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Reading: Tajamul Islam: किक बॉक्सिंग की सुपरस्टार तजमुल इस्लाम
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WeStory > हिंदी न्यूज़ > Tajamul Islam: किक बॉक्सिंग की सुपरस्टार तजमुल इस्लाम
हिंदी न्यूज़

Tajamul Islam: किक बॉक्सिंग की सुपरस्टार तजमुल इस्लाम

वह अभी मात्र 15 साल की है और दो बार विश्व किक बॉक्सिंग चैंपियन बन चुकी है। उसने अपना पहला विश्व चैंपियन पदक इटली में उस समय हासिल किया था जब वह मात्र 8 वर्ष की थी। दूसरा उसने काहिरा में 2021 में जीता था।

WeStory Editorial Team
Last updated: 2024/05/20 at 6:49 PM
WeStory Editorial Team
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7 Min Read
Tajamul Islam
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Tajamul Islam: सबसे कम आयु की किकबॉक्सर, विरासत में नहीं मिले ‘फूल’

वह अभी मात्र 15 साल की है और दो बार विश्व किक बॉक्सिंग चैंपियन बन चुकी है। उसने अपना पहला विश्व चैंपियन पदक इटली में उस समय हासिल किया था जब वह मात्र 8 वर्ष की थी। दूसरा उसने काहिरा में 2021 में जीता था। वह विश्व चैंपियन बनने वाली संसार में सबसे कम आयु की किकबॉक्सर है। और हां, यह ‘फूल’ उसे विरासत में नहीं मिले हैं। उसने कांटे भरे मार्ग पर संघर्ष किया है। परम्पराओं को तोड़ा है।

Table of Contents
Tajamul Islam: सबसे कम आयु की किकबॉक्सर, विरासत में नहीं मिले ‘फूल’टैलेंट प्रतियोगिता देख नया संसार खुल गयामार्शल आर्ट स्वर्ण पदक विजेता बड़ी बहनघर में खेलों के प्रति दीवानगीओलंपिक पदक जीतना लक्ष्य

बाधाओं को पार किया है। तब कहीं जाकर यह कहने की सफलता हासिल की है, ‘मैं यह हूं, मुझे इस बात की परवाह है और मैं चाहती हूं कि मेरा भारत ऐसा दिखायी दे।’ विख्यात कवि डॉ. वेद प्रकाश वटुक एकदम सही कहते हैं कि हर पीढ़ी को अपनी ‘आज़ादी’ की लड़ाई स्वयं लड़नी पड़ती है। इस मक़ाम तक पहुंचने के लिए तजमुल इस्लाम ने अपनी लड़ाई स्वयं लड़ी है न केवल खेल के रिंग में बल्कि इस दकियानूसी समाज से भी।

Tajamul Islam
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टैलेंट प्रतियोगिता देख नया संसार खुल गया

जम्मू कश्मीर के गांव तार्कपुरा में गुलाम मुहम्मद लोन व कुलसुम बेगम के घर में जन्मी तजमुल जब 5 साल की थी तो वह उन स्कूली छात्राओं के समूह का हिस्सा थी जिसे बांदीपोरा की गोट टैलेंट प्रतियोगिता को लाइव दिखाने के लिए ले जाया गया था। इस कार्यक्रम के ज़रिये भारतीय सेना स्थानीय टैलेंट की तलाश कर रही थी। इस कार्यक्रम को देखकर तजमुल के लिए एक नया संसार खुल गया। वह बताती है, ‘कार्यक्रम में बॉक्सिंग, किकबॉक्सिंग, मुय थाई … आदि सब थे। मुझे प्रतिद्वंद्वी को पीटना अच्छा लगा।’ उस दिन कार्यक्रम से तजमुल इस इरादे के साथ घर लौटी थी कि वह किकबॉक्सर बनेगी लेकिन दुनिया सपने कहां देखने देती,

खासकर अगर आप लड़की हैं तो समस्या अधिक विकट हो जाती है। फिर अगर खेल मारपीट से संबंधित हो तो यह आशंका बनी रहती है कि शरीर के किसी हिस्से पर गंभीर चोट आ गई तो लड़की से शादी कौन करेगा। इसलिए सेब व ड्राई फ्रूट्स विक्रेता पिता ने तजमुल को स्पोर्ट्स में जाने से साफ़ इनकार कर दिया। उन्हें खुद भी डर था और समाज ने भी डरा दिया था कि लड़की को गंभीर चोटें लग सकती हैं और वह कहीं की न रहेगी।

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Tajamul Islam
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मार्शल आर्ट स्वर्ण पदक विजेता बड़ी बहन

