Gadgets Become Enemies: दिमाग को तरोताजा रखना है तो दूरी बनाएं
Gadgets Become Enemies: आज की जीवनशैली को देखते हुए इन सबसे पूरी तरह से दूरी बना ली जाए, लेकिन जिस तरह की सेहत संबंधी समस्याएं गैजेट्स के कारण बढ़ रही हैं, उनको देखते हुए जरूरी हो जाता है कि हम अपने कामकाज के लिए कोई ऐसा गैजेट्स चुनें जो सबसे कम नुकसानदायक हो और इसके साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि इसके इस्तेमाल में सजगतापूर्ण ढंग से जितनी सावधानी बरती जा सके, उतनी बरतनी चाहिए।
लगातार फोन पर मैसेज करने से अंगूठे में दर्द रहने लगता है। इसलिए हमें ऐसे फोन का चुनाव करना चाहिए जिसमें सारी उंगलियों का इस्तेमाल टाइपिंग के दौरान हो। यह सच है कि चिकित्सकों की गैजेट्स के इस्तेमाल पर रोक को आज की जीवनशैली के दबाव के चलते नहीं माना जा सकता, लेकिन यह तो किया ही जा सकता है कि हम थोड़े-थोड़े समय के लिए इनसे दूरियां भी बनाते रहें। इससे हमारी मांसपेशियों को आराम मिलेगा और हमारा दिमाग भी तरोताजा रहेगा।

अनेक प्रकार की बीमारियां घेर रही हैं
एक अध्ययन में पाया गया कि हर समय गैजेट का इस्तेमाल करने वालों में नसों का दर्द, गर्दन का दर्द, कमर के ऊपरी और निचले हिस्सों में दर्द, बच्चों में छाती, कंधे, बाजू और हाथों में दर्द की शिकायते देखने में आई हैं। कंप्यूटर का ज्यादा इस्तेमाल करने वाले, मोबाइल फोन पर दिन-रात मैसेज करने वाले, वीडियो गेम खेलने वाले लोगों में इस तरह के डिसऑर्डर एक दशक से भी पहले दिखने लगे थे। बाद के समय में ये घटे नहीं, उल्टे बढ़े ही। वास्तव में डेस्कटॉप की स्क्रीन पर लगातार काम करने से कंप्यूटर विजन सिंड्रोम जैसी समस्या अब पुरानी बात हो गई है।
दिन-रात मैसेज टाइप करके भेजने में अंगूठे में लगातार होने वाला दर्द, आईपैड पर काम करने के दौरान गर्दन में होने वाली परेशानी गर्दन की मांसपेशियों को ऐसी स्थिति में ला देती हैं जिससे गर्दन घुमाना मुश्किल हो जाता है। चूंकि गर्दन का संबंध हमारे शरीर की दूसरी हड्डियों से भी होता है, जिसके कारण हमें उठने-बैठने में परेशानी होती है। लैपटॉप पर काम करने के दौरान लंबे समय तक बैठने से जोड़ों पर दबाव बढ़ता है।
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आधी से ज्यादा जनसंख्या उलझी रहती है
एक जमाना था, जब हमारे पास केवल डेस्कटॉप कंप्यूटर और टेलीविजन हुआ करता था। लेकिन आज की तारीख में लैपटॉप, स्मार्टफोन, ई-बुक, टेबलेट जैसे अनेक गैजेट्स हैं, जो हमें कार्यस्थलों, यात्राओं, पिकनिक स्थलों और रेस्त्रां आदि में ही व्यस्त नहीं रखते, बल्कि घर में भी अकसर लोग इन्हीं सबमें तल्लीन दिखते हैं। हम नजर उठाकर देखें तो इर्दगिर्द हर तरफ इन तमाम गैजेट्स का खूब यूज और मिसयूज होता दिखता है। हर गुजरते दिन के साथ इनका इस्तेमाल करने वालों की संख्या में इजाफा हो रहा है। कुछ साल पहले नोर्टन ने अपने एक व्यापक अध्ययन में पाया था
