Kisan Andolan: भारी दिक्कतों का सामना कर रहे बेकसूर आम लोग
देश की राजधानी दिल्ली में किसान आंदोलन के चलते दिल्ली-NCR की आम जनता को भारी जाम से जूझना पड़ रहा है। दिल्ली-NCR की सीमा पर वाहनों का कई किलोमीटर लंबा जाम लग गया, जिससे बेकसूर आम लोगों को आवाजाही में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस तरह के आंदोलनों से आम जनता, व्यापारियों, मरीजों, स्कूल व कॉलेज जाने वाले स्टूडेंट्स के अलावा सर्विस क्लास लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। किसानों के दिल्ली कूच के चलते दिल्ली में जरूरी चीजों की सप्लाई भी प्रभावित हो गई है।
दिल्ली की लगभग सभी बाजारों में ग्राहकों की संख्या में काफी गिरावट आई है। इसकी वजह से दाल, चावल, कपड़े, खिलौने, कॉस्टमेटिक आइटम, स्टेशनरी समेत कई सामानों की सप्लाई भी प्रभावित हो गई है, जिससे व्यापारियों में काफी निराशा है। किसानों के आंदोलन ने व्यापार को चौपट कर दिया है, बाजार खाली पड़े हैं। वहीं गर्मी के कपड़ों की सप्लाई अभी से शुरू हो जाती है, लेकिन आंदोलन के चलते थोक कारोबारी मार्केट में नहीं आ रहा है। बिक्री की बात करें तो अब महज 40 प्रतिशत की ब्रिकी हो रही है।

वहीं किसान आंदोलन के चलते मंडी में सब्जियां लेट पहुंच रही है, ट्रांसपोर्टर को भी बहुत दिक्कतें झेलनी पड़ रही है। ट्रक चालकों को रूट बदल कर जाना पड़ रहा है, जिससे रास्ते में उन्हें खाने-पीने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली-एनसीआर आर्थिक पहिया थम गया है। आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता में भी समस्या आ रही है और परिणामस्वरूप महंगाई की मार भी जनता को झेलनी पड़ रही है। ऐसा कहा जाए तो अतिश्योक्ति न होगी कि, किसान आंदोलन के चलते बलि का बकरा जनता बन गई है, सरकार और किसानों ती बीच लड़ाई के बीच जनता क्यों पीस रही है, ये एक बड़ा सवाल है ?
पिछले आंदोलन से 2 लाख करोड़ का नुकसान
इस आंदोलन से आम लोगों का ही नुकसान होता है। देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के साथ कई हल निकाले गए हैं। हर मसले का हल होता है, सरकारी सेवाएं ठप करने से देश को नुकसान होता है। देश से प्रेम है तो शांतिपूर्वक बात मनवाने का रास्ता तलाशा जाना चाहिए। अगर फिर भी रास्ता नहीं निकल रहा तो पुलिस को सख्त रवैया अपनाना चाहिए। फिलहाल पुलिस ने जो इंतजाम किए हैं, उससे बार्डर पर जाम लग रहा है। सीमा पर आने से पहले ही प्रदर्शनकारियों को रोका जा सके, इस पर विचार करना चाहिए, जिससे जाम की स्थिति उत्पन्न ही न हो।
पिछले किसान आंदोलन से सिर्फ दिल्ली ने 2 लाख करोड़ का आर्थिक दंड झेला था। शहरों की सीमाएं लगभग सालभर बंद रही थीं। आना-जाना दूभर था। हरियाणा के बार्डर के आसपास से कितने उद्योग पलायन कर गए थे। एनसीआर में रोजगार की उम्मीद से आए परिवार लौट गए थे। इस बार दिल्ली की सीमाओं पर सख्ती तो कड़ी की है, लेकिन देखना अब यही होगा कि पिछले सबक से कितना सीखा है।
बसें बुरी तरह प्रभावित
दिल्ली-एनसीआर ही नहीं किसानों के दिल्ली कूच से पंजाब और हिमाचल से आने-जाने वाले लोगों को भी खासी परेशानी हो रही है। पंजाब से तो बसें आ हीं नहीं रही है, वहीं पंजाब के रास्ते आने वाली हिमाचल की बसें भी बुरी तरह प्रभावित हुई है। ऐसे में बसों की संख्या कम होने की वजह से लोगों को कई घंटे इंतजार तक करना पड़ रहा है।
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चंड़ीगढ़ तक का भी रास्ता भी बदल-बदल कर जाना पड़ रहा है, क्योंकि कहीं जाम ज्यादा लग रहा है तो कई सुरक्षा के मद्देनजर रास्ते बंद कर दिए गए हैं। वहीं, पंजाब रोडवेज के हेल्पलाइन काउंटर से बताया गया कि दो दिन से एक भी बस न तो दिल्ली से गई है और न ही वहां से बस आ रही है। प्रतिदिन 100 से ज्यादा बसों का संचालन पंजाब में होता है। जालंधर और लुधियाना के लिए कोई बस नहीं जा पा रही है। लोग चंडीगढ़ तक ही बसों में जा रहे हैं।
