All Wheel Drive चारों पहियों को मिले समान रूप से पॉवर
ऑल व्हील ड्राइव (AWD) टेक्नोलॉजी का कारों के पहियों और स्पीड से खास कनेक्शन होता है। यही वह टेक्नोलॉजी है, जिससे कारों में पंख लग जाते हैं और वह पंछियों की तरह उड़ने लगती है। ऑल व्हील ड्राइव (एडब्ल्यूडी) ही वह टेक्नोलॉजी है, जिससे गाड़ियां स्पीड पकड़ती हैं। यह गाड़ियों के सभी पहियों में एक समान रूप से काम करती है। आमतौर पर यह गाड़ी के इंजन के आगे फिट की जाती है। चूंकि, अगला पहिया पूरी गाड़ी को खींचने का काम करता है। ऑल व्हील ड्राइव टेक्नोलॉजी के माध्यम से गाड़ी का इंजन चारों पहियों में एक समान रूप से पावर सप्लाई करती है।
सभी प्रकार के कारों में इस्तेमाल
सभी प्रकार के कारों में ऑल व्हील ड्राइव टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है, चाहे वह एसयूवी हो, एमपीवी हो, क्रॉसओवर या फिर हैचबैक हो। हालांकि, पहले इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कम होता था, लेकिन आजकल प्राय: सभी गाड़ियों में इसका इस्तेमाल किया जाता है। यह कारों के इंजन से चारों पहियों में पावर सप्लाई करती है। यह ऑटोमैटिक तरीके से काम करती है और यही तय करती है कि किस पहिए को किस वक्त पावर सप्लाई करने की आवश्यकता है। इसके साथ ही, यह खुद ही इस बात का फैसला करती है कि किस पहिए को कितनी पावर चाहिए। खासकर, जब गाड़ी कीचड़ से होकर गुजरती है, तो यह तकनीक चारों पहियों को समान रूप से पावर सप्लाई करती है।
चारों पहियों में पावर का डिस्ट्रीब्यूशन
तमाम एसयूवी और क्रॉसओवर गाडि़यों में AWD तकनीक का इस्तेमाल होता है। इन कारों में इंजन से पावर का डिस्ट्रीब्यूशन चारों पहियों में होता है। ऑटोमेटिक तकनीक यह सुनिश्चित करती है कि कब किस पहियो को पावर की जरूरत है। यह तकनीक खुद ही डिसाइड करती है कि पिछले पहिये को ज्यादा पावर चाहिए या फिर अगले पहिये को। कुछ मामलों में चारों पहियों को पावर की जरूरत होती है, तब यह तकनीक आगे और पीछे दोनों तरफ के पहियों को पावर भेजती है। AWD तकनीक का फायदा ऑफरोड ट्रैवल करने पहाड़ों पर गाड़ी चलाने में ज्यादा होता है। बारिश के मौसम में गाड़ी के पहियों को फिसलने से रोकने के लिए भी AWD तकनीक काम आती है। इसी तरह, बर्फबारी वाली जगहों पर भी AWD तकनीक कार चलाने में उपयोगी है, जो पहियों को फिसलने से रोकती है। इसके अलावा आप ऑफरोड गाड़ी चला रहे हैं, जहां कीचड़ बहुत है तो बारिश के मौसम में आपकी कार के पहियों को गड्ढों आदि में फंसने से भी यह तकनीक रोकती है और पहिये आसानी से बाहर निकल आते हैं।
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मारुति जिम्नी और टू व्हील ड्राइव थार
विभिन्न सेंसरों से मिलने वाले आंकड़ों के आधार पर, एक ऑनबोर्ड कंप्यूटर यह तय करता है कि कितनी पावर दी जाए। जो हर पहिये के टायरों की ट्रैक्शन (कर्षण) की स्थिति का आकलन करता है। अगर कंप्यूटर को लगता है कि किसी खास पहिये को मिल रही मात्रा से ज्यादा पावर की जरूरत है, तो AWD सिस्टम तुरंत एक्सट्रा टॉर्क भेजती है। इस प्रक्रिया में, AWD सिस्टम विभिन्न ड्राइविंग परिस्थितियों में कार के ट्रैक्शन को अधिकतम करती है। ऑल व्हील ड्राइव गाड़ियों का क्रेज इस समय पहले की तुलना में अधिक हो गया है। यही वजह है कि बहुत से बड़े मैन्युफैक्चरर्स इस सेगमेंट में अपनी गाड़ियों को ला रहे हैं। इसका हालिया उदाहरण आप मारुति जिम्नी और टू व्हील ड्राइव थार से ले सकते हैं।
कुछ नुकसान भी हैं
– AWD तकनीक के कुछ नुकसान भी हैं। इसका पहला नुकसान तो गाड़ी का माइलेज कम होना है।
– चूंकि, इस भारी सिस्टम को चलाने के लिए और कार को मोड़ने के लिए एक्स्ट्रा पावर की जरूरत होती है, लिहाजा यह ज्यादा ईंधन भी खाता है।
– इसके अलावा जो सबसे बड़ा नुकसान है, वह गाड़ी को रोकने को लेकर होता है। दरअसल, यह तकनीक गाड़ी को आगे बढ़ने के लिए एक्स्ट्रा पावर तो दे देती है, लेकिन उसे रोकने के लिए अतिरिक्त ब्रेकिंग सिस्टम नहीं होता है। लिहाजा ड्राइवर को बहुत संभलकर ऐसी गाडि़यों को चलाना पड़ता है।
– ऑल व्हील ड्राइव गाड़ियां अन्य वैरिएंट की तुलना में अधिक होती हैं। यही वजह है कि अधिकतर मैन्यूफैक्चरर इस मॉडल को टॉप वैरिएंट में रखते हैं।
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