Food and Nutrition: लोगों की खानपान के आदतों की करिये निगरानी
समाज में स्वास्थ्य व खानपान की आदतों के बारे में बढ़ती चिंता के बीच खाद्य तथा पोषण विज्ञान का क्षेत्र बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। खानपान की अनियमित आदतों के चलते मोटापा, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर व अन्य रोगों के बारे में बढ़ती परेशानियों के कारण आहार विज्ञानियों की भूमिका में भारी वृद्धि हुई है। इसके चलते फूड एंड न्यूट्रीशन के क्षेत्र में बेहतर करियर बनाने की संभावनाएं जन्मी हैं। खाद्य तथा पोषण विज्ञान (फूड एंड न्यूट्रीशन साइंस) व्यक्ति विशेष के पोषण का विज्ञान तथा कला है।
विभिन्ना बीमारियों तथा विकारों से पीड़ित लोगों की खानपान आदतों की निगरानी करना, खानपान चार्ट्स तैयार करना, खानपान के रिकॉर्ड का रखरखाव आदि सभी काम खाद्य तथा पोषण विज्ञान के विशेषज्ञों के जिम्मे होते हैं। इन्हें आहार विज्ञानी अथवा पोषणविद् कहा जाता है। वर्तमान समय में खाद्य तथा पोषण विज्ञान एक उभरता हुआ अंतर-विषयक क्षेत्र है जोकि बहुत-से अन्य विषयों को अपने भीतर समाए हुए है।

बन सकते हैं जन-स्वास्थ्य अधिकारी
खाद्य तथा पोषण विज्ञान विषय में अन्य बातों के अलावा खाद्य तथा पोषाहार, खाद्य सेवा प्रबंधन, जन-स्वास्थ्य पोषण आदि का गहन अध्ययन किया जाता है। भारत को कुपोषण तथा अत्यधिक पोषाहार जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। खाद्य तथा पोषण विज्ञान का पाठ्यक्रम करने वाले प्रशिक्षित जन-स्वास्थ्य अधिकारी बड़े पैमाने पर देश में कुपोषण से जुड़े मुद्दों को हल करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं। स्वास्थ्य तथा खानपान की आदतों के बारे में बढ़ती चिंता के बीच खाद्य तथा पोषण विज्ञान का क्षेत्र वर्तमान समय में बहुत महत्व हासिल कर रहा है।
खानपान की अनियमित आदतों के चलते मोटापा, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर व अन्य रोगों के बारे में बढ़ती परेशानियों के चलते आहार विज्ञानियों की भूमिका में भारी वृद्धि हुई है। अस्पताल तथा स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र के अधीन, आहार विज्ञान का क्षेत्र उभरते कार्य क्षेत्रों में से एक हो गया है। स्कूलों, कॉलेजों, रेस्तरांओं, फैक्ट्रियों अथवा ऑफिस कैफेटेरिया के लिए पोषक और संतुलित भोजन की योजना बनाना, पर्यवेक्षण तथा निर्माण आहार विज्ञानियों की देखरेख में किया जाता है। खाद्य विश्लेषक, उत्पाद प्रबंधक, डिमांस्ट्रेटर, बाजार अनुसंधानकर्ता आदि भी इसी क्षेत्र से जुड़े होते हैं।
अच्छा कौशल व अच्छी कम्युनिकेशन स्किल जरूरी
आहार विज्ञानी बनने के लिए खाद्य तथा पोषण और इनसे संबंधित क्षेत्रों में रुचि रखने के अलावा उम्मीदवारों में योजना, अनुसंधान तथा प्रशासन का अच्छा कौशल व अच्छी कम्युनिकेशन स्किल भी होना चाहिए। गृह विज्ञान महाविद्यालयों में खाद्य तथा पोषण/ खाद्य विज्ञान तथा पोषण/ क्लीनिकल पोषण/ खाद्य विज्ञान तथा आहार विज्ञान/ खाद्य सेवा प्रबंधन में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। विज्ञान पृष्ठभूमि (फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी विषय समूह) का कोई भी विद्यार्थी बारहवीं के बाद गृह विज्ञान, खाद्य प्रौद्योगिकी तथा पोषाहार पाठ्यक्रम कर सकता है।

