Geographic Information System: पृथ्वी की भौगोलिक आकृतियों का डिजिटल रूप
Geographic Information System: आज के दौर में ज्योग्राफिक इन्फॉर्मेशन सिस्टम यानी जीआईएस का महत्व तेजी से बढ़ता जा रहा है। यह ऐसी तकनीक है जिसके माध्यम से आप अपने डेस्टिनेशन तक पहुंचने का रास्ता कंप्यूटर या मोबाइल पर पता लगा लेते हैं। अब मान लीजिए कि यदि आप मुंबई में हों और आप गेटवे ऑफ इंडिया जाना चाहते हों, लेकिन रास्ता नहीं मालूम।
इस समस्या का समाधान किसी से बिना पूछे यदि क्षण भर में हो जाए तो आप कितना रिलेक्स फील करेंगे? यह विज्ञान का कमाल ही तो है। इसके बढ़ते महत्व और उपयोगिता को देखते हुए विभिन्न विश्वविद्यालयों और संस्थानों में इसकी प-सजय़ाई होने लगी है। इसमें कॅरिअर का बेहतरीन विकल्प मौजूद है। दरअसल ज्योग्राफिकल इन्फॉर्मेशन सिस्टम से पृथ्वी की भौगोलिक आकृतियों, भू-भागों आदि को डिजिटल रूप में पेश किया जाता है। यह एक हाईटेक तकनीक है, जिसमें किसी भी डाटा को एनालॉग से डिजिटल तकनीक में बदला जाता है।

हाईटेक मानचित्र कहा जाता है
ज्योग्राफिकल इन्फॉर्मेशन सिस्टम से प्राप्त मानचित्रों को हाईटेक मानचित्र कहा जाता है। ये मानचित्र न केवल तकनीकी रूप से बहुत उन्नत होते हैं बल्कि उनसे भौगोलिक दृश्यों को सरलता से प्रदर्शित भी किया जा सकता है। इसमें किसी भी स्थान की स्थिति को उस स्थान पर जाए बिना ही अपने कंप्यूटर पर देखा और बनाया जा सकता है। ज्योग्राफिकल इन्फॉर्मेशन सिस्टम से भौगोलिक परिवर्तनों को जाना जा सकता है।
इसमें प्रायः थ्री डायमेंषनल तकनीक से बने मॉडलों को आधार बनाया जाता है। ऐतिहासिक धरोहरों की मॉडलिंग में भी यह तकनीक प्रयोग होने लगी है। ज्योग्राफिकल इन्फॉर्मेशन सिस्टम तकनीक में एरियल फोटोग्राफी और डिजिटल मैचिंग तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है। जीआईएस कार्यों में भूगोल, गणित, सांख्यिकी जैसे विषयों के अलावा कंप्यूटर ग्राफिक्स, कंप्यूटर, प्रोग्रामिंग, डाटा प्रोसेसिंग व संग्रहण तथा मैपिंग के लिए कंप्यूटर कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी का प्राथमिकता से प्रयोग किया जाता है। मानचित्रों तथा कार्टोग्राफी के अतिरिक्त भी अन्य कई क्षेत्रों में ज्योग्राफिकल इन्फॉर्मेशन सिस्टम का उपयोग किया जा रहा है। जीआईएस में कई क्षेत्र हैं।

स्नातक की डिग्री जरूरी
यदि आप तकनीक की दुनिया में उभर रहे जीआईएस तकनीक में करियर को एक अलग मुकाम देने का मन बना चुके हैं, तो जीआईएस में पोस्ट ग्रेजुएशन, डिप्लोमा, सर्टिफिकेट आदि कोर्स कर सकते हैं। आमतौर पर जिओलॉजी, अप्लायड जिओलॉजी, अर्थ साइंस, जिओग्राफी, जिओसाइंस बीएससी, बीई, बीटेक आदि में स्नातक की डिग्री रखने वाले स्टूडेंट्स इस कोर्स में दाखिला ले सकते हैं।
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शिक्षण संस्थानों में जीआईएस से संबंधित कोर्सेज उपलब्ध
देश के तमाम प्रमुख शिक्षण संस्थानों में जीआईएस से संबंधित कोर्सेज उपलब्ध हैं। इस क्षेत्र की प्रमुख शिक्षण संस्थान इंस्टीट्यूट ऑफ जिओ-इन्फॉर्मेटिक्स एंड रिमोट सेंसिंग के अंतर्गत आने वाले इंस्टीट्यूट से लांग और शॉर्ट टर्म कोर्सेज कर सकते हैं। यहां मुख्य रूप से पोस्ट ग्रेजुएट सर्टिफिकेट इन जीआईएस एंड आरएस (अवधि: छह माह), पोस्ट ग्रेजुएट सर्टिफिकेट इन जीआईएस प्रोग्रामिंग कोर्स (अवधि: चार माह) आदि कोर्सेज उपलब्ध हैं।
आईआईटी रुड़की और आईआईटी कानपुर से रिमोट सेंसिंग और जिओ-इन्फॉर्मेटिक का कोर्स कर सकते हैं। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग (देहरादून) में जीआईएस से संबंधित एमटेक, एमएससी, पोस्ट-ग्रेजुएट डिप्लोमा, सर्टिफिकेट आदि कोर्सेज उपलब्ध हैं। बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी में भी आप एमएसएसी जीआईएस एंड रिमोट सेंसिंग कोर्स में दाखिला ले सकते हैं। इसकी अवधि दो वर्ष है।
सरकारी और निजी शिक्षण संस्थानों में शॉर्ट और लांग टर्म कोर्सज उपलब्ध हैं। आमतौर पर सरकारी संस्थानों में डिप्लोमा, पीजी डिप्लोमा और मास्टर डिग्री कोर्सेज होते हैं। अमूमन इन कोर्सेज की अवधि एक से दो साल होती है, जबकि प्राइवेट संस्थान में भी इस तरह के कोर्सेज मौजूद हैं। एक महीने से तीन महीने तक का ट्रेनिंग प्रोग्राम, एक सप्ताह से एक महीने का सॉफ्टवेयर ट्रेनिंग प्रोग्राम और छह महीने से एक वर्ष तक का डिप्लोमा/पीजी डिप्लोमा कोर्सेज उपलब्ध हैं।

स्पेशलाइज्ड कोर्स
- – ज्योग्राफिक इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (GIT)
- – फोटोग्रामैट्री
- – जीआईएस ऐप्लिकेशन
- – जीआईए डेवलपमेंट
- – जिओस्टेटिस्टीक
- – जीआईएस प्रोजेक्ट डेवलपमेंट
- – वेबजीआईएस

इंस्टीट्यूट
- – आईआईटी रुड़की www.iitr.ac.in
- – आईआईटी कानपुर iitk.ac.in
- -इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग देहरादून www.iirs.gov.in
- – बुंदेलखण्ड यूनिवर्सिटी www.bujhansi.ac.in
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