Friendly Bacteria: माइक्रोबायोम का बैंलेंस बनाने से नहीं फटकेंगी बीमारियों
अब तक आपने सुना होगा कि घर में बैक्टीरिया होने से बीमारियां फैल सकती हैं और इस वजह से लोग अक्सर घर के कोने-कोने को अच्छी तरह साफ करते हैं। माना जाता है कि घर के अंदर जितनी सफाई होगी, उतना ही स्वस्थ रहने में मदद मिलेगी। हालांकि इन दिनों वैज्ञानिक एक नई थ्योरी पर काम कर रहे हैं। उनके मुताबिक घर के अंदर फ्रेंडली यानी अच्छे बैक्टीरिया की डोज डालने से आपकी और आपके परिवार की सेहत को दुरुस्त रखा जा सकता है। सुनकर यह अजीब लग रहा होगा, लेकिन इसके पीछे एक ठोस वजह है, जो सभी को जान लेनी चाहिए। वैज्ञानिकों का कहना है कि हमारे शरीर में बैक्टीरिया, वायरस और अन्य रोगाणुओं की एक कम्यूनिटी होती है, जिसे माइक्रोबायोम कहा जाता है। जिस तरह शरीर में माइक्रोबायोम होता है, ठीक उसी तरह हमारे घर, ऑफिस और अस्पतालों में भी माइक्रोबाइम होता है।

‘प्रोबायोटिक आर्किटेक्चर’ कहलाती एरिया
शरीर के अंदर और बाहर के माइक्रोबायोम का बैंलेंस बनाने से बीमारियों से बचा जा सकता है। कई एक्सपर्ट घरों को बनाने के लिए उपयोग की जाने वाले मेटेरियल्स को लाभकारी बैक्टीरिया से मिक्स करने के तरीकों पर काम कर रहे हैं। इस तरह के एरिया को ‘प्रोबायोटिक आर्किटेक्चर’ के रूप में जाना जाता है। ये वे जगह होती हैं, जहां पर लोगों को बीमारी से बचाए रखने के लिए अच्छे बैक्टीरिया को पनपने में मदद की जाती है। कनाडा की टोरंटो यूनिवर्सिटी के सिविल एंड मिनरल इंजीनियरिंग की असिस्टेंट प्रोफेसर सारा हेन्स इस बारे में रिसर्च कर रही हैं।
उनका कहना है कि हमारे घरों में माइक्रोब्स का एक हेल्दी मिक्सअप हमारी हेल्थ और वेलबीइंग पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। उनकी रिसर्च इस बात पर केंद्रित है कि बिल्डिंग्स लोगों की हेल्थ पर कैसा असर डालती हैं। इस रिसर्च में इनडोर माइक्रोबायोम पर जोर दिया गया है। डॉ. सारा हेन्स के मुताबिक जिस तरह लोग इस उम्मीद में तेजी से प्रोबायोटिक्स लेते हैं कि इससे उनके स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है, ठीक उसी तरह हम अपने घरों में प्रोबायोटिक्स का बीजारोपण कर सकते हैं, ताकि वहां के माइक्रोबायोम को बदला जा सके। इससे ओवरऑल हेल्थ को फायदे मिल सकते हैं।
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‘सिक बिल्डिंग सिंड्रोम’ शब्द का इस्तेमाल
एक्सपर्ट की मानें तो अधिकतर लोग अपना ज्यादातर समय घर के अंदर बिताते हैं और हमारे घरों व अन्य इमारतों में जो होता है, वह हमारे स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। इनडोर माइक्रोबायोम हमारे शरीर के अंदर के माइक्रोबायोम जितना ही संतुलित होगा। कई शोधकर्ता अनुकूल बैक्टीरिया वाले क्लीनिंग प्रोडक्ट का उपयोग करके अस्पतालों के भीतर माइक्रोबायोम में हेरफेर करने के तरीकों पर काम कर रहे हैं।
उम्मीद है कि ये ‘अच्छे’ बैक्टीरिया घर में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया को दूर रखने में मदद करेंगे। यह सभी जानते हैं कि इमारतों के भीतर का वातावरण लोगों को बीमार कर सकता है। साल 1983 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने पहली बार सिरदर्द, घरघराहट और आंखों से पानी निकलने जैसे लक्षणों को परिभाषित करने के लिए ‘सिक बिल्डिंग सिंड्रोम’ शब्द का इस्तेमाल किया था।
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मॉडर्न लाइटिंग सिस्टम को जिम्मेदार
डब्ल्यूएचओ के अनुसार इस सिंड्रोम के लिए खराब हवादार इमारतों और मॉडर्न लाइटिंग सिस्टम को जिम्मेदार ठहराया था। अमेरिका की शिकागो यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने कई लोगों को खुद के साथ-साथ अपने घरों में लाइट स्विच, फर्श और काउंटरटॉप्स को साफ करने के लिए कहा और उन्होंने पाया कि प्रत्येक घर में एक अलग माइक्रोबायोम था। जब 6 सप्ताह के अध्ययन के दौरान 3 परिवार अपने दूसरे नए घर चले गए, तो वहां जाने के कुछ घंटों के भीतर नए घरों में माइक्रोबायोम बदल गया। इन परिणामों से पता चला कि कैसे लोगों के माइक्रोब्स का इनडोर माइक्रोबायोम पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। हालांकि घर के माइक्रोबायोम पर अन्य चीजें भी प्रभाव डालती हैं, जैसे कि पालतू जानवर, नमी का स्तर, वेंटिलेशन और आपके घर की साफ सफाई।
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