Democracy in Kashmir: लोकसभा चुनाव में रिकॉर्ड मतदान से उत्साह की लहर
कश्मीर घाटी में इस साल दो अहम घटनाएं हुईं हैं, पहली घटना- श्रीनगर के विश्व प्रसिद्ध ट्यूलिप गार्डन में फूलों की संख्या में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई और वहीं दूसरी घटना लोकसभा चुनाव में रिकॉर्ड मतदान हुआ है जो घाटी में लोकतंत्र की सुखद आहट का प्रतीक है। इस बार ट्यूलिप की 71 किस्मों ने पर्यटकों और स्थानीय लोगों को समान रूप से मंत्रमुग्ध कर दिया है। परिणामस्वरूप, इस बार लाखों पर्यटक फूलों की सुंदरता देखने के लिए घाटी में पहुंचे हैं। वहीं पिछले कुछ चुनावों की तुलना में इन बार बारामूला और श्रीनगर में मतदान के आंकड़ों ने पुराने रिकार्ड को तोड़ दिया है। बारामूला में 59.1 फीसदी मतदान हुआ, 1984 के बाद यह पहली बार है कि इतना बड़ा मतदान हुआ है। 1984 में 61.1 फीसदी मतदान हुआ था, इसी तरह श्रीनगर लोकसभा क्षेत्र में 38 फीसदी मतदाता घर से बाहर निकलकर अपने मताधिकार का उपयोग किया। यहां 1996 के बाद पहली बार मतदाताओं में उत्साह देखने को मिला। जबकि अनंतनाग-राजौरी में 53% मतदान हुआ। घाटी में 1989 से अब तक हुए पिछले आठ लोकसभा चुनावों की तुलना में औसतन मतदान प्रतिशत में 15-20% की वृद्धि हुई है।
अलगाववादियों को बड़ा झटका आर्टिकल 370 का हटना
दिलचस्प बात यह है कि मतदान के दौरान कोई अप्रिय घटना नहीं हुई, कोई पथराव नहीं हुआ, कोई हिंसा नहीं हुई। मतदाता बिना किसी परेशानी के मतदान केंद्रों की ओर जाने को उत्सुक थे। बडगाम, गांदरबल, पुलवामा और शोपियां जैसे संवेदनशील इलाकों में भी शांति रही। 5 अगस्त, 2019 को जब गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर में लागू अनुच्छेद 370 को हटाने के लिए राज्यसभा का रुख किया तो न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया हैरान रह गई। आर्टिकल 370 हटाए जाने के फैसले के बाद यहां बहुत परिवर्नत आया। किसी ने नहीं सोचा था कि सरकार इतना साहसिक कदम उठाएगी, लेकिन सरकार ने आगे बढ़ने की रणनीति बना ली थी, मामला सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के सामने आया, वहां भी फैसला सरकार के पक्ष में आया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 370 अस्थायी था, सुप्रीम कोर्ट का फैसला अलगाववादियों के लिए बड़ा झटका था। लोकतंत्र के उत्सव में जनता की भागीदारी काफी बढ़ी। वे न केवल वोट देने निकले, बल्कि प्रचार सभाओं में उनकी भागीदारी भी उल्लेखनीय रही।

रिकॉर्ड तोड़ मतदान का जश्न
कश्मीर में चुनाव कराना हमेशा से एक सिरदर्द रहा है, पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों और अलगाववादियों ने हमेशा लोकतांत्रिक प्रक्रिया में बाधा डाली है, लेकिन इस बार हर जगह शांति थी. कड़ी सुरक्षा के बीच लोगों ने सुनहरे भविष्य की उम्मीद के साथ मतदान में हिस्सा लिया। इस सच्चाई को राज्य के राजनीतिक दलों ने भी स्वीकार कर लिया है। पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती ने प्रचार सभाओं में धारा 370 की बहाली की जोरदार मांग नहीं की. स्थानीय स्तर पर बदले माहौल का अर्थव्यवस्था पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। हालांकि, जम्मू-कश्मीर प्रशासन और भाजपा सरकार ने भी रिकॉर्ड तोड़ मतदान का जश्न मनाया है और इसे ‘नया कश्मीर’ के लिए अपनी दृष्टि और नीतियों का ‘सबूत और सफलता’ बताया है। उनका दावा है कि चुनाव सहित सुचारू लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के संचालन को सुनिश्चित करने के लिए शांति स्थापित की गई है, जिससे वोट पर्सेंटेज बढ़ा। बीजेपी ने कहा कि आतंकवाद अपनी अंतिम सांसें ले रहा है और क्षेत्र में सामान्य स्थिति बनाए रखने के लिए कई अलगाववादी संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। उनके इको सिस्टम को अवरुद्ध कर दिया गया है।’
