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WeStory > लाइफस्टाइल > Plastic pollution: हर साल 5.70 करोड़ टन प्लास्टिक प्रदूषण पैदा करती है दुनिया
लाइफस्टाइल

Plastic pollution: हर साल 5.70 करोड़ टन प्लास्टिक प्रदूषण पैदा करती है दुनिया

Plastic pollution: प्लास्टिक कचरा पैदा करने के मामले में भारत दुनिया में सबसे आगे है और प्रति वर्ष एक करोड़ दो लाख टन कचरा पैदा करता है जो अन्य बड़े प्रदूषक देशों की तुलना में दोगुने से भी अधिक है।

WeStory Editorial Team
Last updated: 2024/09/09 at 11:08 AM
WeStory Editorial Team
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7 Min Read
Plastic pollution
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Plastic pollution – दो-तिहाई से अधिक हिस्सा ‘ग्लोबल साउथ’ से आता

Plastic pollution: प्लास्टिक कचरा पैदा करने के मामले में भारत दुनिया में सबसे आगे है और प्रति वर्ष एक करोड़ दो लाख टन कचरा पैदा करता है जो अन्य बड़े प्रदूषक देशों की तुलना में दोगुने से भी अधिक है। ब्रिटेन में लीड्स विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के अनुसार, दुनिया हर साल पांच करोड़ 70 लाख टन प्लास्टिक प्रदूषण पैदा करती है जो सबसे गहरे महासागरों से लेकर सबसे ऊंचे पहाड़ों की चोटियों और लोगों के शरीर तक में फैल गया है। इस प्रदूषण का दो-तिहाई से अधिक हिस्सा ‘ग्लोबल साउथ’ (अल्प विकसित एवं विकासशील देश) से आता है। हर साल इतना प्रदूषण होता है कि न्यूयॉर्क शहर के ‘सेंट्रल पार्क’ में प्लास्टिक कचरे का पहाड़ ‘एम्पायर स्टेट बिल्डिंग’ जितना ऊंचा हो सकता है।

Table of Contents
Plastic pollution – दो-तिहाई से अधिक हिस्सा ‘ग्लोबल साउथ’ से आतानिपटान करने में विफल सरकारआठ देश जिम्मेदारसेलूलोज़ डेरिवेटिव में हुई थी प्लास्टिक की उत्पत्ति15 हज़ार टन प्लास्टिक का उपयोग प्रत्येक वर्ष
Plastic pollution
Plastic pollution

निपटान करने में विफल सरकार

अध्ययन में उस प्लास्टिक को शामिल किया गया है जो खुले वातावरण में फेंका जाता हैं। इसमें उस प्लास्टिक कचरे को शामिल नहीं किया गया है जो ‘लैंडफिल’ में जाता है या जिसे उचित तरीके से जला दिया जाता है। अध्ययन के लेखकों ने कहा कि सरकार कचरे को इकट्ठा करने और उसका निपटान करने में विफल रहती है और यही एक बड़ा कारण है कि दक्षिण-पूर्व एशिया और उप-सहारा अफ्रीका में सबसे अधिक प्लास्टिक कचरा पैदा होता है। अध्ययन में कहा गया है कि प्लास्टिक कचरे के लिए जिम्मेदार लोगों में भारत के 25 करोड़ 50 लाख लोग शामिल हैं। नाइजीरिया के लागोस ने किसी भी अन्य शहर की तुलना में सबसे अधिक प्लास्टि प्रदूषण उत्सर्जित किया। प्लास्टिक प्रदूषण फैलाने वाले अन्य सबसे बड़े शहर दिल्ली, लुआंडा, अंगोला, कराची, (पाकिस्तान) और अल काहिरा (मिस्र) हैं। प्लास्टिक कचरा पैदा करने में भारत नाइजीरिया और इंडोनेशिया से आगे है। चीन इस मामले में चौथे स्थान पर है, लेकिन कचरे को कम करने में वह काफी प्रगति कर रहा है। अन्य शीर्ष प्लास्टिक प्रदूषक देश पाकिस्तान, बांग्लादेश, रूस और ब्राजील हैं।

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Plastic pollution
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आठ देश जिम्मेदार

