Foreign Portfolio Investment : निफ्टी ने दिया सालाना आधार पर 4 प्रतिशत का नकारात्मक रिटर्न
Foreign Portfolio Investment – विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) ने इस महीने अब तक भारतीय शेयर बाजार से 23,710 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की है। इस तरह 2025 में अबतक एफपीआई भारतीय शेयरों से एक लाख करोड़ रुपये से अधिक निकाल चुके हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक भारत में एफपीआई निवेश का पुनरुद्धार तब होगा, जब आर्थिक वृद्धि और कंपनियों की आय में सुधार होगा। इसके संकेत दो से तीन माह में मिलने की उम्मीद है। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने जनवरी में भी 78,027 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे। इस तरह 2025 में अबतक एफपीआई 1,01,737 करोड़ रुपये की बिकवाली कर चुके हैं। इतनी जबर्दस्त बिकवाली के चलते निफ्टी ने सालाना आधार पर इस दौरान चार प्रतिशत का नकारात्मक रिटर्न दिया है।

डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कई देशों पर जवाबी शुल्क के साथ-साथ इस्पात और एल्युमीनियम के आयात पर नए शुल्क लगाने पर विचार करने की रिपोर्ट के बाद बाजार की चिंताएं बढ़ गई हैं। इन घटनाक्रमों ने संभावित वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंकाओं को फिर से जगा दिया है, जिसने एफपीआई को भारत सहित उभरते बाजारों में अपने जोखिम का पुनर्मूल्यांकन करने के लिए प्रेरित किया है। घरेलू मोर्चे पर कंपनियों के उम्मीद से कमजोर तिमाही नतीजों तथा डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट ने भी भारतीय परिसंपत्तियों की अपील को और कम कर दिया है। ट्रंप की राष्ट्रपति चुनाव में जीत के बाद अमेरिकी बाजार में शेष दुनिया से भारी पूंजी का प्रवाह हो रहा है। चूंकि चीन के शेयर सस्ते हैं ऐसे में भारत में बेचो और चीन में खरीदो का रुख अभी जारी रह सकता है। समीक्षाधीन अवधि में एफपीआई ने ऋण या बॉन्ड बाजार से भी निकासी की है। उन्होंने बॉन्ड में सामान्य सीमा के तहत 7,352 करोड़ रुपये और स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग से 3,822 करोड़ रुपये निकाले हैं। कुल मिलाकर विदेशी निवेशकों सतर्क रुख अपना रहे हैं।

कोयला आयात 20.13 करोड़ टन पर स्थिर रहा
चालू वित्त वर्ष के पहले नौ माह (अप्रैल-दिसंबर) में भारत का कोयला आयात 20.13 करोड़ टन पर लगभग स्थिर रहा है। ई-नीलामी क्षेत्र में अग्रणी नाम ‘एमजंक्शन’ सर्विसेज द्वारा जुटाए गए आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। एक साल पहले की समान अवधि में देश का कोयला आयात 20।15 करोड़ टन रहा था। दिसंबर में कोयले का आयात पिछले वित्त वर्ष के इसी महीने के 2.33 करोड़ टन से घटकर 1.92 करोड़ टन रह गया है। अप्रैल-दिसंबर 2024 के दौरान गैर-कोकिंग कोयले का आयात 12।88 करोड़ टन रहा, जो पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि के दौरान 13.34 करोड़ टन रहा था। अप्रैल-दिसंबर के दौरान कोकिंग कोयले का आयात 4।06 करोड़ टन रहा, जो पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 4.28 करोड़ टन रहा था।
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आयात की मात्रा में गिरावट
एमजंक्शन के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) विनय वर्मा ने कहा कि घरेलू बाजार में ऊंचे स्टॉक की स्थिति और उम्मीद से कम मांग के कारण आयात की मात्रा में गिरावट आई है। आगामी हफ्तों में मांग के परिदृश्य में बदलाव की उम्मीद नहीं है। कोयला और खान मंत्री जी किशन रेड्डी ने हाल ही में कहा था कि सरकार का ध्यान कोयले के आयात को कम करने और घरेलू उत्पादन को बढ़ाने पर है। कोयला क्षेत्र देश की ऊर्जा सुरक्षा की बुनियाद बना हुआ है, जो देश के औद्योगिक और आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वैश्विक स्तर पर पांचवें सबसे बड़े भूगर्भीय कोयला भंडार और दूसरे सबसे बड़े उपभोक्ता के रूप में कोयला एक अपरिहार्य ऊर्जा स्रोत बना हुआ है। राष्ट्रीय ऊर्जा मिश्रण में कोयले का योगदान 55 प्रतिशत का है।