E-Commerce Market – 9 करोड़ दुकानदारों की बढ़ सकती है मुश्किल
E-Commerce Market: अमेरिका ने भारत पर 26% टैरिफ लगाया है जिसमें 90 दिन की राहत दी गई है। इस दौरान दोनों देशों ट्रेड एग्रीमेंट को लेकर बातचीत चल रही है। अमेरिका चाहता है कि भारत अपने 125 अरब डॉलर के ई-कॉमर्स बाजार को ऐमजॉन और वॉलमार्ट जैसी कंपनियों के लिए पूरी तरह खोल दे। यह बातचीत भारत और अमेरिका के बीच एक बड़े व्यापार समझौते का हिस्सा है। इसमें फूड और ऑटोमोबाइल जैसे कई क्षेत्र शामिल होंगे। अमेरिका चाहता है कि ई-कॉमर्स में सभी के लिए समान अवसर हों।

मार्केटप्लेस की तरह काम
भारतीय नियमों के मुताबिक अमेरिकी ई-कॉमर्स कंपनियां सिर्फ एक मार्केटप्लेस की तरह काम कर सकती हैं। लेकिन भारतीय कंपनियां अपने उत्पादों को बना और बेच सकती हैं। अमेरिका इसे गैर-टैरिफ बाधा कहता है। साथ ही भारत ने रिटेल में विदेशी निवेश पर सीमा लगा रखी है। रिटेल कंसल्टिंग फर्म टेक्नोपैक एडवाइजर्स के चेयर अरविंद सिंघल ने कहा कि 2006 से अमेरिका भारत के घरेलू बाजार को खोलने की कोशिश कर रहा है और हर बार असफल रहा है। भारत और अमेरिका ने एक व्यापार समझौते के लिए नियम और शर्तें तय कर ली हैं। रिपोर्ट में अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि कि ट्रंप प्रशासन अमेरिकी ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ मिलकर व्यापार रणनीति पर काम कर रहा है।
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ऐमजॉन के 4 करोड़ डेली एक्टिव यूजर्स
रिपोर्ट के अनुसार वॉलमार्ट के सीईओ डग मैकमिलन ने सबसे पहले यह मुद्दा डोनाल्ड ट्रंप के साथ हुई एक बैठक में उठाया था। मैकमिलन टैरिफ से जुड़ी चिंताओं पर चर्चा करने के लिए व्हाइट हाउस में भी मौजूद थे। इस मुद्दे के कई व्यावसायिक मायने हैं। अभी मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस रिटेल भारत की सबसे बड़ी रिटेल कंपनी है। उनका सीधा मुकाबला वॉलमार्ट और ऐमजॉन से है। वॉलमार्ट के पास भारत में फ्लिपकार्ट का मालिकाना हक है। ऐमजॉन ने 2013 में भारतीय बाजार में एंट्री मारी थी। बैंक ऑफ अमेरिका के विश्लेषकों के अनुसार पिछले साल के अंत में भारत में ऐमजॉन के लगभग 4 करोड़ डेली एक्टिव यूजर्स थे जबकि फ्लिपकार्ट के यूजर्स की संख्या 5 करोड़ थी।भारत की प्रतिकूल बाजार स्थितियों के कारण फ्लिपकार्ट का आईपीओ 2025 या 2026 तक के लिए टल गया है। फ्लिपकार्ट ने हाल ही में टैक्स के फायदे लेने के लिए अपना ठिकाना सिंगापुर से भारत में बदल लिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी रिटेलर्स के लिए मुश्किलें सिर्फ बाजार तक सीमित पहुंच तक ही नहीं हैं। बल्कि, भारतीय मानक ब्यूरो उनके गोदामों पर बिना प्रमाणित उत्पादों के लिए भारी कार्रवाई कर रहा है।

विदेशी निवेश का स्वागत
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के महासचिव और बीजेपी सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि ऐमजॉन और वॉलमार्ट जैसी अमेरिकी कंपनियों के लिए भारत के ई-कॉमर्स क्षेत्र को खोलने का प्रयास एक व्यापक आर्थिक कूटनीति को दर्शाता है। इसका उद्देश्य अपनी कंपनियों के लिए बाजार में दबदबा बनाना है। उन्होंने कहा कि विदेशी निवेश का स्वागत है लेकिन यह भारत के रिटेल इकोसिस्टम को बिगाड़कर या इसके नौ करोड़ छोटे व्यापारियों के हितों को कमजोर करके नहीं आना चाहिए। अमेरिका भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। दोनों देशों ने वस्तुओं और सेवाओं के द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करके 500 अरब डॉलर करने में रुचि दिखाई है। इसका मतलब है कि दोनों देश मिलकर और ज्यादा व्यापार करना चाहते हैं।