Blinkit : 2026 तक 2 हजार डार्क स्टोर बनाना है लक्ष्य
Blinkit – बात 2012-13 की है। इंडिया में हर हाथ स्मार्टफोन और इंटरनेट की पहुंच बढ़ रही थी। कैब और फूड डिलीवरी सर्विस के अलावा अमेजन, फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स कंपनियां भी आ चुकी थी। हालांकि, ग्रोसरी सेगमेंट में अभी तक कोई कंपनी नहीं थी। जब दो दोस्त अलबिंदर ढींडसा और सौरभ कुमार ने देखा कि हर तरह की जरूरत को ऑनलाइन पूरा किया जा रहा है, लेकिन ग्रोसरी सेगमेंट में कोई प्लेयर नहीं है। तब अलबिंदर ने जोमैटो की नौकरी छोड़ दी और सौरभ के साथ मिलकर ऑनलाइन ग्रोसरी डिलीवर करने की कंपनी के बारे में सोचना शुरू किया।
कुछ महीने बाद 2013 में दोनों ने ऑन-डिमांड सर्विस प्रोवाइड कराने वाली डिलीवरी कंपनी ‘वन-नंबर’ की शुरुआत की। शुरुआत में ग्रोफर्स ऑनलाइन ग्रोसरी आइटम्स 90 मिनट में डिलीवरी करने लगा। पहले साल कंपनी का रेवेन्यू 1.8 लाख रुपए था, जबकि 2.8 लाख का नुकसान हुआ। अगले साल यानी 2014-15 में यह रेवेन्यू बढ़कर 86 लाख हो गया, लेकिन घाटा 4 करोड़ का था। कुछ समय बाद उन्होंने सोचा कि यदि वेयरहाउस और सप्लाई चेन मैनेजमेंट को ठीक किया जाता है, तो शायद घाटे को कम किया जा सकता है। दरअसल, ग्रोसरी कंपनी के सामने घाटे का सबसे बड़ा कारण यही होता है। दोनों ने दिल्ली, गुरुग्राम और बेंगलुरु में 60 हजार स्क्वायर फीट का वेयरहाउस स्टेबल किया। जबकि हैदराबाद, चेन्नई और जयपुर में 20 हजार स्क्वायर फीट का वेयरहाउस सेट किया। यह बिजनेस फंडा ग्रोफर्स के लिए संजीवनी साबित हुआ।

10 मिनट के डिलीवरी मॉडल को एडॉप्ट किया
2017 में कंपनी का एवरेज ऑर्डर वैल्यू 700 रुपए से बढ़कर 1300 रुपए हो गया। रेवेन्यू 34 करोड़ पर पहुंच गया। 2019-20 आते-आते ग्रोफर्स पेपर टैप और लोकल बनिया जैसी ग्रोसरी डिलीवर करने वाली कंपनी से आगे निकल चुकी थी, लेकिन जैसे ही एक और ग्रोसरी डिलीवर करने वाली कंपनी बिग बास्केट की मार्केट में एंट्री हुई, ग्रोफर्स के बुरे दिन आ गए। 2021 आते-आते सौरभ कुमार ने कंपनी से इस्तीफा दे दिया।
अब अलबिंदर ढींडसा ने रातोंरात एक डिसीजन लिया। ग्रोफर्स भी अब 10 मिनट के डिलीवरी मॉडल को एडॉप्ट कर चुका था। उन सभी लोकेशन पर सर्विस बंद कर दी, जहां 10 मिनट में प्रोडक्ट की डिलीवरी करना मुश्किल था। अब कंपनी को री-ब्रांड करने की जरूरत थी। कंपनी ने ग्रोफर्स से नाम बदलकर ब्लिंकिट कर दिया और टैग लाइन दिया- लेट्स ब्लिंकिट। अब ब्लिंकिट के अच्छे दिन आने शुरू हुए। पहले उसने 10 शहरों में 10 मिनट में ग्रोसरी प्रोडक्ट डिलिवर करने की सर्विस शुरू की, फिर देखते-देखते 2021 के आखिर तक इस कंपनी ने 30 से ज्यादा शहरों में सर्विस देनी शुरू की। हर रोज 1 लाख 25 हजार ऑर्डर डिलीवर करने लगा।
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जोमैटो ने ब्लिंकिट को खरीद लिया
2022 में जब जोमैटो ने ब्लिंकिट को खरीदा, कंपनी प्रति ऑर्डर 84 रुपए का नुकसान कर रही थी। सालाना रेवेन्यू 236 करोड़ का था, जबकि एक साल पहले ही उसका रेवेन्यू 2700 करोड़ के करीब पहुंच चुका था। इधर फूड डिलीवरी कंपनी जोमैटो का सालाना रेवेन्यू 47 हजार मिलियन रुपए यानी 4 हजार करोड़ रुपए हो चुका था। जोमैटो ने पहले ग्रोफर्स में 9.3 फीसदी की हिस्सेदारी के बदले 839 करोड़ का इन्वेस्टमेंट किया। उसके बाद जोमैटो ने अपनी इन-हाउस ग्रोसरी डिलीवरी सर्विस बंद कर दी। बाद में जोमैटो के एमडी दीपिंदर गोयल ने ब्लिंकिट की हिस्सेदारी बेचकर दोनों कंपनी को मर्ज कर दिया।
कंपनी को नए सिरे से शुरू करने के लिए 1200 करोड़ का इन्वेस्टमेंट किया और कंपनी को 4400 करोड़ रुपए में खरीद लिया। दरअसल ग्रोसरी इंडस्ट्री का मार्केट फूड इंडस्ट्री से बड़ा है। कुछ सालों में जोमैटो के शेयर में गिरावट आ रहे थे। ब्लिंकिट को टेकओवर करने के बाद दीपिंदर गोयल ने दिमाग लगाया। उन्होंने देखा कि क्विक कॉमर्स मार्केट में सिर्फ ग्रोसरी यानी चावल-दाल, दूध-दही जैसी नॉन पेरिशेबल चीजें नहीं है। इसमें पंखा, कूलर, वॉशिंग मशीन जैसे पेरिशेबल आइटम्स भी हैं, जो किसी कस्टमर को यदि 10 मिनट के भीतर मिल जाता है, तो यह रेवेन्यू का बड़ा मॉडल हो सकता है।
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एडवरटाइजिंग रेवेन्यू 220% बढ़कर 3,542 करोड़
दिसंबर 2023 तक ब्लिंकिट का एडवरटाइजिंग रेवेन्यू 220% बढ़कर 3,542 करोड़ हो गया और ऐड देने वाली कंपनियों की संख्या 550 हो गई। दरअसल ब्लिंकिट ऐड देने वाली कंपनी और प्रोडक्ट बेचने वाली कंपनियों को सब कैटेगरी के ऑप्शन देता है। इससे कंपनी को कैटेगरी के हिसाब से अपने प्रोडक्ट से रिलेटेड ऐड देने में आसानी होती है और यूजर उन तक पहुंच पाता है। अभी ब्लिंकिट ग्रोसरी सेग्मेंट में 7 हजार से अधिक प्रोडक्ट बेच रही है।
ब्लिंकिट 2025 तक एक हजार और 2026 तक 2 हजार डार्क स्टोर बनाने पर काम कर रही है। पिछले क्वॉर्टर में कंपनी ने 113 नए डार्क स्टोर्स जोड़े हैं। इसके साथ ही मौजूदा समय में कंपनी के डार्क स्टोर्स की संख्या 639 हो गई है। प्रतिदिन 6 लाख से ज्यादा ऑर्डर की डिलीवरी कर रही है।
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