Jungle Safari Tiger: रणथंभौर नेशनल पार्क का वीडियो हुआ वायरल
Jungle Safari Tiger: राजस्थान की राजधानी जयपुर से लगभग 190 किमी दूर स्थित सवाई माधोपुर जिले में स्थित रणथंभौर नेशनल पार्क में पर्यटकों को बाघ का दीदार हो गया। खुद से थोड़ी ही दूरी पर बाघ को देख कर पर्यटक चिल्लाने लगे। कुछ लोगों का कहना था कि पर्यटन के लिए रणथंभौर नेशनल पार्क का चुनाव करना सार्थक रहा। सोशल मीडिया पर जंगल सफारी का एक वीडियो वायरल हो रहा है। जिसमें टूरिस्ट के सामने अचानक एक बाघ आ गया और वो ज़ोर-ज़ोर से चीखने-चिल्लाने लगे।
वाहन की ओर आने लगा बाघ
बाघ को देखने के बाद पर्यटकों के चिल्लाने के इस वीडियो ने सफारी के दौरान लोगों के व्यवहार पर चर्चा छेड़ दी है। वायरल वीडियो में, पर्यटक घबराते हुए दिखाई दे रहे हैं क्योंकि बाघ धीरे-धीरे उनके वाहन की ओर आने लगता है। वीडियो को रणथंभौर नेशनल पार्क के इंस्टाग्राम पेज पर पोस्ट किया गया है। वीडियो के साथ पोस्ट किए गए कैप्शन में लिखा है, “उस राजसी प्राणी को इतने करीब से देखना हमारे लिए जीवन भर का अनुभव था। हम डर गए, लेकिन T121 एक चंचल जानवर है। वह दो बार हमारे करीब आया और पीछे हट गया। हम इस स्मृति को जीवन भर संरक्षित रखेंगे।”
2.2 मिलियन व्यूज मिले
सफारी वाहन के अंदर से लिए गए वीडियो में एक बाघ कार की ओर बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है। कुछ ही देर में बाघ कार के बेहद करीब आ जाता है। इस समय, एक शख्स को मुकेश नाम के किसी व्यक्ति को बुलाते हुए और उसे वहां से चले जाने के लिए कहते हुए सुना जा सकता है। उन्हें यह कहते हुए भी सुना जाता है, ‘वह हमारे ठीक पीछे है।’ कुछ अन्य लोग भी ड्राइवर से कार को बाघ से दूर ले जाने के लिए कहते हैं। वीडियो कुछ महीने पहले पोस्ट किया गया था। तब से, यह शेयर लगभग 2.2 मिलियन व्यूज के साथ वायरल हो गया है। पोस्ट पर लोगों ने ढेरों कमेंट्स किए हैं। बहुत से लोगों ने पर्यटकों के व्यवहार की निंदा भी की है।
पर्यटकों को उचित दिशा-निर्देश देना जरूरी
एक इंस्टाग्राम यूजर ने लिखा, “चीखने-चिल्लाने वाले इन लोगों पर जुर्माना लगाया जाना चाहिए! किसी भी सफारी में जाने से पहले आगंतुकों को उचित दिशा-निर्देश दिये जाने चाहिए। अगर आप कभी जानवरों के आसपास या जंगल में नहीं रहे हैं, तो डर लगने पर जान बचाने के लिए चीखना स्वाभाविक है, लेकिन जानवरों के लिए यह उचित नहीं है। आप अपनी इच्छा और निर्णय से किसी के घर में प्रवेश करते हैं और चिल्लाना शुरू कर देते हैं, इसका कोई मतलब नहीं है!” दूसरे ने लिखा, “यदि आप बाघ को देखना बर्दाश्त नहीं कर सकते, तो सफारी पर न जाएं! ये बहुत ही भयानक व्यवहार हैं।”
नेशनल पार्क में बाघों की है बड़ी आबादी
रणथंभौर नेशनल पार्क को 1955 में सवाई माधोपुर गेम सैन्चुरी बनाया गया। इसे 1973 में टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था और बाद में 1980 में नेशनल पार्क के रूप में अपग्रेड किया गया। इसका नाम प्राचीन रणथंभौर किले से लिया गया है जो नेशनल पार्क की सीमाओं के भीतर स्थित है।
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रणथंभौर नेशनल पार्क में बाघों की एक बड़ी आबादी है। हालांकि, उनमें से अधिकांश पर्यटकों की चकाचौंध से दूर रहते हैं क्योंकि वे अपने क्षेत्र से लगभग कभी बाहर नहीं निकलते हैं। तो ऐसे में आप उन बाघों को अवश्य स्पॉट कर सकती हैं, जिनका क्षेत्र सफारी राइडके बीच ही है। रणथंभौर नेशनल पार्क में होते हुए बाघों को देखना यकीनन एक अद्भुत अनुभव है। खासतौर से, जब वह अपने प्राकृतिक आवास में घूम रहे होते हैं।
तेंदुआ, लकड़बग्घा, सियार आदि जानवर भी हैं
इस नेशनल पार्क में आपको सिर्फ बाघ देखने का ही मौका नही मिलेगा, बल्कि यहां पर वन्य जीवन की एक शानदार विविधता देखने को मिलती है। यहां पर मैमल्स की 40 से अधिक प्रजातियां पाई जाती है। नेशनल पार्क में कई प्रकार के पक्षी और सरीसृप हैं। बाघ के अलावा, रणथंभौर नेशनल पार्क में आपको शिकारी तेंदुआ, लकड़बग्घा, सियार और जंगली बिल्ली हैं। वहीं, सबसे अधिक देखे जाने वाले स्तनधारी में चीतल, सांभर हिरण, जंगली सूअर, नीलगाय और ग्रे लंगूर आदि शामिल हैं।
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