Naini Jail: 3000 कैदियों को रखने की क्षमता
Naini Jail: उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी जेल ‘नैनी सेंट्रल जेल’ में केवल सजायाफ्ता कैदियों को ही रखा जाता है। डेढ़ सौ साल पुरानी इस सेंट्रल जेल को अंग्रेजों ने बनवाया था, जब यह जेल बनी थी तो यहां पर आजादी आंदोलन के कैदियों को ही रखा जाता थागंगा-यमुना और सरस्वती के संगम के लिए विख्यात प्रयागराज में स्थित नैनी सेंट्रल जेल 1889 में बनकर तैयार हुई थी, 237 एकड़ में फैली इस जेल में 3000 कैदियों को रखने की क्षमता है।

भारत का तीसरा सबसे बड़ा केंद्रीय कारागार
नैनी सेंट्रल जेल, भारत का तीसरा सबसे बड़ा केंद्रीय कारागार है।यह उत्तर प्रदेश की सबसे सुरक्षित जेल मानी जाती हैयहां पूर्व सांसद विधायक से लेकर खूंखार आतंकवादी हार्डकोर क्रिमिनल और अंडरवर्ल्ड से तालुकात रखने वाले कैदियों की लम्बी लिस्ट हैयह एक उच्च सुरक्षा वाली एक ओपेन जेल है जहां आज भी कई गंभीर श्रेणी के अपराधियों को रखा जाता है। इसके परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं। यहां की हाई सिक्योरिटी सेल में सीसीटीवी कैमरे से चौबीस घंटे निगरानी की जाती है। आपको जानकारी देना जरूरी है कि इलाहाबाद चूंकि स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का गढ़ हुआ करता था। ऐसे में नैनी जेल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण स्थल है।

पहले राजनैतिक कैदी नेहरू थे
अंग्रेजों द्वारा इस जेल का इस्तेमाल राजनैतिक कैदियों को बंद रखने में किया जाने लगा। इस जेल के सबसे पहले राजनैतिक कैदी भारत के पहले प्रधानमंत्री रहे जवाहर लाल नेहरू थे, जिन्हें साल 1930 में इस जेल में कैद किया गया थाआपको जानकर हैरानी होगी कि नेहरूजी पूरे स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान तकरीबन 9 साल जेल में रहे नैनी जेल में उन्हें 5 बार लाया गया।सबसे पहले 14 अप्रैल 1930 को नेहरू को नैनी जेल में 181 दिन के लिए कैद किया गया था। आखिरी बार वह 23 से 27 अगस्त 1934 तक यहां बंद रहे।
यहां नेहरूजी ने विश्व इतिहास पर आधारित चिट्ठियां अपनी बेटी इंदिरा गांधी को भेजना शुरू किया था, जो बाद में Glimpses Of World History नाम से किताब की शक्ल में आई। इस जेल में महामना पंडित मदन मोहन मालवीय, जीबी पंत, मोतीलाल नेहरू, रफी अहमद किदवई, हसरत मोहानी, विजयलक्ष्मी पंडित और अबुल कलाम आजाद को भी कैद कर रखा गया था। विजयलक्ष्मी पंडित और अबुल कलाम आजाद जिस समय यहां बंद थे, उस समय महात्मा गांधी उनसे मिलने के लिए नैनी जेल आए थे।

अंग्रेज क्रांतिकारियों को भी कैदकर रखा गया था
यहां अंग्रेज क्रांतिकारियों को भी कैदकर रखा गया था स्वतंत्रता सेनानियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले सात ऐसे ब्रिटिश भी थे, जिन्हें जेल की चक्की पीसनी पड़ी थी इन्होंने भारतीयों की आजादी के लिए अपनों से बगावत की थी नैनी जेल में मौजूद एक शिलालेख आज भी इनके शौर्य की गवाही दे रहा है।इन अंग्रेज कैदियों में बेंजामिन फ्रांसिस, फिलिप स्मार्ट, एलसी लैडली, पीएच हॉल्डन, डगलैस्टर, आइआर डायमंड और जार्ज हेरॉल्ड भी शामिल थे इन अंग्रेजों ने उस समय आजादी के दीवानों के साथ मिलकर वंदेमातरम गीत भी गाया था। अपने ही लोगों के खिलाफ बगावत करने के लिए अंग्रेजी हुकूमत ने इन्हें गिरफ्तार कर लिया था। इस जेल में दूसरे भारतीयों की तरह इन लोगों पर भी जुल्म किए गएउनपर कोड़े बरसाए गए। उन्हें जलील किया गया और तमाम तरह की यातनाएं दी गईं।

