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Reading: Naxal in Chhattisgarh: नक्सलवाद खत्म को खत्म करने सरकार का बड़ा संकल्प
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हिंदी न्यूज़

Naxal in Chhattisgarh: नक्सलवाद खत्म को खत्म करने सरकार का बड़ा संकल्प

Naxal in Chhattisgarh: पिछले 30 वर्षों में भारत का जबदस्त आर्थिक विकास हुआ है लेकिन देश में तीन प्रमुख मुद्दों ने अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य पर इसकी प्रगति, इसके विकास और इसकी राष्ट्रीय एकता को खतरे में डाला है।

WeStory Editorial Team
Last updated: 2024/06/25 at 10:28 AM
WeStory Editorial Team
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7 Min Read
Naxal in Chhattisgarh
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Naxal in Chhattisgarh: जून 2024 तक 392 से ज्यादा नक्सलियों को पकड़ा जा चुका

Naxal in Chhattisgarh: पिछले 30 वर्षों में भारत का जबदस्त आर्थिक विकास हुआ है लेकिन देश में तीन प्रमुख मुद्दों ने अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य पर इसकी प्रगति, इसके विकास और इसकी राष्ट्रीय एकता को खतरे में डाला है। ये हैं जम्मू और कश्मीर संघर्ष (स्वतंत्र भारत जितना ही पुराना), पूर्वोत्तर राज्यों में अलगाववादी आंदोलन (जो 1950 के दशक की शुरुआत से ही चल रहे हैं) और नक्सली विद्रोह (जो 1960 के दशक के अंत में पश्चिम बंगाल में शुरू हुआ था)।

Table of Contents
Naxal in Chhattisgarh: जून 2024 तक 392 से ज्यादा नक्सलियों को पकड़ा जा चुका1967 में हुआ था नक्सलबाड़ी विद्रोहछत्तीसगढ़ सरकार की नक्सल विरोधी रणनीतिकोर इलाके में घुसपैठराज्य पुलिस की भूमिका अहम( नक्सली घटनाओं का आंकड़ा-2024 )

1967 में, कम्युनिस्ट आंदोलन से प्रेरित उत्पीड़ित किसानों ने नक्सलबाड़ी में सामंती भूस्वामियों के खिलाफ अपने धनुष और तीर उठाए। 2019 में, प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी), जिसे माओवादी या नक्सलवादी के रूप में भी जाना जाता है, ने खनन निगमों और विकास परियोजनाओं के खिलाफ अपने उन्नत, अधिक परिष्कृत हथियारों को उठाया, जो खनिज-समृद्ध मिट्टी का दोहन करने के लिए स्वदेशी जनजातियों (या आदिवासी, आदिवासी आबादी का वर्णन करने के लिए एक छत्र शब्द) को उनकी पैतृक भूमि से बेदखल करने की धमकी देते थे। समय बदल गया है, लेकिन माओवादियों का उद्देश्य नहीं बदला है, उत्पीड़कों से भूमि जब्त करना और इसे लोगों में पुनर्वितरित करना। इस सशस्त्र संघर्ष के परिणामस्वरूप मानवाधिकारों का उल्लंघन, बड़े पैमाने पर विस्थापन और 2018 तक कम से कम 12,000 मौतें हुई हैं।

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Naxal in Chhattisgarh
Naxal in Chhattisgarh

1967 में हुआ था नक्सलबाड़ी विद्रोह

Naxal in Chhattisgarh: नक्सलवाद का जन्म 1967 में नक्सलबाड़ी विद्रोह से माना जाता है। नक्सलबाड़ी, वह गाँव जिसने आंदोलन को अपना नाम दिया, वह राज्य के भूमि मालिकों के खिलाफ कम्युनिस्ट नेताओं द्वारा भड़काए गए किसान विद्रोह का स्थल था। जबकि इस समय, भारत 20 वर्षों से अंग्रेजों से स्वतंत्र था, देश ने औपनिवेशिक भूमि काश्तकारी प्रणाली को बरकरार रखा था।

ब्रिटिश साम्राज्यवादी व्यवस्था के तहत, स्वदेशी जमींदारों को कर राजस्व के संग्रह के बदले में जमीन के टुकड़े दिए जाते थे और मध्ययुगीन यूरोपीय सामंती व्यवस्थाओं की तरह, ये जमींदार किसानों को उनकी उपज के आधे हिस्से के लिए अपनी जमीन उप-पट्टे पर देते थे। जैसा कि 1971 की जनगणना से पता चलता है, लगभग 60% आबादी भूमिहीन थी, भूमि का बड़ा हिस्सा सबसे अमीर 4% लोगों के पास था। जबकि इस घटना ने नक्सलवादी आंदोलन की शुरुआत को चिह्नित किया जैसा कि हम आज जानते हैं, यह समझना महत्वपूर्ण है कि इसका उदय समय के साथ भारत में कम्युनिस्ट विचारधाराओं के विभिन्न विखंडनों का परिणाम है।

