Indus Valley Civilization:जानिए सिंधु घाटी सभ्यता की विशेषताओं के बारे में
Indus Valley Civilization: सिंधु घाटी सभ्यता जो हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी विख्यात है तथा अब तक की ज्ञात सभी सभ्यताओं में सबसे प्राचीन और विकसित सभ्यता हैं। हड़प्पा सभ्यता को भारतीय उपमहाद्वीप की सबसे प्रथम नगरीय सभ्यता का दर्जा मिला हैं। हड़प्पा सभ्यता को सिंधु घाटी सभ्यता का नाम इसके मुख्य नगर मोहनजोदड़ो की खुदाई के कारण ही मिला था। क्योंकि मोहनजोदड़ो की खुदाई सिंधु नदी के किनारे पर हुई थी। सिंधु नदी के कारण ही इसे सिंधु घाटी सभ्यता के नाम से पुकारा जाने लगा। सिंधु घाटी सभ्यता की खोज 1921 में राय बहादुर दयाराम साहनी के द्वारा की गई थी।
यह सभ्यता 2500 ईसा पूर्व से 1500 ईसा पूर्व तक रही थी तथा इस सभ्यता का 1500 ईसापूर्व के आसपास में पतन हुआ था। 2500 ईसा पूर्व हड़प्पा सभ्यता अच्छी तरह से फल-फूल चुकी थी। उस समय तक विकसित नगरों की संख्या काफी अधिक थी जिनमें से अब तक लगभग 1052 नगर खोजें जा चुके हैं। इतिहासकारों के अनुसार हड़प्पा और मोहनजो-दारो जैसे शहरों में जनसंख्या दस लाख से अधिक थी, आप सोच कर देखिये कि उस काल में यह सभ्यता कितनी बड़ी थीं।

जल निकासी की बेहतरीन सुविधाओं के साथ यहा के शहरों की बहुत अच्छी तरह से योजना बनाई गई थी। नालियाँ और जल निकासी की प्राचीन सिंधु प्रणालियाँ जो पूरी सभ्यता के शहरों में अच्छी तरह से विकसित और उपयोग की गई थी। सिंधु घाटी सभ्यता मध्य पूर्व के समकालीन शहरी स्थलों में पाई जाने वाली किसी भी सिस्टम से कहीं अधिक बेहतर थी। हड़प्पावासियों ने मिस्रवासियों की तरह कोई महान स्मारक नहीं बनाए। इसका कोई निर्णायक सबूत नहीं है।
सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों को लंबाई, द्रव्यमान और समय मापने में बहुत सटीक जानकारी थी। उन्होंने वजन को मात्र 0.05 किलोग्राम जितना ही कम मापा था, इसके अलावा उन्होंने लंबाई को भी मात्र 1.074 मिमी जितनी ही कम मापा था। सिंधु घाटी सभ्यता के लोगो ने तांबा, कांस्य, सीसा, टिन आदि जैसी कई धातुएँ खोज निकालीं थी। उनका इंजीनियरिंग कौशल बहुत ज्यादा बेहतर था। उनके पास बहुत ही अच्छी लेखन प्रणाली थी। पुरातत्वविदों को सिंधु घाटी सभ्यता के लोगो द्वारा खोजी गई 600 अधिक अलग-अलग सिंधु प्रतीक मिले हैं। यद्यपि इनकी लिपि को अभी तक ठीक से समझा नहीं गया हैं। फिर भी यह द्रविड़ भाषाओं से काफी हद तक मिलती-जुलती हैं। सिंधु घाटी सभ्यता की लिपि के कुछ प्रतीक द्रविड़ भाषाओं में भी पाए गए हैं ।
सिंधु घाटी सभ्यता की विशेषताएं
1. सिंधु घाटी सभ्यता को कांस्य युगीन सभ्यता के रूप में भी जाना जाता हैं।
2. यह सभ्यता मिस्त्र सभ्यता से भी बहुत अधिक बड़ी सभ्यता थी।
3. इस सभ्यता की नगर निर्माण पद्धति ‘Grid System ‘ के आधार पर बनी हुई थी।
4. सिंधु घाटी सभ्यता के नगरों में गलियां बहुत चौड़ी व सीधी हुआ करती थी तथा वे एक-दूसरे को क्रमशः समकोण पर काटती थी।