अध्ययन के आंकड़ों के अनुसार, ये आठ देश दुनिया के आधे से अधिक प्लास्टिक प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं। अध्ययन के अनुसार, 52,500 टन से अधिक प्लास्टिक प्रदूषण के साथ अमेरिका 90वें स्थान और लगभग 5,100 टन के साथ ब्रिटेन 135वें स्थान पर है। विशेषज्ञों को चिंता है कि इस अध्ययन में समग्र प्लास्टिक उत्पादन के बजाय प्रदूषण पर ध्यान केंद्रित किया गया है जिसकी वजह से इसमें प्लास्टिक उद्योग को शामिल नहीं किया गया। उनका कहना है कि प्लास्टिक बनाने से बड़ी मात्रा में ग्रीनहाउस गैस निकलती है जो जलवायु परिवर्तन में भूमिका निभाती है।

Plastic pollution
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सेलूलोज़ डेरिवेटिव में हुई थी प्लास्टिक की उत्पत्ति

प्लास्टिक की उत्पत्ति सेलूलोज़ डेरिवेटिव में हुई थी। प्रथम सिंथेटिक प्लास्टिक को बेकेलाइट कहा गया और इसे जीवाश्म ईंधन से निकाला गया था। फेंकी हुई प्लास्टिक धीरे-धीरे अपघटित होती है एवं इसके रसायन आसपास के परिवेश में घुलने लगते हैं। यह समय के साथ और छोटे-छोटे घटकों में टूटती जाती है और हमारी खाद्य श्रृंखला में प्रवेश करती है। यहां यह स्पष्ट करना बहुत आवश्यक है कि प्लास्टिक की बोतलें ही केवल समस्या नहीं हैं, बल्कि प्लास्टिक के कुछ छोटे रूप भी हैं, जिन्हें माइक्रोबिड्स कहा जाता है। ये बेहद खतरनाक तत्त्व होते हैं। इनका आकार 5 मिमी. से अधिक नहीं होता है।

इनका इस्तेमाल सौंदर्य उत्पादों तथा अन्य क्षेत्रों में किया जाता है। ये खतरनाक रसायनों को अवशोषित करते हैं। जब पक्षी एवं मछलियाँ इनका सेवन करती हैं तो यह उनके शरीर में चले जाते हैं। भारतीय मानक ब्यूरो ने हाल ही में जैव रूप से अपघटित न होने वाले माइक्रोबिड्स को उपभोक्ता उत्पादों में उपयोग के लिये असुरक्षित बताया है। अधिकांशतः प्लास्टिक का जैविक क्षरण नहीं होता है। यही कारण है कि वर्तमान में उत्पन्न किया गया प्लास्टिक कचरा सैकड़ों-हज़ारों साल तक पर्यावरण में मौजूद रहेगा। ऐसे में इसके उत्पादन और निस्तारण के विषय में गंभीरतापूर्वक विचार-विमर्श किये जाने की आवश्यकता है।

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Plastic pollution
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15 हज़ार टन प्लास्टिक का उपयोग प्रत्येक वर्ष

स्थिति यह है कि वर्तमान समय में प्रत्येक वर्ष तकरीबन 15 हज़ार टन प्लास्टिक का उपयोग किया जा रहा है। प्रतिवर्ष हम इतनी अधिक मात्रा में एक ऐसा पदार्थ इकठ्ठा कर रहे हैं जिसके निस्तारण का हमारे पास कोई विकल्प मौजूद नहीं है। यही कारण है कि आज के समय में जहाँ देखो प्लास्टिक एवं इससे निर्मित पदार्थों का ढेर देखने को मिल जाता है। पहले तो यह ढेर धरती तक ही सीमित था लेकिन अब यह नदियों से लेकर समुद्र तक हर जगह नज़र आने लगा है। धरती पर रहने वाले जीव-जंतुओं से लेकर समुद्री जीव भी हर दिन प्लास्टिक निगलने को विवश है। इसके कारण प्रत्येक वर्ष तकरीबन 1 लाख से अधिक जलीय जीवों की मृत्यु होती है। समुद्र के प्रति मील वर्ग में लगभग 46 हज़ार प्लास्टिक के टुकड़े पाए जाते हैं। इतना ही नहीं हर साल प्लास्टिक बैग का निर्माण करने में लगभग 4.3 अरब गैलन कच्चे तेल का इस्तेमाल होता है।

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