फ्लाइट का किराया आसमान छू रहा
इसी बीच शहीद भगत सिंह इंटरनेशनल एयरपोर्ट, मोहाली से चंडीगढ़-दिल्ली तक जाने वाले यात्रियों को हवाई किराए के रूप में अब मोटी रकम चुकानी पड़ रही है। सड़क मार्ग बाधित होने से ट्रेनों में जगह नहीं है तो फ्लाइट का किराया आसमान छू रहा है। चंडीगढ़ से दिल्ली फ्लाइट का किराया बढ़कर दस गुना बढ़कर 30 हजार रुपये तक पहुंच गया है। आम दिनों में यह तीन हजार रुपये के करीब होता है। मंगलवार दोपहर बाद की फ्लाइट का किराया 16 हजार रुपये से शुरू हो रहा है। यही हाल अमृतसर-दिल्ली रूट का है।

अमृतसर से दिल्ली की हवाई टिकट पहले 3000 से 3500 में मिल रही थी। अब 15 से 19 हजार की हो गई है। दिल्ली एयरपोर्ट से रोज सैकड़ो एनआरआई आते-जाते हैं। सड़क मार्ग बंद होने के कारण एयरपोर्ट से आने जाने वाले लोग अब सीधा अमृतसर से दिल्ली और दिल्ली से अमृतसर फ्लाइट का इस्तेमाल कर रहे हैं। एयरलाइन कंपनियों ने भी टिकट के दाम कई गुना बढ़ा दिए हैं। सड़क के बाद फ्लाइट का विकल्प बचा है। ट्रेन पहले से ही फुल हैं। इनमें जगह ही नहीं है। वंदे भारत, शताब्दी सहित दिल्ली जाने वाली सभी ट्रेन फुल हैं।
40 हजार शादियां प्रभावित
दिल्ली में लगभग 40 हजार शादियां हैं लेकिन किसान आंदोलन के कारण बैंक्वेट हॉल, होटल मालिकों की चिंता बढ़ गई है क्योंकि 200 से ज्यादा बैंक्वेट हॉल, होटल, रिसोर्ट, मोटेल बॉर्डर पर स्थित हैं, ऐसे में लोगों को आने-जाने में परेशानी हो सकती है। नोएडा-दिल्ली बार्डर पर चेकिंग के दौरान जाम से बचने के लिए कई लोगों ने मेट्र्रो से दिल्ली की यात्रा की। इस कारण ब्लू लाइन के सेक्टर-15, सेक्टर-16, सेक्टर-18, बोटेनिकल गार्डन आदि मेट्रो स्टेशन पर यात्रियों का दबाव रहा। चिल्ला बार्डर, डीएनडी बार्डर और कालिंदी कुंज बार्डर पर नोएडा से दिल्ली की ओर जा रही बायीं साइड की एक लेन व दाएं साइड की एक लेन पर लगाकर चेकिंग की गई।
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सड़क किनारे बैरिकेड लगाए जाने के कारण वाहन चालकों को दिल्ली जाने के लिए कम लेन मिली। बार्डर पर बोटलनेक बनने से ट्रैफिक जाम रहा। बार्डर से पहले करीब पांच किलोमीटर के दायरे में ट्रैफिक रेंगता रहा। बैरिकेड लगाकर चेकिंग से जाम की समस्या रही। जाम के कारण जरूरी काम से दिल्ली जाने के अलावा, दफ्तर, फैक्ट्री, स्कूल, कालेज जाने वाले कर्मचारियों को परेशानी का सामना करना पड़ा। दिल्ली स्थित एयरपोर्ट जाने वालों को भी परेशानी हुई। लोगों को ट्रैफिक जाम से बचने के लिए अपने घरों से डेढ़ से धो घंटे पहले निकलना पड़ा।
यूपी में हड़ताल पर 6 माह के लिए प्रतिबंध
यूपी सरकार ने किसानों के आंदोलन और लोकसभा चुनाव को देखते हुए यूपी में किसी भी तरह की हड़ताल पर छह माह के लिए प्रतिबंध लगा दिया है। हड़ताली कर्मचारियों के खिलाफ एस्मा के तहत कार्रवाई की जाएगी और उन्हें बिना वारंट के गिरफ्तार कर लिया जाएगा। सरकार ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है। अधिसूचना में कहा गया है कि राज्य सरकार ने लोक हित में यह फैसला किया है। उत्तर प्रदेश अत्यावश्यक सेवाओं का अनुरक्षण अधिनियम-1966 की धारा तीन के तहत यह फैसला किया गया है।
इस दौरान सरकारी विभागों, अर्द्धसरकारी विभागों, निगमों और प्राधिकरणों में हड़ताल करना पूरी तरह से प्रतिबंधित होगा। एस्मा के रूप में सरकार के पास एक ऐसा हथियार है, जिससे वह जब चाहे कर्मचारियों के आंदोलन रोक सकती है। विशेष कर हड़तालों पर प्रतिबंध लगा सकती है और बिना वारंट के कर्मचारी नेताओं को गिरफ्तार कर सकती है। एस्मा लागू होने के बाद यदि कर्मचारी हड़ताल में शामिल होता है तो यह अवैध एवं दंडनीय माना जाता है। बता दें कि यूपी सरकार पहले भी इसी तरह का फैसला दे चुकी है।
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