Anubhav Dubey – चाय सुट्टा बार ने मचा दी देश-विदेश में धूम
Anubhav Dubey: चाय सुट्टा बार के को-फाउंडर अनुभव दुबे कभी पिता के कहने पर आईएएस बनाना चाहते थे लेकिन बन गये बड़े बिजनेसमैन। पिता के कहने पर उन्होंने सीए की तैयारी की, फिर आईएएस के लिए भी तैयारी शुरू की। लेकिन अनुभव, नौकरी करने इच्छुक नहीं थे, वे अपना खुद का काम करना चाहते थे। वे मध्य प्रदेश के रीवा के रहने वाले हैं। अनुभव ने दोस्त आनंद नायक के साथ मिलकर चाय सुट्टा बार की शुरुआत की थी। यह चाय ब्रांड आज देश के साथ-साथ दुनिया के कई देशों में भी है।

250 परिवारों को बिजनेस का अवसर मिला
अनुभव और आनंद ने कम बजट में इंदौर में एक हॉस्टल के सामने अपना पहला आउटलेट खोला था। उन्होंने बैनर छापने के लिए पैसे न होने पर लकड़ी के एक टुकड़े पर हाथ से ‘चाय सुट्टा बार’ ब्रांड का नाम लिखा था। आज चाय सुट्टा बार देश के 195 शहरों के साथ-साथ दुबई, यूके, कनाडा, और ओमान जैसे देशों में भी है। अनुभव की कुल संपत्ति करीब 10 करोड़ रुपये आंकी गई है। चाय सुट्टा बार 250 कुम्हार परिवारों के लिए बिजनेस के अवसर भी पैदा करता है, जो चाय सुट्टा बार के लिए मिट्टी के प्याले या कुल्हड़ बनाते हैं. अनुभव की टीम में आज 150 से अधिक लोग काम करते हैं, जिनमें कई एमबीए और इंजीनियर भी शामिल हैं.
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अंग्रेजी के कारण मात खा गये
मध्यप्रदेश के रीवा शहर के रहने वाले अनुभव को परिवार ने 8वीं की पढ़ाई के बाद आगे की पढ़ाई के लिए इंदौर भेज दिया। वहीं से अनुभव ने बीकॉम किया। सीए, कैट की तैयारी भी की, लेकिन अंग्रेजी के कारण मात खा जाते थे। पिता के कहने पर यूपीएससी सिविल सर्विसेज की तैयारी करने लगे। लेकिन, कई प्रयासों के बाद जब कामयाबी नहीं मिली तो बिना निराश हुए अनुभव दुबे ने दोस्त आनंद नायक के साथ बिजनेस शुरू करने की तैयारी कर ली। प्लान तो बना लिया, लेकिन बिजनेस करना किस चीज का है, यह तय नहीं हो पा रहा था।

बिजनेस के लिये दोस्त के साथ सर्वे किया
अनुभव और आनंद ने इसके लिए सर्वे करना शुरू किया। मोटरसाइकिल में 50 रुपये का पेट्रोल भरवाकर बाजार में घूमना शुरू किया। उन्होंने देखा कि सबसे ज्यादा लोग चाय के ठेले पर जमा होते हैं। बस यहीं से आइडिया मिला चाय सुट्टा बार का। अनुभव घर वालों से पैसे मांग नहीं सकते थे, क्योंकि पिता उन्हें बिजनेस से दूर रखना चाहते थे। ऐसे में पूरा पैसा दोस्त आनंद ने ही लगाया। घर वाले सोच रहे थे कि अनुभव परीक्षा की तैयारी कर रहे है, लेकिन यहां को बिजनेस जगत का नया सितारा तैयार हो रहा था। साल 2016 में कम बजट के साथ उन्होंने एक सीमेंट गोदाम में अपना पहला स्टोर खोला। कारोबार शुरू करते वक्त जेब में ज्यादा पैसे नहीं थे। इसलिए, दुकान पर बोर्ड तक नहीं लगवाया था। उनके ज्यादातर ग्राहक स्टूडेंट्स थे।
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गर्ल्स हॉस्टल के सामने खोला पहला आउटलेट
अनुभव अपनी दुकान के लिए डिफरेंट टाइप का नाम चाहते थे। दोनों दोस्तों ने मिलकर दुकान का नाम यंग और स्टूडेंट्स को ध्यान में रखते हुए ‘चाय सुट्टा बार’ रखा। चाय सुट्टा बार का नाम सुनकर आपके दिमाग में कुछ और तस्वीर बने उससे पहले ही हम बता दें कि ये ना तो कोई बार है, जहां शराब परोसी जाती है और ना ही सिगरेट की दुकान। ये तो बस एक चाय की दुकान या कहें कि चाय का कैफे है। दोनों ने अपना पहला आउटलेट एक गर्ल्स हॉस्टल के सामने खोला। गर्ल्स हॉस्टल के सामने लड़कों का आना तो तय था और यही उनके ग्राहक बनते। इसलिए उन्होंने गर्ल्स हॉस्टल को अपना पहला टारगेट बनाया। ग्राहक लाने के लिए दुकान पर वो दोस्तों को बुलाया करते थे। दूसरे के सामने जोर-जोर से बातें करते थे कि चाय सुट्टा बार गए हो? अच्छा कैफे है। ताकि, लोगों तक उनके कैफे का नाम पहुंच सके।

दुकान पर फर्जी भीड़ इकट्ठा करते
अनुभव दुकान पर फर्जी भीड़ इकट्ठा करते, दोस्तों को बुलाकर वहां आवाजाही दिखाते, ताकि भीड़ देखकर लोग धीरे-धीरे उनकी दुकान पर आएं। उनका ये आइडिया काम करने लगा। लोगों की भीड़ वहां बढ़ने लगी। 6 महीने के भीतर ही उन्होंने 2 राज्यों में चाय सुट्टा बार की 4 फ्रेंचाइजी बेच दी। आज देश के अलावा दुनिया के कई देशों में उनका कारोबार है। उन्होंने देश के 195 शहरों में 400 से ज्यादा आउटलेट खोल दिए। देश ही नहीं दुबई, यूके, कनाडा एवं ओमान जैसे देशों तक चाय सुट्टा बार पहुंच चुका है। आज उनकी कंपनी हर साल 100-150 करोड़ रुपये की चाय बेच देती है। सिर्फ अपने आउटलेट से उनका टर्नओवर सालाना 30 करोड़ रुपये का है। अगर सारे स्टोर्स और आउटलेट्स को मिला दें तो टर्नओवर 150 करोड़ रुपये तक पहुंच जाता है।