता चला कि कंपनी के प्रोडक्ट वर्ल्ड क्लास हैं, लेकिन कस्टमर्स लोअर क्वालिटी के प्रोडक्ट खरीद रहे हैं। वे काफी हद तक रिटेलर्स और इलेक्ट्रिशियन से प्रभावित थे। इसलिए एडवरटाइजमेंट कैंपेन पर फोकस करना शुरू किया गया। इस दौरान “हवा बदलेगी”, स्विच टू हैवल्स, ज़िंदगी की शेयरिंग जैसे कई हैशटैग्स और टैग लाइन चलाए गए, जो लोगों के जुबान पर बस गए। साल 2012 में बॉलीवुड स्टार राजेश खन्ना ने अपना पहला टीवी एड हैवेल्स के लिए ही किया था।
इसके अलावा अमिताभ बच्चन, रणवीर सिंह, दीपिका पादुकोण, विक्की कौशल, सौरभ गांगुली, विजय सेतुपति, आलिया भट्ट भी हैवेल्स के एड में नजर आ चुके हैं। फिलहाल जान्हवी कपूर हैवेल्स स्टूडियो की ब्रांड एंबेसडर हैं। मार्केट में नए प्रोडक्ट की लॉन्चिंग के लिए हैवल्स ने समय-समय पर उनके फेमस ब्रांड को खरीदा था। जैसे – इलेक्ट्रिक मीटर्स के सेक्टर में आने के लिए टॉवर्स एंड ट्रांसफॉर्मर लिमिटेड को खरीदा।
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अमेरिकी कंपनी लॉयड खरीदा
एसी और रेफ्रिजरेटर प्रोडक्ट मार्केट बनाने के लिए अमेरिकी कंपनी लॉयड को खरीदा। स्विच सेगमेंट के लिए क्रैब ट्री को खरीद लिया। साल 2007 में आई वैश्विक आर्थिक मंदी से यूरोप भी जूझ रहा था। तब जर्मनी की लाइटिंग सिस्टम कंपनी सिल्वेनिया घाटे में चल गयी। तब कीमत राय और उनके बेटे अनिल राय गुप्ता ने इस कंपनी को खरीदने का फैसला किया। सिल्वेनिया, हैवेल्स से डेढ़ गुना बड़ी कंपनी थी। इस वजह से ये डील काफी महंगी पड़ी।
हैवल्स ने सिल्वेनिया को 300 मिलियन डॉलर यानी लगभग 2,520 करोड़ रुपये में खरीदा। डील से एक रात पहले अनिल राय सो भी नहीं पाए थे। क्योंकि ये फैसला हैवेल्स के डुबा सकता था। अनिल राय ने बताया कि मैं डील होने से एक रात पहले सो नहीं पाया। अगली सुबह मैंने पिता को फोन किया। मैंने उन्हें बताया कि हमने 13 मिलियन से ज्यादा चुकाए हैं। उन्होंने कहा कि बड़ी तस्वीर में यह आंकड़ा कुछ नहीं है।

100 साल पुराने डिस्ट्रिब्यूटर्स नेटवर्क पर दांव लगाया
कीमत राय ने सिल्वेनिया के 50 देशों में फैले 100 साल पुराने डिस्ट्रिब्यूटर्स नेटवर्क पर दांव लगाया था। इसलिए डील के एक साल के बाद ही सिल्वेनिया फास्टेस्ट ग्रोइंग कंपनी बन गई। जिसकी वजह से हैवेल्स की विदेशी मार्केट में अच्छी पकड़ भी बन गई। कीमत राय गुप्ता की शादी विनोद से हुई थी। फोर्ब्स मैग्जीन ने 2024 में विनोद राय गुप्ता को 41660 करोड़ की नेटवर्थ के साथ भारत की तीसरी सबसे अमीर महिला बताया है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक इनके दो बेटे और एक बेटी हैं। 7 नवंबर 2014 को 77 साल की उम्र में हार्ट- अटेक से कीमत राय गुप्ता का निधन हो गया, जिसके बाद अनिल राय गुप्ता हैवेल्स के चेयरमैन बने। अनिल राय गुप्ता पत्नी संगीता और दो बच्चे अभिनव और आराधना के साथ दिल्ली में रहते हैं। अनिल, अशोक यूनिवर्सिटी, प्राइवेट लिबरल आर्ट्स कॉलेज हरियाणा कोफाउंडर भी हैं। उन्होंने 2016 में अपने पिता कीमत राय गुप्ता पर जीवनी हैवेल्स: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ़ कीमत राय गुप्ता लिखी है।

18 हजार करोड़ हो गया है रेवेन्यू
अनिल का जन्म 20 अप्रैल 1969 को दिल्ली में हुआ था। उन्होंने दिल्ली के राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से अर्थशास्त्र में बैचलर और वेक फॉरेस्ट यूनिवर्सिटी नॉर्थ कैरोलिना से एमबीए किया है। 2022 में उन्हें बिजनेस टुडे बेस्ट सीईओ अवॉर्ड भी मिला था। हैवेल्स फास्ट मूविंग इलेक्ट्रिकल गुड्स (FMEG) कंपनी है। स्मार्ट स्विच, गीजर और ऑटोमेटिक एयर प्यूरीफायर जैसे इनोवेशन के कारण स्मार्ट होम कैटेगरी के 20% भारतीय मार्केट पर हैवेल्स इंडिया लिमिटेड का कब्जा है। ये कंपनी 50 से ज्यादा देशों में फैली है।
स्मार्ट होम प्रोडक्ट्स की कैटेगरी में हैवेल्स दुनिया का दूसरा सबसे पसंदीदा ब्रांड है। 1.04 लाख करोड़ रुपए की हैवेल्स कंपनी की शुरूआत दिल्ली की एक छोटी सी गली से हुई थी। पिछले पांच साल में हैवेल्स का रेवेन्यू 9 हजार करोड़ से बढ़कर 18 हजार करोड़ हो गया है। 19 नवंबर 2024 को हैवेल्स ने राजस्थान के घिलोठ में रेफ्रिजरेटर प्लांट लगाने का ऐलान किया है। इससे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। प्लांट की शुरुआत 2027 तक हो सकती है। इसके लिए 480 करोड़ का निवेश भी किया गया है।
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