Saurabh Kumar: खुद को नेट या गेंदबाजी से दूर नहीं रखता क्रिकेटर
Saurabh Kumar: घरेलू क्रिकेट में पिछले एक दशक से लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे लेफ्ट आर्म स्पिनर सौरभ कुमार की अचानक टीम इंडिया में एंट्री हो गई है उन्हेंने कहा कि यह सपने के सच होने जैसा है। 30 साल का यह स्पिनर 2022 में श्रीलंका के खिलाफ घरेलू सीरीज के लिए राष्ट्रीय टीम में जगह बना चुका है, सौरभ को उम्मीद है कि इंग्लैंड के खिलाफ उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिलेगा।
सौरभ ने कहा, ”भारतीय टीम का हिस्सा बनना हमेशा से एक सपना रहा है। मेरा मतलब है कि कौन सा क्रिकेटर ऐसा नहीं चाहेगा? इसके लिए बहुत सारी चीजों को एक साथ आने की जरूरत है, लेकिन मेरे पास थोड़ा अनुभव है।” 30 साल का यह स्पिनर 2022 में श्रीलंका के खिलाफ घरेलू श्रृंखला के लिए राष्ट्रीय टीम में जगह बना चुका है, लेकिन उन्हें प्लेइंग इलेवन में जगह नहीं मिली थी। सौरभ ने यूपी के लिए रणजी ट्रॉफी में खेलने के लिए एयरफोर्स की नौकरी छोड़ दी। उन्होंने सेना की टीम से फर्स्ट क्लास डेब्यू किया था। उनका एयरफोर्स में सेलेक्शन खेल कोटे से हुआ था। वह यूपी से खेलना चाहते थे। इसलिए नौकरी छोड़ने का फैसला किया।
बेदी से सीखे स्पिन के गुर
देश के महानतम स्पिनर बिशन सिंह बेदी ने सौरभ को शुरुआती दौर में क्रिकेट का ककहरा पढ़ाया है। दिल्ली में अभ्यास के दौरान सौरभ पर बेदी की नजर पड़ी थी, इसके बाद बेदी ने सौरभ को गुर दिए। आर्थोडाक्स स्पिनर (अंगुलियों से गेंद को घुमाने वाले) सौरभ को उप्र के पूर्व रणजी खिलाड़ी एवं चयनकर्ता मनोज मुदगल ने शुरुआती दौर में क्रिकेट की सीख दी है। भारतीय क्रिकेट में आम तौर पर 30 की उम्र के पास पहुंचने पर खिलाड़ी नेशनल टीम के लिए डेब्यू का सपना छोड़ने लगते है, लेकिन दिवंगत बिशन सिंह बेदी को आदर्श मानने वाले सौरभ कभी हार नहीं मानना चाहते हैं।
वह दिल्ली में बेदी के समर कैम्प में नियमित तौर पर भाग लेते थे। उन्होंने कहा, ‘बिशन सर मुझसे कहते थे कि कड़ी मेहनत करते रहो और जब भी मौका मिले, अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए मानसिक रूप से तैयार रहो। मैं वास्तव में कभी भी खुद को नेट या गेंदबाजी से दूर नहीं रखता।’
बागपत से दिल्ली ट्रेन से आते थे
सौरभ कुमार यूपी का बागपत के रहने वाले हैं। उन्हें पहले भी टीम इंडिया में जगह मिल चुकी है लेकिन खेलने का मौका नहीं मिला था। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि बचपन में हर दिन ट्रेनिंग के लिए बागपत से दिल्ली ट्रेन से आते थे। सौरभ ने कहा था, ‘अगर मुझे नेट पर दोपहर दो बजे अभ्यास करना होता था तो मैं सुबह 10 बजे घर से निकलता। ट्रेन से तीन-साढ़े तीन घंटे का समय लगता जिसके बाद स्टेडियम पहुंचने में आधा घंटा और। फिर वापस लौटने में भी इतना ही समय लगता। यह मुश्किल था।’
खेल और परिस्थिति को समझने वाला खिलाड़ी
भारत के पूर्व बाएं हाथ के गेंदबाज और उत्तर प्रदेश के मौजूदा कोच सुनील जोशी ने बताया, ‘सौरभ कुमार एक शानदार क्रिकेटर हैं, खेल और परिस्थिति को अच्छे से समझते हैं। वह जानते हैं कि अपनी लाइन और लेंथ को कैसे समायोजित करना है। उन्हें इन परिस्थितियों में और घरेलू क्रिकेट में चेतेश्वर पुजारा और मयंक अग्रवाल जैसे कुछ अच्छे खिलाड़ियों के खिलाफ गेंदबाजी करने का काफी अनुभव है। सौरभ ने अब अपनी बल्लेबाजी में भी सुधार किया है और वह निचले क्रम में बल्ले से भी योगदान दे सकते है।’
ड्रेसिंग रूम साझा करने का मौका मिलेगा
सौरभ कुमार के पास रोहित शर्मा या रविचंद्रन अश्विन जैसे भारतीय क्रिकेट के दिग्गजों के साथ ड्रेसिंग रूम साझा करने का मौका होगा। अपनी इस सफलता पर सौरभ ने कहा, ‘भारतीय टीम का हिस्सा बनना हमेशा से एक सपना रहा है। मेरा मतलब है कि कौन सा क्रिकेटर ऐसा नहीं चाहेगा? इसके लिए बहुत सारी चीजों को एक साथ आने की जरूरत है, लेकिन मेरे पास थोड़ा अनुभव है।’ वह जिस अनुभव का जिक्र कर रहे थे वह 2021 में इंग्लैंड के भारत के पिछले दौरे के बारे में था जब वह भारतीय टीम में नेट गेंदबाज थे।
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सेवानिवृत्त हैं पिता, मां गृहणी
सौरभ ने क्रिकेट की शुरुआत दिल्ली से की थी। उनके पिता रमेश चंद्र आकाशवाणी में जूनियर इंजीनियर के पद से सेवानिवृत्त हैं, मां उषा रानी गृहणी हैं। इनका एक मकान गाजियाबाद के राजनगर एक्सटेंसन में भी है। फिलहाल परिवार वहीं रह रहा है। लेफ्ट आर्म स्पिनर सौरभ अच्छे बल्लेबाज भी बेहतर हैं।
प्रथम श्रेणी क्रिकेट में सौरभ ने 27 की औसत से 2061 रन बनाए हैं। उनके नाम 290 विकेट भी हैं। गांधी बाग क्रिकेट अकादमी के कोच तनकीब आलम ने बताया कि सौरभ एक बेहतरीन आलराउंडर हैं। वह गेंद के साथ बल्ले से कमाल करते हैं। सौरभ दो भाई और एक बहन हैं। बड़ा भाई गौरव एयरफोर्स में कार्यरत है। मां ने बताया कि छोटी उम्र से ही सौरभ ने बचपन से ही अपने से बड़ी उम्र के बच्चों के खेलता था।