Digital Banking – कागजी झंझटों से मिली मुक्ति, यूपीआई ने आसान की राह
Digital Banking: आज डिजिटलीकरण ने बैंकिंग सेवाओं को काफी आसान बना दिया है। डिजिटल बैंकिंग, मोबाइल भुगतान और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने पिछले 25 वर्षों में बैंकिंग सेक्टर की सूरत ही बदलकर रख दी है। वर्ष 2001 में जहां लोगों को बैंकों में जाकर लाइन लगाकर पैसे निकालने व जमा करने में घंटों इंतजार करना पड़ता था वहीं आज टेक्नोलॉजी के चलते लेन-देन के लिए लोगों को बैंक तक जाने की जरूरत नहीं पड़ती। इसमें यूपीआई का बड़ा योगदान है। बदलते समय के साथ अभी व्यक्ति जब चाहे यानी रात हो या दिन कभी भी अपने खाते में पैसे डाल सकता है और आसानी से निकाल भी सकता है। अब पैसे जमा करने या निकालने के लिए बैंकों के खुलने तक का इंतजार नहीं करना पड़ता है। डिजिटल होने से आज लोगों को काफी हद तक कागजी झंझटों से भी मुक्ति मिल गई है।

पहले जैसी नहीं लगती एटीएम में भीड़
एटीएम के सुविधाजनक होने के कारण इसका नेटवर्क तेजी से बढ़ता चला गया और इनकी संख्या में भी बढ़ोतरी होती चली गई। शहर के विविध स्थानों पर बैंकों द्वारा एटीएम मशीन लगाई गई। पहले इसमें भीड़ भी अच्छी-खासी होती थी। इसमें भी लोग जब चाहे पैसे निकाल सकते थे, बशर्ते एटीएम मशीन में पैसे हों तभी इसका उपयोग हो सकता था। इसमें भी पैसे निकालने के लिए लोगों को लाइन लगाना पड़ता था लेकिन जबसे ऑनलाइन लेन-देन चलन में आया तब से एटीएम में सन्नाटा छा गया। गूगल पे, पेटीएम सहित अन्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से भुगतान का क्रेज तेजी से बढ़ा। शहरवासी खरीदारी करने के बाद विक्रेता को नकद नहीं बल्कि अलग-अलग प्लेटफॉर्म से भुगतान कर रहे हैं।
लोग इसे खुद के लिए आसान और आरामदायक मानने लगे। इसी के चलते अब एटीएम व बैंक से नकद निकासी करने वालों की संख्या कम हो गई। जिन एटीएम पर निकासी अधिक घटी है उन्हें बैंकों ने बंद कर दिया। आज शहर में कई स्थानों पर देखा जाए तो एटीएम के जगह बंद शटर या उनके स्थानों पर अन्य दुकानें खुली नजर आने लगी हैं। जिले में करीब 1,300 से अधिक एटीएम थे जिनकी संख्या आज घटकर मात्र 800 के आसपास ही रह गई है। इसमें भी कई एटीएम ऐसे हैं जिनकी मशीनें बंद पड़ी हैं। छोटी से छोटी खरीदी के लिए भी कैश की जगह ऑनलाइन पेमेंट का सहारा लिया जा रहा है। अब लोग तेजी से विकसित होने वाली तकनीक के साथ आगे बढ़ रहे हैं। वे एटीएम या बैंक में जाकर समय नहीं लगाना चाहते हैं।
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लोन देने बैंक आता है द्वार पर
आज से 20 से 25 वर्ष पहले तक लोगों को होम लोन, कार लोन सहित विविध तरह के लोन लेने के लिए जहां बैंकों के द्वार तक पहुंचना पड़ता था वहीं आज बैंक ग्राहकों के घर तक पहुंच रहे हैं। किसी ने लोन लेने की इच्छा जताई तो बैंकों के प्रतिनिधि के घर तक पहुंचते हैं। पहले के मुकाबले लोन की प्रक्रिया भी आसान हो गई है। आज लोग लोन के लिए बैंकों के भरोसे ही नहीं बैठे हैं बल्कि अभी कई गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां मार्केट में आ गई हैं जो कि बैंकों की तरह लोन देने का काम करती हैं, इसलिए लोगों को आज बैंकों का चक्कर लगाने की जरूरत नहीं पड़ती। इसके अलावा ऑनलाइन मंच में ऐसे एप भी चल रहे हैं जो कि लोन प्रोवाइड करवा रहे हैं।

225 से अधिक बैंक हैं आज जिले में
बैंक से संबंधित जानकार बताते हैं कि पहले जहां बैंकों और उनकी शाखाएं काफी अधिक हुआ करती थीं वहीं आज बैंकों का मर्जर होने से इनकी संख्या कम हो गई है। आज जिले में 225 बैंक और उनकी शाखाएं हैं। वहीं पहले की तुलना में बिजनेस भी घट गया है। इनमें बैंक ऑफ बड़ौदा, विजया बैंक और देना बैंक, सिंडीकेट बैंक का मर्जर केनरा बैंक में, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया को पंजाब नेशनल बैंक में और इलाहाबाद बैंक, कॉरपोरेशन बैंक और आंध्रा बैंक को इंडियन बैंक में विलय कर दिया गया।
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टॉप पर चल रहा म्यूचुअल फंड
20 से 25 वर्ष पहले तक लोग बैंकों में एफडी कर अपना पैसा सुरक्षित रखना चाहते थे लेकिन आज वे अच्छे रिटर्न मिलने के चलते शेयर बाजार व एसआईपी में निवेश करना पसंद कर रहे हैं। अभी लोग बड़ा फंड बनाने के लिए रिस्क लेने से भी नहीं चूक रहे। तभी शेयर मार्केट और म्यूचुअल फंड में निवेश करने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में आज करोड़ों नये निवेशक जुड़े हैं। इसमें नागपुर शहर ही नहीं बल्कि ग्रामीण के लोग भी शामिल हैं। पहले अकाउंट खुलवाने के लिए बैंक या दूसरे वित्तीय संस्थान जाना पड़ता था। अब ऐसा नहीं है। स्मार्टफोन एप डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट प्लेटफॉर्म, डिजिटल पेमेंट सिस्टम आदि से काफी कुछ बदल गया है। लोगों के लिए यह काफी सुविधाजनक है। ऐसे में म्यूचुअल फंड तक आसानी से पहुंच के चलते भी इसमें निवेशकों की संख्या बढ़ी है।

आज बैंकों को लाना पड़ रहा नये प्रोडक्ट
बैंक ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए नये-नये उत्पादों के साथ एफडी और आरडी पर शेयर बाजार जैसा रिटर्न देने के लिए भी विचार कर रही हैं। कम होते जा रहे खाते को फिर से बढ़ाने के लिए बैंक विविध तरह के प्रयोग करने की तैयारी में हैं।