5. हड़प्पा सभ्यता में अधिकतर घर दो मंजिल के बने हुए थे।
6. बनावली से मिले हल के अवशेषों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि यहा पर लोग हल चलाना भी जानते थे जिसका प्रमाण कालीबंगा की खुदाई में जूते हुए खेत से मिलता हैं।
7. अनुमानन भारत में वास्तुकला का आरंभ सिंधु वासियों के द्वारा ही किया गया था।
8. सिंधु घाटी सभ्यता में सबसे बड़ी इमारत का नाम अन्नागार था जो कि मोहनजोदड़ो की खुदाई में मिली थी।
9. मोहनजोदड़ो की खुदाई में एक बहुत विशाल स्नानघर भी मिला हैं।
10. सिंधु घाटी सभ्यता के घरों के फर्श ज्यादातर कच्चे ही मिले है सिर्फ कालीबंगा में ही कुछ जगहों पर पक्के फर्श के साक्ष्य मिले प्राप्त हुए हैं।
11. सिंधु सभ्यता के लोग मुख्यता धरती,पेड़ -पौधों और कुबड़ वाले सांड की पूजा करते थे ऐसा माना जाता है सिन्धुवासी अपने खेतों की ऊर्वरक शक्ति बढ़ाने के लिए धरती माता की पूजा करते थे।
12. विश्व में सबसे पहले कपास की खेती करने का श्रेय भी सिंधु घाटी वासियों को ही जाता हैं।
13. सिंधु घाटी सभ्यता एक मातृ प्रधान सभ्यता थी।
14.सिंधु घाटी सभ्यता की समकालीन सभ्यता मेसोपोटामिया थी।
15. 1947 में भारत के दो हिस्से हुए और पाकिस्तान का निर्माण हुआ जिसके बाद सिंधु सभ्यता के दो प्रमुख नगर मोहनजोदड़ो और हड़प्पा पाकिस्तान का हिस्सा बन गए थे।
16. हड़प्पा सभ्यता से प्राप्त मोहरो को सर्वोत्तम कलाकृतियों का दर्जा मिला है क्योकि इस सभ्यता की मोहरो पर अनेको कलाकृतियों को उकेरा गया हैं।

17. हड़प्पा की खुदाई में कई ऐसी चीजें मिली हैं, जिन्हें हिन्दू धर्म से भी जोड़ा जा सकता है। पुरोहित की एक मूर्ति, बैल, नंदी, मातृदेवी, बैलगाड़ी और शिवलिंग आदि मिले है जो कि हिंदू धर्म के प्रतीक हैं। खुदाई में यहा से शिवलिंग और स्वस्तिक के चिन्ह भी मिले हैं।
18. सिंधु घाटी सभ्यता की लिपि को भाव चित्रात्मक माना गया हैं।
19. सिंधु घाटी सभ्यता के अधिकतर निवासी द्रविड़ और भूमध्यसागरीय ही थे।
20. सिंधु वासी अपने लिए मुख्यता सोना, चांदी, तांबा के आभूषणों का प्रयोग करते थे साथ ही यह लोग कीमती पत्थर से बने आभूषणों का भी उपयोग करते थे।
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सिंधु घाटी सभ्यता का पतन कैसे हुआ था ?
सिंधु घाटी सभ्यता के पतन के कारण अभी तक पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हो पाए हैं। परंतु इस सभ्यता के पतन के कई कारण हो सकते है अलग-अलग इतिहासकारों के सिंधु घाटी सभ्यता के पतन को लेकर भिन्न-भिन्न मत रहे हैं। प्रसिद्ध विद्वान दयाराम साहनी और राम लदाख बनर्जी के अनुसार सिंधु सभ्यता का मुख्यता पतन, बाढ़, जलप्लावन, जलवायु परिवर्तन आदि जैसे कारणों से हुआ था।वही गार्डन चाइल्ड और व्हीलर का मानना है कि आर्यों का आक्रमण इस सभ्यता के विनाश का मुख्य कारण बना था। यही मार्शल और एमएस भार्गव ने इस सभ्यता के पतन का मुख्य कारण बाढ़ तथा महामारी को माना हैं।
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