Use Water-Auto Sector: पेंट और उसे सही ढंग से फिनिशिंग देने के लिए उपयोग
भारत आने वाले कुछ सालों में ऑटो उद्योग का अड्डा बनने वाला है। भारत में आने वाले कुछ सालों में बड़े स्तर पर कारों का उत्पादन होगा। ऐसे में पानी की कमी भारत को ऑटो सेक्टर का अड्डा बनने से रोक सकती है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एक कार को तैयार करने के लिए लगभग 40 हजार गैलन पानी का इस्तेमाल होता है। इतने पानी को एक आम इंसान 2 हजार दिनों तक इस्तेमाल कर सकता है। ये तो आप जानते होंगे कि कार को बनाने के लिए स्टील और लोहे का इस्तेमाल होता है। कार तैयार करने के लिए जब स्टील और लोहे का इस्तेमाल होता है, तो पहले उसे गर्म करके मोड़ा जाता है।

लोहे और स्टील का उपयोग
कार की बॉडी बनाने के लिए लोहे और स्टील को जल्दी ठंडा करना होता है। ऐसे में भारी मात्रा में पानी का इस्तेमाल होता है, ताकि लोहा और स्टील जल्दी ठंडा हो जाए। इसके बाद लोहे और स्टील को डिजाइन के हिसाब से फोल्ड किया जाता है।
कार बनाने में पानी का इस्तेमाल यहां तक ही सीमित नहीं है। कार की बॉडी तैयार होने के बाद कार का पेंट और उसे सही ढंग से फिनिशिंग देने के लिए भी पानी का काफी इस्तेमाल होता है। इसके बाद कार के कई पार्ट्स को फिट किया जाता है। इसके लिए कार के कई उपकरणों की मशीनों से घिसाई होती है, जिसमें भी पानी का इस्तेमाल होता है। अगर ऐसा नहीं किया जाए तो कार पर चमक नहीं आती है। इस तरह से एक कार तैयार होने में बहुत ज्यादा पानी का इस्तेमाल होता है। एक कार लगभग 40 हजार गैलन पानी खर्च करती है।
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पेंट/कोटिंग से पहले बॉडी साफ
कार को फाइनल टच देने से पहले यानी पेंट और कोटिंग करने से पहले क्लीन किया जाता है। ऑटो इंडस्ट्री में इसके लिए भी पानी का इस्तेमाल किया जाता है। जिसमें कार को क्लीन करने के लिए बेशुमार पानी खर्च किया जाता है। ऐसे में अगर एक कार को तैयार करने में कुल पानी के खर्च की बात की जाए तो ये 40,000 गैलन होता है, जो कि करीब 151416 लीटर होता है। इतने पानी से एक इंसान 2000 दिनों तक अपना जीवन यापन कर सकता है।
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पानी की किल्लत बढ़ रही
देश में पानी की किल्लत बढ़ रही है। नीति आयोग की रिपोर्ट के बाद केंद्र सरकार ने जल संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। लेकिन, पानी जा कहां रहा है? पानी की इतनी बर्बादी कहां हो रही है? क्या पानी खत्म होने के पीछे आम जनता ही दोषी है? दरअसल, पानी की कीमत को आंकना जब तक संभव नहीं है तब तक इसकी बर्बादी की असल कहानी सामने नहीं आएगी।
वाटर फुटप्रिंट नेटवर्क, आईबीएम, वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2025 तक पूरी दुनिया को 20 फीसदी अधिक पानी चाहिए होगा। अनुमान के मुताबिक 2025 तक 3 अरब लोग और जन्म लेंगे। इनमें से हर तीसरे इंसान को पीने और नहाने के लिए पानी के लिए मशक्कत करनी होगी। पानी केवल नहाने, सफाई करने और खाना पकाने तक ही सीमित नहीं है। हमारे रोजाना इस्तेमाल में आने वाले प्रोडक्ट्स को बनाने में भी पानी का ही इस्तेमाल होता है।
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