Adani-Hindenburg Case – ‘अदानी महा घोटाले’ की जांच CBI या SIT को सौंपे
Adani-Hindenburg Case: मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने सेबी की प्रमुख माधवी बुच के खिलाफ हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों को लेकर उनके इस्तीफे की मांग की और सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि वह इस मामले की जांच सीबीआई या एसआईटी को सौंप दे। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने अदानी मामले में सेबी के समझौता करने की आशंका जताते हुए यह मांग दोहराई है कि इस मामले की जांच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन होना चाहिए ताकि वह ‘अदानी महा घोटाले’ की पूरी जांच कर सके क्योंकि यह मामला एक ‘नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री’ और एक ‘नॉन-बायोलॉजिकल कारोबारी’ से जुड़ा हुआ है। पूंजी बाजार नियामक सेबी ने अपनी पहली टिप्पणी में कहा था कि उसने अदानी समूह के खिलाफ सभी आरोपों की विधिवत जांच की है।

300 दस्तावेजों की जांच
जयराम रमेश ने कहा कि सेबी ने अति सक्रियता दिखाने कोशिश की है और उसका कहना है कि उसने 100 समन, 1100 पत्र और ईमेल जारी किए हैं और 12,000 पृष्ठों वाले 300 दस्तावेजों की जांच की है। रमेश ने दावा किया कि यह बहुत थका देने वाला रहा होगा, लेकिन यह मुख्य मुद्दे से ध्यान भटकाने वाली बात है क्योंकि कार्रवाई महत्वपूर्ण है, गतिविधियां नहीं। 14 फरवरी, 2023 को, मैंने सेबी अध्यक्ष को पत्र लिखकर सेबी से उन करोड़ों भारतीय नागरिकों की ओर से भारत के वित्तीय बाजारों के प्रबंधक के रूप में अपनी भूमिका निभाने का आग्रह किया था, जिनका भारत के वित्तीय बाजारों की निष्पक्षता में विश्वास है। मुझे कभी कोई जवाब नहीं मिला। उन्होंने बताया कि 3 मार्च, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को 2 माह के भीतर अदानी समूह के खिलाफ स्टॉक हेरफेर और अकाउंटिंग धोखाधड़ी के आरोपों की तेजी से जांच पूरी करने का निर्देश दिया था।
Read more: Hindenburg Research Report: हिंडनबर्ग’ की रिपोर्ट निराधार और चरित्र हनन का प्रयास

18 महीने बाद सेबी ने किया खुलासा
रमेश का कहना था कि इस आदेश के 18 महीने बाद सेबी ने खुलासा किया है कि अदानी ने न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता से संबंधित नियम 19ए का उल्लंघन किया है या नहीं, इस संबंध में महत्वपूर्ण जांच अधूरी है। उनका दावा था, ‘तथ्य यह है कि सेबी की अपनी 24 जांच में से दो को बंद करने में असमर्थता के कारण इसके निष्कर्षों के प्रकाशन में एक वर्ष से अधिक की देरी हुई।’ रमेश ने आरोप लगाया कि इस देरी के कारण प्रधानमंत्री अपने करीबी दोस्त की अवैध गतिविधियों को बढ़ावा देने में अपनी भूमिका बताए बिना आसानी से पूरे आम चुनाव में भाग ले पाए। अदानी समूह के ‘क्लीन चिट’ मिलने के दावों के बावजूद, सेबी ने कथित तौर पर इन आरोपों के संबंध में अदानी समूह की कई कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।

सेबी अध्यक्ष को इस्तीफा देना चाहिए
कांग्रेस नेता ने कहा कि हालिया खुलासे ‘अदानी महा घोटाले’ की जांच में सेबी की ईमानदारी और आचरण पर परेशान करने वाले सवाल उठाते हैं। सेबी के समझौते की आशंका को देखते हुए उच्चतम न्यायालय को इस मामले की जांच को सीबीआई या एसआईटी को स्थानांतरित करना चाहिए। रमेश का कहना था कि कम से कम, सेबी की शुचिता को बहाल करने के लिए सेबी अध्यक्ष को इस्तीफा देना चाहिए। हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी एक रिपोर्ट में आरोप लगाया था कि सेबी की अध्यक्ष बुच और उनके पति की कथित अडानी धन हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए अस्पष्ट ‘विदेशी फंड’ में हिस्सेदारी थी। सेबी प्रमुख बुच और उनके पति ने एक संयुक्त बयान जारी कर हिंडनबर्ग के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसे पूरी तरह से बेबुनियाद बताया है। अदानी समूह ने अमेरिकी शोध एवं निवेश फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च के नवीनतम आरोपों को दुर्भावनापूर्ण और चुनिंदा सार्वजनिक सूचनाओं से छेड़छाड़ करने वाला बताते हुए कहा कि उसका बाजार नियामक सेबी की अध्यक्ष या उनके पति के साथ कोई वाणिज्यिक संबंध नहीं है।
- Content Marketing : भारत में तेजी से बढ़ रहा है कंटेंट मार्केटिंग का क्रेज - January 22, 2025
- Black Magic Hathras: ‘काले जादू’ के नाम पर 9 वर्ष के बच्चे की बलि - January 18, 2025
- Digital Marketing: आपके व्यवसाय की सफलता की कुंजी ‘डिजिटल मार्केटिंग’ - January 18, 2025