Naxal in Chhattisgarh
Naxal in Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ सरकार की नक्सल विरोधी रणनीति

छत्तीसगढ़ सरकार की नक्सल विरोधी रणनीति के बारे में छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री विजय शर्मा ने कहा कि अधिकारी और जवान वही हैं, लेकिन सरकार और उसके संकल्प बदल गए हैं। उन्होंने जम्मू-कश्मीर का उदाहरण देते हुए कहा कि जम्मू -कश्मीर में भी कुछ नहीं बदला है, बस पीएम मोदी की सरकार और अमित शाह का संकल्प बदला है। सरकार का संकल्प भी एक अहम भूमिका निभाता है।

उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि तीन साल में नक्सलवाद खत्म हो जाएगा। एक अच्छी सरेंडर नीति लागू करने और नक्सलवाद से ग्रसित लोगों के लिए राहत उपाय करने की प्लानिंग है। वहीं बस्तर रेंज के आईजीपी ने सुंदरराज पी ने बताया कि नक्सलियों को ढेर करने के पीछे का बड़ा राज यह है कि राज्य की पुलिस और केंद्रीय बल आपस में बेहतर तालमेल बैठा पा रहा है। इसके अलावा पिछले कुछ सालों में नक्सली इलाकों में कैंप भी खोले गए हैं।

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कोर इलाके में घुसपैठ

एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ में जब कोर इलाके में घुसपैठ की बात आती है तो सिर्फ 5 महीनों के अंदर पुलिस ने कोर इलाकों में 32 कैंप लगाए हैं। हर साल करीब 16-17 कैंप ही लगाए जाते हैं। सुंदरराज ने कहा कि बेहतर कोऑर्डिनेशन के साथ कई फोर्स ने जिले में अभियान चलाने में काफी मदद की है। ज्यादातर ऑपरेशन राज्य की फोर्स और सीआरपीएफ, कोबरा, आईटीबीपी और बीएसएफ जैसी टीमों ने चलाए हैं।

उन्होंने कहा कि इस साल में अब तक 392 नक्सलियों को पकड़ा जा चुका है और 399 ने सरेंडर किया है। केंद्र के एक सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि राज्य पुलिस ने अपनी भूमिका बखूबी निभाई है। इनमें से ज्यादातर एनकाउंटर राज्य पुलिस के द्वारा ही किए गए हैं। साथ ही, डीआरजी भी बेहतर तरीके से काम कर रही है और अब पूरी ताकत के साथ काम कर रही है।

Naxal in Chhattisgarh
Naxal in Chhattisgarh

राज्य पुलिस की भूमिका अहम

अधिकारी ने कहा कि नक्सलियों को खदेड़ने में राज्य पुलिस की भूमिका अहम है। हालांकि, पुलिस के सूत्रों ने बताया कि पिछली कांग्रेस सरकार ने भी नक्सलियों के खिलाफ सख्त रुख अख्तियार किया था। सेना ने अपनी रणनीति में काफी सुधार किया है।

हाल ही में छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ में 8 नक्सलियों को ढेर कर दिया। गोली लगने की वजह से एक जवान शहीद भी हो गया है। छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के बाद से नक्सल विरोधी अभियानों में तेजी देखने को मिली है। केंद्र ने भी नक्सलियों के खिलाफ सख्त नीति अपनाई हुई है।

Naxal in Chhattisgarh
Naxal in Chhattisgarh


—————-

( नक्सली घटनाओं का आंकड़ा-2024 )

  1. – 136 नक्सली हुए ढेर 2024 के 6 महीने से कम समय में
  2. – 05 शवों को अब तक खोज नहीं पाई पुलिस
  3. – 24 नक्सली ढेर किए गए थे 2023 में
  4. – 134 नक्सलियों को ढेर किया गया था 2016 में
  5. – 72 अभियानों में हुआ गोलीबारी जिसमें 136 नक्सली हुए ढेर
  6. – 22 आम लोगों की जानें गईं अब तक (मध्य जून 2024)
  7. – 10 जवान शहीद भी हुए अब तक
  8. – 210 नक्सली को ढेर किए गए कांग्रेस सरकार के राज में 5 साल में
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