पढ़े-लिखे आरोपी ने ‘शिक्षा क्रांति’ लाई
जेल में प्राथमिक शिक्षा की व्यवस्था के लिए सरकार की ओर से शिक्षक भी नियुक्त किए गए हैं लेकिन आप ये सुनकर दांतों तल उंगली दबा लेंगे 2 साल पहले यहां एक मर्डर के पढ़े-लिखे आरोपी ने दूसरे कैदियों के लिए ‘शिक्षा क्रांति’ को लेकर आया और जेल प्रशासन की मदद से उनके लिये special classes शुरू करवाया। जयराज नामक कैदी ने देखा कि कई कैदी अपनी छूट चुकी पढ़ाई पूरी करना चाहते हैं तभी उनके मन में special classes चलाने का ख्याल आया और उन्होंने इसकी इजाजत जेल प्रशासन से मांगी अनुमति मिलने के बाद मर्डर के 8 आरोपी जयराज के साथ जेल के 600 से ज्यादा कैदियों का भविष्य संवारने में लगे रहेबता दें कि जयराज कभी UPSC की तैयारी किया करता था। इतना ही नहीं इस जेल ने शतरंज के खिलाड़ी भी दिए है।
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शतरंज खिलाड़ी के रूप में प्रतिनिधित्व
3 साल पहले यहां के 8 कैदियों ने अपनी पहचान बदलने की ठानी। ये कैदी चाहते थे कि उनकी पहचान उनके अपराध और कैदी के रूप में न होकर एक खिलाड़ी के रूप में हो। ये सभी कैदी शतरंज खिलाड़ी के रूप में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। इनका चयन विश्व चेस फेडरेशन की ओर से अंतरमहाद्वीपीय जेल शतरंज प्रतियोगिता के लिए हुआ था।प्रतियोगिता में 42 देशों की 85 टीमें शामिल हुईं जिसमें प्रयागराज के नैनी जेल की टीम भारत की ओर से विदेशी टीमों को टक्कर दी थींनैनी जेल प्रशासन की ओर से शतरंज के लिए जिन खिलाड़ियों का चयन हुआ है, उन्हें पूरी ट्रेनिंग दी गई थी2021 में ध्यानचंद पुरस्कार विजेता एवं अंतर्राष्ट्रीय ग्रैंड मास्टर शतरंज खिलाड़ी अभिजीत कुंटे ने इन खिलाडियों को खेल के टिप्स भी दिए थेये एक online international शतरंज प्रतियोगिता थी।

अतीक अहमद का दरबार लगता था
खूंखार गैंगस्टर अतीक अहमद और उसका भाई अशरफ भी नैनी जेल में बंद था, अतीक अहमद ने एक लंबा वक्त नैनी जेल में काटा था।। बताया जाता है कि यहां वह दरबार भी लगाता था।। राजू पाल की हत्या के बाद अतीक और उसके कई गुर्गे यहां कैद रहे थे।। ये जेल उनको लिए किसी गेस्ट हाउस से कम नहीं थीं कहा जाता है कि नैनी जेल में अतीक की हर मांग पूरी होती थी। उसकी सुख-सुविधा से लेकर बैठकों, दावतों और बैडमिंटन कोर्ट का भी इंतजाम था।
आपको इस जेल की एक और खासियत बताए देते हैं यहां कैदियों के मनोभावों को परिवर्तित करने के लिए वार्षिक खेलकूद का भी आयोजन होता है। इसमें बैडमिंटन, वालीबाल, कैरम एवं गोलाफेंक प्रतियागिता का आयोजन किया जाता है। इसके अलावा जेल में हर दिन सुबह 9:00 से 11:00 बजे तक शिक्षा की कक्षाएं चलती हैं शिक्षा के प्रति कैदियों में ललक बड़े बदलाव का संकेत हैं क्योंकि ये कैदी जेल से निकलकर अपने भविष्य को और बेहतर बना सकते हैं।
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