यह विरोध तब था जब तजमुल के परिवार में पहले से ही स्पोर्ट्स वुमन मौजूद थी। उसकी बड़ी बहन रज़िया इस्लाम वुशु मार्शल आर्ट में राष्ट्रीय स्तर की स्वर्ण पदक विजेता हैं। उनके भाई अथर इस्लाम व मोहसिन इस्लाम एथलीट्स हैं। एक अन्य बहन लॉ में करिअर बनाने के लिए प्रयासरत है। दरअसल, लोन हमेशा से ही अपनी बेटियों के लिए समता के इच्छुक थे लेकिन उनके विरोध व संकोच की एक अन्य वजह यह भी थी कि वह चाहते थे कि तजमुल अपनी शिक्षा पर फोकस करे और एक स्थिर करिअर का प्रयास करे।

दूसरी ओर तजमुल ने किकबॉक्सर बनने का पक्का इरादा कर लिया था और उसने अपनी बात मनवाने के लिए विरोध-प्रदर्शन आरंभ कर दिया। उसने खाना छोड़ दिया। मुस्कुराना छोड़ दिया और अपनी मां, जो एक गृहिणी हैं, पर दबाव डाला कि वह उनके पिता को उनकी ज़िद पूरी करने के लिए मनाएं। तजमुल बताती है, ‘मेरी मां ने हमेशा ही मेरा साथ दिया। वह मेरी सबसे बड़ी हीरो हैं। उन्होंने ही मुझे अपने लिए लड़ना सिखाया।’ आखि़रकार लोन मान गए और अब वह हर किसी को गर्व से बताते हैं कि उनकी बेटी किकबॉक्सर है।

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Tajamul Islam
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घर में खेलों के प्रति दीवानगी

कुल मिलाकर विश्व चैंपियन बनने तक के सफर में तजमुल ने अपने प्रतिद्वंद्वियों के विरुद्ध संघर्ष किया। परिवार में संसाधनों की कमी के बावजूद हिम्मत नहीं हारी। इस बात की परवाह नहीं की कि वह दकियानूसी ग्रामीण समाज की कश्मीरी लड़की है। हां, उसे इस बात का लाभ अवश्य मिला कि उसके घर में खेलों के प्रति दीवानगी है। उसके पिता लोन ने स्वयं राष्ट्रीय स्तर की 10 किकबॉक्सिंग प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया था। लोन ही तजमुल के पहले कोच बने। सेना के एक अफसर ने भी मदद की। लोन बताते हैं, ‘मैंने तो तजमुल को घर में कोच किया लेकिन 14 राष्ट्रीय राइफल्स के मेजर रघुबीर सिंह ने उसकी प्रतिभा को निखारा और उसे बड़ी प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने के लिए प्रोत्साहित किया।

उन्होंने ही उसकी जबरदस्त क्षमता को देखा और उसके करिअर में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।’ लोन के परिवार के पास जो कुछ भी था उससे वह तजमुल की मदद करने लगा। पिता ने अपनी जमीन बेच दी ताकि वह आगे बढ़ सके। लोन बताते हैं, ‘मुझे ख़ुशी है कि उसने इतनी कम आयु में इतना कुछ हासिल कर लिया है और देश का झंडा अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में बुलंद किया है। आज हर कोई मेरे परिवार को जानता है; प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृह मंत्री अमित शाह से लेकर लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा तक। मुझे इसके अतिरिक्त और क्या चाहिए?’

Tajamul Islam
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ओलंपिक पदक जीतना लक्ष्य

तजमुल बहुत शिद्दत से अपनी कश्मीरी पहचान से परिचित है। वह कहती है, ‘मैं इस तथ्य से बेखबर नहीं हूं कि मैं कश्मीर की एक मुस्लिम लड़की हूं। मुझे एहसास है कि मैंने स्टीरियोटाइप्स तोड़े हैं लेकिन अभी कुछ और बाधाओं को पार करना शेष है।’ वह इस समय गोहाना (हरियाणा) में रहकर ट्रेनिंग कर रही है। वह बॉक्सिंग की भी ट्रेनिंग ले रही है और इसकी प्रतियोगिताओं में भी हिस्सा लेना चाहती है।

उसके अनुसार, ‘किकबॉक्सिंग की प्रतियोगिताएं बहुत कम होती हैं। इसलिए एक नया खेल सीखने में अक्लमंदी है। मुझे इंतज़ार है कि किकबॉक्सिंग ओलिंपिक कार्यक्रम में शामिल हो। जब यह होगा तो मैं भारत के लिए ओलंपिक पदक जीतने की भरपूर कोशिश करूंगी।’

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