विद्यार्थी इन पाठ्यक्रमों का स्नातक तथा स्नातकोत्तर स्तर पर अध्ययन कर सकते हैं। बीएससी गृहविज्ञान से करने के उपरांत स्नातकोत्तर स्तर पर खाद्य तथा पोषण विज्ञान को विशेष विषय के तौर पर लिया जा सकता है। देश के कुछ कॉलेजों में स्नातक स्तर पर खाद्य तथा पोषण अथवा आहार विज्ञान पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। यदि विद्यार्थी जीव विज्ञान पृष्ठभूमि से स्नातक है, तो प्रवेश परीक्षाओं के उपरांत खाद्य तथा पोषण विज्ञान में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में प्रवेश ले सकता है। जीव विज्ञान अथवा गृहविज्ञान में स्नातक करने के उपरांत एक वर्ष का आहार विज्ञान और जन-स्वास्थ्य पोषण में स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम भी किया जा सकता है, जोकि देश के कई संस्थानों में उपलब्ध है। इस प्रकार के डिप्लोमा पाठ्यक्रम के बाद भी रोजगार की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
व्यापक रोजगार संभावनाएं
पोषाहार के क्षेत्र में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विकास संगठनों जैसे कि यूनिसेफ, सेव द चिल्ड्रन, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम, विश्व खाद्य कार्यक्रम, एक्शन अंगेस्ट हंगर, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउण्डेशन आदि में व्यापक रोजगार संभावनाएं हैं। अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं, जैसे यूनिसेफ तथा विश्व खाद्य कार्यक्रम, राष्ट्रीय तथा राज्य स्तर पर समाज कल्याण तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण जैसे सरकारी विभागों को सलाह प्रदान करती हैं। वे मुख्यत: एकीकृत बाल विकास योजना और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अधीन स्वास्थ्य और पोषण कार्यक्रमों में सहायता प्रदान करते हैं।

अत: वे सामुदायिक स्तर और सरकार को नीतिगत स्तर पर परामर्श देने का काम भी करते हैं। यूनिसेफ के कई आहारविज्ञानी विभिन्ना राज्यों में कार्यरत हैं। उसके बड़ी संख्या में परामर्शदाता भी हैं। इसी प्रकार दूसरे अंतरराष्ट्रीय संगठनों के भी सैकड़ों जन-स्वास्थ्य पोषण तथा खाद्य सुरक्षा क्षेत्र में परामर्शदाता एवं विशेषज्ञ विकास संकेतकों में लाभ के लिए काफी कार्य कर रहे हैं। इस प्रकार कहा जा सकता है कि खाद्य तथा पोषण विज्ञान के क्षेत्र में कोर्स करने के बाद बेहतर करियर बनाने के कई रास्ते खुल जाते हैं। देश-विदेश में रोजगार की बेहतरीन संभावनाएं हैं।
अनुसंधान तथा विकास के अंतर्गत खाद्य तथा पोषण के क्षेत्र में व्यापक संभावनाएं हैं। खाद्य तथा पोषण विज्ञान का कोर्स करने के बाद स्वास्थ्य विभाग, समाज कल्याण विभाग, खाद्य तथा पोषण बोर्ड, भारतीय खेल प्राधिकरण आदि जैसे सरकारी क्षेत्रों में रोजगार पाया जा सकता है। स्वास्थ्य विभाग में खाद्य और पोषण पृष्ठभूमि के साथ पोषाहार सलाहकारों, कार्यक्रम निष्पादक, पोषाहार काउंसलर्स, खाद्य विज्ञानियों की भारी मांग है। महिला तथा बाल विकास विभाग के अधीन भारतीय खाद्य एवं पोषण बोर्ड में खाद्य तथा पोषण पृष्ठभूमि वाले युवाओं की मांग है। उपलब्ध रिक्तियों की संख्या के अनुरूप संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) खाद्य एवं पोषण बोर्ड में विभिन्न पदों के लिए नियुक्तियां करता है। समाज कल्याण विभागों के अधीन बाल विकास कार्यक्रमों और एकीकृत बाल विकास परियोजनाओं में खाद्य तथा पोषण विज्ञान की पृष्ठभूमि वाले पर्यवेक्षकों की बहुत मांग होती है।
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