स्थानीय युवाओं को मिलेगा रोजगार
दुबई स्थित निर्माण कंपनी एम्मार ने कश्मीर घाटी में काम करने की पहल की है। लूलू मॉल का काम शुरू हो गया है. वहीं, मध्य एशिया की अन्य कंपनियां भी निवेश के लिए आगे आई हैं। जिससे स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा। एम्मार कंपनी दुबई की जानी मानी रियल एस्टेट कंपनी है। एम्मार कंपनी सार्वजनिक क्षेत्र में काम करती है औऱ दुबई स्टॉक एक्सजेंच में लिस्टेट है। एम्मार वही कंपनी है जिसने दुनिया की सबसे ऊंची इमारत बुर्ज खलीफा का निर्माण करवाया था। एक आंकड़े के मुताबिक इस कंपनी की वैल्यू करीब 16 बिलियन डॉलर से अधिक की है। कंपनी इंटरनेशनल लेवल की प्रॉपर्टी की सेवाएं देती है औऱ अफ्रीका के 37 से अधिक बाजारों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुकी है. कंपनी में 6600 से अधिक लोग काम करते हैं। वहीं राज्यपाल शासन के बाद से कश्मीर में व्यापक प्रशासनिक सुधार हुए हैं। भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा है और इससे कुछ हद तक नागरिकों का काम भी हो रहा है। वेतन बढ़ाया गया है और कर्मचारियों की वित्तीय स्थिति में सुधार हो रहा है। ढांचागत विकास तेजी से किया जा रहा है।
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अलगाववादियों से दूर हो रहे हैं युवा
जलवायु परिवर्तन के कारण युवा अलगाववादियों से दूर हो रहे हैं। इस चुनाव के अवसर पर कश्मीर के लोग लोकतंत्र की वापसी का अनुभव कर रहे हैं और इसका परिणाम यह है कि अलगाववादियों के मुंह बंद हो गए हैं। मुख्य निर्वाचन अधिकारी के मुताबिक, मतदान प्रतिशत में बढ़ोतरी को कानून-व्यवस्था में सुधार के संकेत के तौर पर देखा जा सकता है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि नागरिकों ने वोट की ताकत को पहचान लिया है। उनका दृढ़ विश्वास हो गया है कि एक वोट कश्मीर घाटी का चेहरा बदल देगा। उन्हें लोकतंत्र पर पूरा भरोसा है। बूथ पर काम करने वाले एक युवक को अब एक सपना सच होने की संभावना महसूस हो रही है। उनके मुताबिक, हमारा दृढ़ विश्वास है कि हमारी आवाज संसद में सुनी जाएगी। आज जम्मू कश्मीर में शांति कायम है और हड़ताल के दिन अब इतिहास बन गए हैं। दुनिया ने पुलवामा, त्राल, शोपियां के युवाओं और लोगों को हाथों में तिरंगा है और लोग इस तिरंगे को लेकर अपने घरों से बाहर निकल रहे हैं।

राज्य में विकास को मिली नई गति
– 5000 से अधिक देशी और विदेशी कंपनियों से निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं
– हर दिन 8 कंपनियों ने जम्मू-कश्मीर में निवेश करने की इच्छा व्यक्त की है
– केंद्र शासित प्रदेश में हर दिन एक नया उद्योग चालू हो रहा है.
– 45 उद्योगों ने अपना परिचालन शुरू किया गया है
– 38,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं के लिए शिलान्यास कर चुके हैं प्रधानमंत्री पहले ही राज्य में
– श्रीनगर का मॉल सबसे अहम परियोजनाओं में से एक है
– मॉल में कम से कम 500 दुकानें होंगी और यहां लुलु ग्रुप हाइपरमार्केट भी संचालित करेगा
– श्रीनगर में एक आईटी टावर विकसित होगा
– मेगा-मॉल जम्मू- कश्मीर में पहला महत्वपूर्ण एफडीआई निवेश है, जो मार्की परियोजनाओं में निवेश की सुविधा प्रदान करता है, इसके 2026 तक चालू होने की उम्मीद है, इस मॉल के शुरू होने से सैकड़ों लोगों को रोजगार मिलेगा और कई लोग अपना व्यवसाय शुरू करेंगे ।
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