4 Wheel Drive: खराब रास्तों के लिए बनाया रेसियो ट्रांसफर सिस्टम
4WD गाड़ियों को 4X4 के रूप में भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है कि इंजन या ड्राइवट्रेन कार के सभी पहियों को शक्ति दे सकता है, इस प्रकार सभी चार पहियों को पॉवर दिया जाता है। 4WD गाड़ी ऑफ-रोड ड्राइविंग स्थितियों और खड़ी पहाड़ियों और कम ट्रैक्शन वाली सड़कों पर जाने के लिए एकदम सही वाहन के रूप में जाने जाते हैं। फोर-व्हील ड्राइव सिस्टम ज्यादातर एसयूवी में ऑफर किया जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि एसयूवी को ऑफ रोडिंग के लिए तैयार किया जाता है ऐसे में अगर इसमें टू-व्हील ड्राइव सिस्टम होगा तो ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर गाड़ी फंस सकती है और इसे बाहर निकालने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है।
भारतीय बाजार में एसयूवी वाहनों की मांग में लगातार तेजी देखने को मिल रही है। विशेषकर युवा स्पोर्ट युटिलिटी व्हीकल में अपनी दिलचस्पी ज्यादा दिखा रहे हैं। लेकिन इन सब के बावजूद एक अवधारणा अभी भी जस की तस बनी हुई है। ज्यादातर लोग फोर व्हील ड्राइव एसयूवी लेने से कतराते हैं। यही कारण है कि, भारतीय सड़कों पर बहुत ही कम मात्रा में फोर व्हील ड्राइव एसयूवी देखने को मिलती है। लेकिन 4×4 फोर व्हील ड्राइव एसयूवी से जुड़ी बहुत सी बातों से लोग अनजान होते हैं।
पहियों की पकड़ सड़क पर मजबूत
ज्यादातर फोर व्हील ड्राइव एसयूवी में लो रेसियो ट्रांसफर सिस्टम मिलता है। लेकिन इस सिस्टम का प्रयोग कुछ लोग समतल और सरफेस पर भी करते हैं। जो कि, बेवजह और खतरनाक दोनों है। समतल सड़कों पर इस सिस्टम का प्रयोग नहीं करना चाहिए। क्योंकि ये खराब रास्तों के लिए बनाया गया है। जब आप फोर व्हील कार ड्राइव करते हैं और ऐसे रास्ते पर आप लो रेसियो का प्रयोग करते हैं तो दोनों ही पहियों के मूवमेंट की वजह से पहियों की पकड़ सड़क पर और भी मजबूत हो जाती है। यदि आप सामान्य और समतल सड़क पर हैं तो आपको बस टू व्हील ड्राइव सिस्टम का ही प्रयोग करना चाहिए। फोर व्हील ड्राइव कार के मालिक ऐसा सोचते हैं कि उनकी कार में ऐसे फीचर्स को शामिल किया गया है जो कि, उन्हें किसी भी जगह आसानी से ड्राइव करने की सहूलियत प्रदान करता है। लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं है, ये सही है कि, मुश्किल और खराब रास्तों पर फोर व्हील ड्राइव कार में प्रयुक्त लो रेसियो गियर बॉक्स आपकी मदद करता है लेकिन इसके अलावा भी बहुत से फैक्टर होते हैं जो खराब रास्तों पर ड्राइव करने के लिए अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, मसलन टायरों का प्रकार, डिपार्चर एंगल, सस्पेंसन ट्रैवेल आदि।
पहियों को रोटेट करने में मददगार डिफ्रेंशिएल लॉक