कि भारत की आधी से ज्यादा जनसंख्या ज्यादातर समय अपने फोन में इंटरनेट से संपन्न होने वाली गतिविधियों में उलझी रहती है। 56 फीसदी से ज्यादा भारतीय हर समय अपने स्मार्टफोन में ही इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं। गैजेट्स में लगातार उलझे इन लोगों की सेहत पर इसका जबरदस्त असर हो रहा है। लगातार इन गैजेट्स का इस्तेमाल करने के कारण इनसे होने वाली नई-नई बीमारियों का पता चल रहा है। कुछ साल पहले अस्तित्व में आई ‘ब्लैक बेरी थम, आईपैड नैक’ जैसी बीमारियों के नाम वास्तव में इन्हीं गैजेट्स के इफेक्ट्स की देन हैं। लोगों के ज्यादा से ज्यादा गैजेट्स इस्तेमाल पर चिकित्सकों की चिंताएं लगातार बढ़ रही हैं।

नजर घटने की समस्या
अगर हाल के वर्षों के आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि गर्दन, हाथों और कलाइयों में दर्द के मामलों में लगातार अच्छी खासी बढ़ोतरी हो रही है। जो बच्चे लगातार अपने मोबाइल में वीडियो गेम खेलते हैं, उनके हाथ के अंगूठों में स्थाई दर्द रहने लगा है। लेकिन यह कोई साल-दो साल पहले पैदा हुई समस्या नहीं है। चिकित्सकों का मानना है कि इन सारी चीजों से नजर घटने की समस्या तो होती ही है,
साथ ही कलाई पर बार-बार पड़ने वाला जोर बाजू के अगले हिस्से, कंधे, गर्दन के निचले हिस्से और गर्दन के लगातार एक ही स्थिति में झुके रहने से दर्द की समस्या बढ़ जाती है और धीरे-धीरे यह स्थायी पीड़ा बन जाती है। हर समय गैजेट्स के इस्तेमाल से और मसल्स के बार-बार हिलने से हाथों, कंधों और कमर में खिंचाव हो जाता है। लैपटॉप से विशेष तौर पर इस समस्या का सामना करना पड़ता है। स्वास्थ्य के जानकार कहते हैं टेबलेट का इस्तेमाल लगातार टाइपिंग के लिए नहीं करना चाहिए। क्योंकि उंगलियों की अपेक्षा अंगूठे पर इसका ज्यादा बुरा असर पड़ता है। इस तरह की समस्याएं जहां पहले 40 साल तक के लोगों में होती थीं, अब ये समस्याएं 20 साल तक के लोगों में भी बहुत आसानी से देखी जा सकती है। गलत ढंग से बैठने के कारण मेरुदंड पर भी गलत असर होता है।
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छुटकारा कैसे पाया जाए?
अब सवाल यह पैदा होता है कि इस आवश्यक बुराई से छुटकारा कैसे पाया जाए? इसके लिए सही तरीके से बैठकर काम करें और बीच-बीच में ब्रेक लें। लगातार लंबे समय तक काम करना भी खतरनाक है। यदि प्रतिदिन इनका 9 घंटे से भी ज्यादा गैजेट्स का इस्तेमाल किया जाता है तो कई तरह से सेहत पर इसके बुरे असर होते हैं। रेलवे स्टेशनों के वेटिंग रूम्स, प्लेटफॉर्म्स, कंपार्टमेंट्स, रेस्त्रां या कहीं भी अगर हम कुछ लोगों को एक साथ बैठे देखते हैं तो ज्यादातर को अपने-अपने मोबाइल फोन्स में बिजी पाते हैं।
हर कोई चाहे युवा हो, अधेड़ हो, टीनएजर हो, इन स्मार्टफोन में उलझा दिखाई पड़ता है। लोग मैसेज भेजने, रिसीव करने, रील देखने, फेसबुक के अपडेट्स और रह-रहकर फोन में आने वाले नोटिफिकेशंस आदि में ही गुम दिखते हैं। उनकी अंगुलियां फोन के की-बोर्ड में लगातार गतिशील रहती हैं। कंधे तने रहते हैं, गर्दन झुकी रहती है और कलाइयां किसी स्पिनर की कलाइयों की तरह अकसर घूमती रहती हैं। मतलब यह कि जब लोग काम नहीं कर रहे होते, तब भी उनके कंधे, गर्दन और कलाइयां काम के बोझ से लदी रहती हैं।
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