Sneer or Gossip: दफ्तरों में भी सहकर्मियों के बीच मौखिक तकरार आम
छींटाकशी या फब्ती कसने को आम तौर पर खिलाड़ियों के आक्रामक अहंकार से जोड़ा जाता है, लेकिन मार्केटिंग से लेकर राजनीति और कानून तक दूसरे क्षेत्रों में भी इसके उदाहरण कम नहीं हैं। पुराने राजा भी ऐसा करते थे। मैसेडोनिया के राजा फिलिप द्वीतीय ने अपने दुश्मन राजा को यह संदेश भिजवाया था कि अगर उन्होंने अपनी सेना उनकी जमीन पर उतारी तो उनका समूल नाश कर दिया जाएगा। विरोधी राजा ने सिर्फ एक शब्द में जवाब भिजवाया था- ‘अगर’। दफ्तरों में भी सहकर्मियों के बीच एक-दूसरे पर तंज कसते हुए छींटाकशी या मौखिक तकरार आम है।
जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के मैनेजमेंट विशेषज्ञ जेरेमी यिप कहते हैं, ‘यह बहुत आम है और अक्सर होता है। यह वास्तव में चौंकाने वाला है।’ इस तरह की आक्रामक बातें किसे प्रभावित करती हैं? क्या हम सभी को मखौल उड़ाने की अपनी कला को मांजना चाहिए? यिप कहते हैं, ‘यह बहुत दिलचस्प है, क्योंकि हम तो सोचते थे कि छींटाकशी दूसरे आदमी को नीचा दिखाने और उनके प्रदर्शन को बिगाड़ने का तरीका है। लेकिन हमने पाया कि अगर आपके साथ ऐसा होता है तो विरोधी को पछाड़ने के लिए आप ज्यादा प्रेरित होते हैं।’
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ध्यान भटकाने की कला
इसके फायदे भी कम नहीं। आप अपने विरोधी को उसी की भाषा में जवाब दे सकते हैं। दूसरे, यह भी मुमकिन है कि इससे मिली प्रेरणा से आप दोनों को फायदा हो। अगर ऐसा न हो तो भी इसका एक बड़ा फायदा यह है कि आपका विरोधी पूरी तरह विचलित हो सकता है। यिप और उनकी टीम ने यह भी परीक्षण किया कि क्या आक्रामक बातें रचनात्मकता को भी प्रभावित करती हैं। उन्होंने पाया कि शोधकर्ताओं के उकसावे के बाद क्रिएटिव लोगों का प्रदर्शन बहुत खराब हो गया। इसकी वजह शायद यह है कि रचनात्मक कार्यों में बहुत दिमाग लगाने की जरूरत होती है। इसमें एक साथ कई विचारों पर काम करना पड़ता है और फिर उनको एक नये तरीके से पेश करना पड़ता है।
भड़काऊ बातों से सभी विचारों को एक साथ सही जगह पर रखना कठिन हो जाता है। शोधकर्ताओं ने जब लोगों से पूछा कि आक्रामक बातें आपके काल्पनिक प्रतिद्वंद्वी को कैसे प्रभावित कर सकती हैं तो उनकी उम्मीदों और वास्तविकता में बहुत अंतर दिखा। यिप कहते हैं, ‘हम सटीक रूप से अनुमान लगाते हैं कि यह ध्यान भटकाने वाला है, लेकिन हम यह अनुमान लगाने में विफल रहते हैं कि यह प्रेरक भी हो सकता है।’ कनेक्टिकट यूनिवर्सिटी की कैरेन मैकडरमोट के नेतृत्व में हुए एक अन्य अध्ययन से साबित हुआ कि छींटाकशी से वास्तव में निराशा हो सकती है। बदसलूकी से खिलाड़ी शर्म और गुस्सा महसूस करते हैं। यह विचलित करने वाला होता है और खिलाड़ियों का प्रदर्शन बिगड़ता है।
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खुद को ऊपर करें, दूसरों को नीचे न करें
क्या यह अनैतिक काम दफ्तरों में भी कारगर होता है? यदि हां तो इसे सबसे प्रभावी तरीके से कैसे किया जा सकता है? आक्रामक छींटाकशी पर अभी तक बहुत कम अध्ययन हुआ है। दफ्तरों के परिवेश में कर्मचारियों पर इसके असर की जांच किसी ने नहीं की है, लेकिन मैकडरमोट को लगता है कि उनके अध्ययन से आगे का कुछ रास्ता बन सकता है। वह कहती हैं, ‘मुझे लगता है कि ये प्रभाव कुछ हद तक दफ्तरों में भी प्रभावी होंगे। वहां भटकाव का तत्व जरूर कम हो सकता है, क्योंकि आप ऐसी बातें करेंगे और फिर अपने डेस्क पर वापस चले जाएंगे और इसके बारे में सोचेंगे।’ उनको लगता है कि बुरी बातों का भावनात्मक असर लंबे वक्त तक रहता है और उनकी प्रेरणा को अच्छे या बुरे तरीके से प्रभावित करता है।
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विषय को बड़ी सावधानी से चुना
मैकडरमोट ने अपने अध्ययन में इस विषय को बड़ी सावधानी से चुना था क्योंकि ‘इसमें महिलाओं और समलैंगिक लोगों के प्रति अपशब्द हो सकते हैं।’ वह कहती हैं, ‘मैं किसी को ठेस नहीं पहुंचाना चाहती थी, बस उनकी प्रतिक्रिया लेना चाहती थी।’ बुली बनने के खतरे से बचने का आसान तरीका यह है कि खुद को बेहतर करने के बारे में बात करें, न कि दूसरों को नीचा दिखाने वाली बातें करें। मैकडरमोट माहौल को हल्का-फुल्का रखने और सामने वाले व्यक्ति के साथ सहज रिश्ता बनाने की अहमियत पर भी जोर देती हैं। बेतरतीब ढंग से किसी अनजाने व्यक्ति पर फब्तियां कसने से दोस्ती की कोई गुंजाइश नहीं बचती।