Cold Drinks: बॉडी के हर अंग को करती है डैमेज
Cold Drinks: दुनियाभर में लोग कोल्ड ड्रिंक्स के दीवाने हैं लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि इसका ज्यादा सेवन शरीर के लिए खतरनाक भी साबित हो सकता है। कोल्ड ड्रिंक्स में फ्रुक्टोज पाया जाता है, जिसकी वजह से पेट पर चर्बी जमा हो सकती है। पेट पर चर्बी बढ़ने का मतलब है कि आपको डायबिटीज और हृदय संबंधी बीमारियां परेशान कर सकती हैं। कोल्ड ड्रिंक्स हमारे लीवर को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाती है। दरअसल, जब कोल्ड ड्रिंक्स पीने की मात्रा को बढ़ा देते हैं, तो इससे लीवर जोर से बढ़ने लगता है। ये नॉन-एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज के खतरे को बढ़ा देता है।
पोषक तत्वों के बजाय ये कैलोरी और शुगर से भरपूर होती है। शुगर वाली ड्रिंक्स की वजह से लेप्टिन रजिस्टेंस का खतरा होता है, जो मोटापे के लिए जिम्मेदार है। कोल्ड ड्रिंक्स की वजह से ब्लड शुगर बढ़ने का भी खतरा होता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि शरीर इंसुलिन रजिस्टेंस हो जाता है। इंसुलिन का काम रक्तप्रवाह से ग्लूकोज को कोशिकाओं में ले जाना है। कोल्ड ड्रिंक्स के चलते कोशिकाएं इंसुलिन के प्रभाव के प्रति कम संवेदनशील हो जाती हैं।
कार्बन डाइऑक्साइड गैस का मिश्रण
कोल्ड ड्रिंक बनाने के लिए पानी को ठंडा करके उसमें कार्बन डाइऑक्साइड गैस मिलाई जाती है। इसके अलावा, उसको स्वाद और रंग देने के लिए अलग-अलग रसायन मिलाए जाते हैं। कोल्ड ड्रिंक में अगर कोई रंग नहीं मिलाया गया है, तो उसका रंग सफेद होगा। यह ड्रिंक उस स्थिति में होती है जब उसमें कोई भी रंग देने वाला रसायन या फूड कलर नहीं डाला जाता है। बाद में रसायनों के मिलने पर उसमें रंग आता है। इसके अलावा, यह भी बताया जाता है कि कोका कोला में अगर कोई रंग नहीं मिलाया जाए तो इसका रंग हरा होगा।

सॉफ्ट ड्रिंक्स में सबसे खतरनाक कार्बन डाईआक्साइड गैस को पानी में अत्यधिक दाब में डाला जाता है। बोतल का ढक्कन खोलते ही इससे झाग बनता है। कोका-कोला को उसका रंग देने ने लिए विशिष्ट कारमेल का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि ड्रिंक को उसका विशिष्ट रंग दिया जा सके। कोल्ड ड्रिंक में आम, संतरे, नीबू के रंग के लिए टारट्रेजाइन और कार्मोजाइन जैसे रसायन मिलाए जाते हैं। ये रसायन शरीर में अन्य तत्वों से मिलकर अलग-अलग तरह के एसिड और नए अनुपयोगी तत्व बनाते हैं।
शरीर में गांठें बनने का खतरा
हार्वर्ड विवि में किए गए एक सर्वे में इस बात की पुष्टि हुई हैं कि कोल्ड ड्रिंक पीने से डायबिटीज, हृदय रोग तथा शरीर में गांठें बनने का खतरा बढ़ जाता है। कैफीन से शरीर में मसल्स और नर्व की कार्यप्रणाली में बाधा आती है। कोल्ड ड्रिंक का कोई भी स्वास्थ्यकारी लाभ मनुष्य की सेहत पर नहीं होता। किसी भी कोल्ड ड्रिंक कंपनी ने भी अब तक किसी कोल्ड ड्रिंक से स्वास्थ्य पर होने वाले फायदों का दावा नहीं किया है।