ऐसा देखा जाता है कि, कुछ लोग हाई स्पीड में भी डिफ्रेंशिएल लॉक का प्रयोग करते हैं। आपको बता दें कि, डिफ लॉक आगे और पीछे दोनों पहियों को एक ही समय में रोटेट करने में मदद करता है। जब आप हाई स्पीड में इस सिस्टम का प्रयोग करते हैं तो स्टीयरिंग पर तनाव बढ़ता है और जब आप कार को मोड़ते हैं तो अगले पहिये और पिछले पहिये के बीच तालमेल बराबर नहीं हो पाता है जिसके कारण अगला पहिया मुड़ने के लिए ज्यादा जगह लेता है। वहीं जब आप स्लो स्पीड में डिफ लॉक इनेबल करते हैं तो दोनों पहियों में एक समानता होती है और बराबर रेसियो पर दोनों पहिये गति करते हैं। ध्यान रखें डिफ लॉक सिस्टम का प्रयोग दोनों पहियों को एक बराबर दिशा में गति करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
सही समय पर प्रयोग करना जरूरी
ड्राइविंग के वक्त सही समय पर फोर व्हील ड्राइव सिस्टम का प्रयोग करना बेहद ही जरूरी होता है। आप कहीं खराब रास्ते पर फंसने का इंतजार न करें, बल्कि जैसे ही आपको लगता है कि, आपको फोर व्हील ड्राइव सिस्टम का प्रयोग करना चाहिए तत्काल अप्लाई करें। फिलहाल देश में मौजूद कई एसयूवी वाहनों में आॅल टाइम फोर व्हील ड्राइव सिस्टम का प्रयोग किया जाता है। हालांकि कुछ ऐसे भी मॉडल हैं जिनमें ये सिस्टम मैनुअली करना पड़ता है।
बेहतर माइलेज मिलेगी
यदि आप फोर व्हील ड्राइव, आफरोडिंग और एडवेंचर का मजा लेना चाहते हैं तो आपको फ्यूल टैंक से अपना ध्यान हटाना होगा। क्योंकि, जब आप आफरोडिंग करते हैं तो उस वक्त कार के सभी कंपोनेंट पूरी तरह काम पर लग जाते हैं। इसके अलावा एसयूवी के इंजन पर भी लोड़ बढ़ जाता है। इस दौरान आपका वाहन ज्यादा से ज्यादा इंधन की खपत करता है। तो यदि आप आफरोडिंग और फोर व्हील ड्राइव का आनंद ले रहे हैं तो ये भूल जायें कि आपको बेहतर माइलेज मिलेगी।
टॉर्क बढ़कर 600 एनएम तक पहुंचता
फोर व्हील ड्राइव सिस्टम में वाहन के चलते समय उसका टॉर्क रेसियो लगभग दोगुना बढ़ जाता है। क्योंकि इस सिस्टम के वजह से लो गियरबॉक्स वाहन को ज्यादा से ज्यादा टॉर्क के साथ स्मूथ राइड प्रदान करता है। यहि महिंद्रा थार की बात करें तो वो सामान्य रूप में 247 एनएम का टॉर्क प्रदान करता है लेकिन लो इंगेज में इसका टॉर्क बढ़कर 600 एनएम तक पहुंच जाता है। फोर व्हील ड्राइव वाली एसयूवी रियर व्हील ड्राइव वाली एसयूवी के मुकाबले ज्यादा बेहतर और महंगी होती है। चूकिं फोर व्हील ड्राइव व्हीकल में सभी पहियों को पॉवर देने के लिए एक्स्ट्रा कंपोनेंट्स की जरूरत पड़ती है जो कि वाहन को महंगा बनाते हैं। एंट्री लेवल 2 व्हील ड्राइव टोयोटा फॅार्चूनर की कीमत 28.29 लाख रुपये है वहीं फोर व्हील ड्राइव फॉर्चूनर की कीमत तकरीबन 30.72 लाख रुपये है।
पेट्रोल वैरिएंट में भी उपलब्ध
फोर व्हील ड्राइव वाले वाहन जिस तरह किसी भी रोड़ पर आपको बेहतर ड्राइविंग प्रदान करते हैं वैसे ही इनका मेंटेनेंस भी काफी महंगा होता है। चूकि ज्यादा कंपोनेंट होने के कारण इसमें समय समय पर सर्विसिंग और उनकी देखभाल करनी पड़ती है जो कि वाहन के मेंटेनेंस को खर्चीला बनाते हैं। कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि, फोर व्हील ड्राइव केवल डीजल वैरिएंट के साथ ही बाजार में उपलब्ध है। लेकिन ऐसा नहीं है बहुत से ऐसे मॉडल हैं जो कि, पेट्रोल वैरिएंट में भी फोर व्हील ड्राइव सिस्टम प्रदान करते हैं। भारतीय बाजार में मारूति जिप्सी और होंडा सीआर-वी दो ऐसे एसयूवी हैं जो फोर व्हील ड्राइव के साथ पेट्रोल वैरिएंट में उपलब्ध हैं।
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