H3N2 Influenza virus: भयानक सिरदर्द, शरीर में दर्द तो हो जाएं सावधान
इंफ्लूएंजा के विशेषज्ञों के मुताबिक H3N2 फरवरी, मार्च में बहुत तेजी से फैलता है, इस दौरान बहुत सावधान रहने की जरूरत होती है। यह इसलिए भी ज्यादा खतरनाक है, क्योंकि यह वायरस समय के साथ म्यूटेट होता है और उत्तरी गोलार्ध के देशों में आमतौर पर नवंबर में अपनी तीव्रता दिखाता है। जब आप इसकी चपेट में आते हैं तो शुरुआत खांसी से होती है, फिर नाक बहनी शुरू हो जाती है या नाक बंद हो जाती है।
इसका अगला चरण है गले में खरास हो जाती है और भयानक सिरदर्द होने लगता है। फिर शरीर में दर्द के साथ बुखार आता है, कई बार उल्टियां होती हैं, रह रहकर सांस फूलती है। इतनी थकान होती है कि उठा तक नहीं जाता। कुछ लोगों को इससे बहुत ठंड लगती है और कुछ दस्त का भी शिकार हो जाते हैं। 2023 में भारत में H3N2 से 2 मौत होने के बाद चिंता बढ़ गई थी। कुछ रिपोर्ट्स का कहना था कि इस मामले में तीसरी मौत महाराष्ट्र में हुई थी, हालांकि इस पर कोई आधिकारिक पुष्टी नहीं थी। इससे बचाव के लिए सरकार की ओर से तमाम एडवायजरी जारी की गई थी।

6 लाख लोगों की हुई थी मौतें
पहली बार एच3 एन2 साल 1968 में सामने आया था और हांगकांग में बड़ी तादाद में इसकी चपेट में आकर लोग मरे थे। तब जनवरी से मार्च और जुलाई से अगस्त के बीच यहां लोगों ने इंफेक्शन की लहर आ गई थी। हांगकांग से यह आगे बढ़कर सिंगापुर, मलेशिया, फिलिपींस, मलेशिया और ताइवान को भी अपनी चपेट में लिया था। इस इंफ्लूएंजा वायरस की वजह से 19वीं सदी से अब तक 8 बार महामारियों की लहर आ चुकी है।
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कभी यह स्पेनिश फ्लू के रूप में आता है तो कभी एशियन फ्लू के नाम से। कहते हैं स्पेनिश फ्लू, जिसे बॉम्बे फ्लू भी कहते है से करीब 5 करोड़ से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी और इसमें से 2 करोड़ से ज्यादा भारतीय थे। साल 2009 में भी इसके चलते अमेरिका में इंफ्लूएंजा वायरस का यह सबवैरिएंट यानी एच1 एन1 मिला था। वहां से यह दुनिया के तीन दर्जन से ज्यादा देशों में फैल गया और तब इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 11 जून 2009 को महामारी घोषित कर दिया गया था। बहरहाल उस दौर में इससे पूरी दुनिया में करीब 6 लाख लोग काल में समा गए थे।
वायरस में होते हैं 2 प्रोटीन स्ट्रेन
इस वायरस में दो प्रोटीन स्ट्रेन HA और NA होते हैं। ये वास्तव में एच1एन1 का ही एक सबटाइप है। गौरतलब है कि एच1एन1 स्वाइन फ्लू था, जो दो साल पहले काफी डरावना रूप दिखा चुका है। जिस वायरस के होने की आशंका है वह जीवों के जेनेटिक मटेरियल में बदलाव के बाद अपनी प्रतिकृति लाखों की तादाद में गढ़ता है यानी एक इंसान से दूसरे इंसान तक यह आसानी से सफर करता है। इसलिए यह बहुत तेजी से फैलता है और जब इसकी रफ्तार बहुत तेज हो जाती है तो यह जानलेवा भी हो जाता है।

सजग रहे तो आसानी से होगा काबू
लेकिन सब कुछ के बावजूद अगर सजग रहे तो इसे बहुत आसानी से काबू में कर सकते हैं, क्योंकि यह जानलेवा नहीं है बशर्ते हम अपनी गलतियों से इसे ऐसा बना न दे। आराम करें लगातार गुनगुना पानी पीएं। गुनगुने पानी से ही नहाएं। थोड़ी थोड़ी देर में कुछ न कुछ खाते जरूर रहे भले भूख बिल्कुल न लग रही हो। अगर 48 घंटे के बाद स्थिति बिगड़ने लगे तो डॉक्टर के पास जाएं और अगर थोड़े कम हो रही हो तो संयम से रहें और कम से चार दिन तक आराम करते हुए इसके असर को बेअसर करें। वैसे बुरी स्थितियों में करीब 5 फीसदी लोगों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ता है।
सर्दी जुकाम के लक्षणों का मौसम
भारत में मार्च तक वैसे भी सर्दी जुकाम के लक्षणों का मौसम रहता है, लेकिन अगर आप इस बार इस गफलत में हैं तो सजग हो जाइये। इस बार का बुखार, रह रहकर आने वाली खांसी और तेजी से लगने वाली सर्दी अपने पीछे कुछ और ही रहस्य छिपाये हो सकती है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि होली के दिन बाद जब आमतौर पर इस तरह के संक्रमण काफी घट जाते थे, 2022 के दौरान देश में 5 लाख से ज्यादा लोग इसकी चपेट में थे। यह अलग बात है कि बहुत मामूली लोगों को ही आईसीयू में भर्ती कराने की नौबत आ रही थी। यह साधारण सर्दी, जुकाम और नजला नहीं ही नहीं,एच3एन2 इन्फ्लूएंजा भी हो सकता है।
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19वीं सदी में वैज्ञानिकों ने खोजा था
सवाल है आम लोग जो न तो ज्यादा मेडिकल लैंग्वेज की टर्मलोजी जानते हैं और न ही इतने अवेयर हैं, वो कैसे इस छिपे हुए एच3एन2 से बचें। वास्तव में जब नाक, गले के साथ-साथ फेफड़े भी जकड़ने लगें तो इस इन्फ्लूएंजा के संक्रमण की आशंका काफी ज्यादा बढ़ जाती है। 19वीं सदी के आखिरी दिनों में वैज्ञानिकों ने इस इंफ्लूएंजा को ढूंढ़ा था। याद रखिए इंफ्लूएंजा यानी एच3एन2 बच्चों को बहुत ज्यादा और तेजी से संक्रमित करता है।
पिछले साल पश्चिम बंगाल में 100 से ज्यादा छोटे बच्चे इसकी चपेट में थे। बच्चों में फैले इस इंफ्लूएंजा को लेकर आशंका यही है कि यह एच3एन2 ही है हालांकि अभी पुष्टि नहीं है। लेकिन अभी तक पैनिक होने की कोई जरूरत नहीं है। लेकिन इसकी जानकारी होना बहुत जरूरी है।
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