एक 300 एमएल की कोल्ड ड्रिंक बोतल में 40 ग्राम चीनी होती है। इसको पीने के बाद व्यक्ति की रोजाना की अतिरिक्त चीनी की आवश्यकता लगभग दो गुना तक पूरी हो जाती है। इसके बाद व्यक्ति जो भी चीनी लेता है, उससे नुकसान ही होता है। साथ ही इन पेय पदार्थों में कैफीन भी होता है। चीनी और कैफीन दोनों हमारे स्वास्थ्य के लिए नुकसान देह हैं। इसमें ड्रिंक तो है नहीं बस ये तो कोल्ड और शुगर ही है। अगर कोई 250 एमएल कोल्ड ड्रिंक पी लेता है तो उसकी लगभग दिनभर की शुगर की जरूरत पूरी हो जाती है।
फिर जब वह कुछ भी मीठा खाएगा तो उसके तो नकरात्मक असर होने ही हैं। जबकि अगर हम लागत के पैमाने पर देखें तो यह लगभग 100 एमएल दस रुपये में आता है। जबकि इसमें लागत के नाम पर चीनी, पानी और कैफीन के अलावा कुछ भी नहीं आता। जहां इन कंपनियों प्लांट होते हैं वहां ये जमीन से पानी निकालते हैं। शिकंजी, लस्सी और जूस आदि तमाम स्वास्थ्यकारी विकल्प उपलब्ध है।
फलों के रस का सेवन
कोल्ड ड्रिंक्स से होने वाले नुकसान से बचने के लिए हमें फलों के रस का सेवन करना चाहिए क्योंकि फलों में प्राकृतिक चीनी पाई जाती है और सही मात्रा में इसका सेवन करने से शरीर को कोई नुकसान नहीं पहुंचता। इसका सबसे सटीक समाधान है सादे पानी का सेवन। अगर आप रोजाना कोल्ड ड्रिंक पीने की जगह पर सादा पानी पिएंगे तो शरीर में शुगर लेवल सामान्य रहेगा।

गैस की समस्या कोल्ड ड्रिंक्स लेना गलत
कई लोग पेट फूलने या गैस की समस्या का घरेलू इलाज कोल्ड ड्रिंक्स से करते रहते हैं। इनमें ऐसे लोग भी शामिल हैं, जो कई-कई महीनों तक इस आदत को जारी रखते हैं। यह एक बिल्कुल गलत आदत है। क्योंकि, इससे एक तो वह पेट फूलने की मूल वजहों को नजरअंदाज करते रहते हैं और उन्हें विकराल बना लेते हैं। दूसरा कोल्ड ड्रिंक के अपने दुष्प्रभावों से नई समस्याओं को उत्पन्न कर लेते हैं। भोजन के बाद पेट फूलने की कई वजहें हो सकती हैं, जिसमें अल्सर्स, गॉल ब्लैडर में सूजन या स्टोन्स, गुर्दे की पथरी, लिवर में समस्या, हार्ट की कमजोरी आदि प्रमुख हैं।
कार्बोनेटेड ड्रिंक्स में घुली हुई कार्बन डाईऑक्साइड गैस होती है, जिसके कारण उसमें बबल्स या फिज बनती है। जब कोल्ड ड्रिंक आपके पेट में पहुंचती है, तो घुली हुई कार्बन डाईऑक्साइड वापिस गैस के रूप में परिवर्तित होती है और डकार के माध्यम से बाहर निकल जाती है। लोगों को लगता है कि इससे उनकी पेट में फंसी हुई गैस निकली है, जबकि इस कोल्ड ड्रिंक से बनी बहुत ज्यादा गैस के कारण डकार आती है। यह डकार लोगों को बस मेंटल सेटिस्फेक्शन (मानसिक शांति) देती है, जिससे वे इसे लगातार लेते रहते हैं और अपनी परेशानियों को बढ़ाते रहते हैं।