Ecoil, CEO Sushil Vaishnav : हर दिन 5,000 लीटर तेल कलेक्ट, सालाना टर्नओवर 3.5 करोड़,
Ecoil, CEO Sushil Vaishnav – राजस्थान के सुशील वैष्णव वेस्ट कुकिंग ऑयल को खरीदते हैं और बायोडीजल बनाने वाली कंपनी को बेच देते हैं। सुशील वैष्णव की कंपनी Ecoil इस वक्त सालाना टर्नओवर 3.5 करोड़ का है और आने वाले समय 10 करोड़ का टर्नओवर होने की उम्मीद है। सुशील वैष्णव बताते हैं कि एक रोज की बात है। किसी काम से हम लोग शहर के एक रेहड़ी वाले के यहां समोसा खा रहे थे, लेकिन उस समोसे में वो टेस्ट नहीं था, जो घर या अच्छे होटल का होता है। इसी बीच हमारी नजर कढ़ाही पर गई, जिसमें खौलता हुआ ऑयल एकदम काला हो चुका था।ये बात मेरे दिमाग में बैठ गई। कई दिनों तक सोचता रहा कि ऐसा क्यों होता है। फिर जब इंटरनेट-गूगल को खंगालना शुरू किया, तो पता चला कि ये लोग कुकिंग ऑयल का इस्तेमाल पूरी तरह से जलकर मवाद यानी गाढ़ा हो जाने तक करते रहते हैं। तो फिर इससे क्या किया जा सकता है? इसकी और अधिक खोजबीन की तब पता चला कि बायोडीजल बनाया जा सकता है, जो ग्रीन फ्यूल है।

दो-से-तीन बार ही रियूज करते हैं होटल्स
सुशील कहते हैं, जब मैंने होटल वालों से कुकिंग ऑयल के लगातार रियूज करने को लेकर पूछा तो बहुतों को पता ही नहीं था कि इसका क्या किया जा सकता है। कुछ लोगों ने तो बताने से भी इनकार किया, डर था कि उनका धंधा चौपट हो जाएगा। उनमें से कुछ ने जो कहा वो चौकाने वाला था। उनका कहना था कि इसका इस्तेमाल न करें तो क्या फेंक दें। कुछ ने कहा कि इसे कबाड़ी वाले को दे देते हैं। कबाड़ी वाले को? ये क्या करते होंगे? ये सवाल सहसा मेरे मुंह से निकल पड़ता है।
सुशील कहते हैं, दरअसल बड़े-बड़े होटल्स अपनी क्वालिटी को मेंटेन करने के लिए ऑयल को तय पैरामीटर यानी दो-से-तीन बार ही रियूज करते हैं फिर वो इसे कबाड़ी वाले को बेच देते हैं। अब कबाड़ी वाले छोटे-छोटे रेहड़ी, ठेला लगाने वालों के हाथों सस्ते रेट पर इसे बेच देते हैं। अधिकांश रेहड़ी या सड़क किनारे ठेला-स्टॉल लगाने वाले इसी ऑयल में कुछ मात्रा में फ्रेश ऑयल मिलाकर इस्तेमाल करते हैं, जो जहर से कम नहीं होता है।

2018 में लांच की कंपनी
सुशील बताते हैं, 2018 में हमने बायोडीजल बनाने वाली कंपनियों को वेस्ट कुकिंग ऑयल कलेक्ट कर सप्लाई करने की कंपनी ‘ECOIL’ लॉन्च की। हमारा काम वेस्ट कुकिंग ऑयल कलेक्ट कर बायोडीजल बनाने वाली कंपनियों को सप्लाई करना है। सुशील कहते हैं, हमारे पास जो पैसे थे, वो तो जानने वालों ने ठग लिया। उतने पैसे नहीं थे कि बड़ा वेयरहाउस सेट कर पाऊं। सुशील कहते हैं, शुरुआत में हम कीर्ति ( सुशील की पत्नी ) के साथ स्कूटर पर बैठकर दोनों हाथ में 15-15 लीटर का गैलन लेकर होटल-रेस्टोरेंट्स में जाते थे। उन्हें कहना पड़ता था कि जो वेस्ट ऑयल वो फेंक देते हैं या रियूज करते हैं, उसे वो हमें बेच सकते हैं। रियूज कुकिंग ऑयल से कस्टमर का हेल्थ खराब होता है।
वो खाने के साथ-साथ जहर परोस रहे हैं, लेकिन इन दुकानदारों का कहना होता था कि क्यों दूं? कुछ ने तो यहां तक कहा- ठीक है फ्रेश ऑयल 120 रुपए लीटर है, तो आप 110 रुपए ले लीजिए। धीरे-धीरे हमने बड़े होटल्स को टारगेट करना शुरू किया। उन्होंने इस्तेमाल किए हुए ऑयल को बेचने के लिए राजी हो गए। हमारे पास कोई वेयरहाउस नहीं था, जहां हम इसे स्टोर करते। हमने ऑयल को बाथरूम में स्टोर करना शुरू किया। फिर जब ऑयल जमा हो जाता फिर हम इसे बायोडीजल बनाने वाली कंपनियों को सप्लाई कर देते। धीरे-धीरे मार्केट में पहचान बनी। लोगों के बीच भी अवेयरनेस आया, सरकार ने भी सपोर्ट किया कि रियूज्ड कुकिंग ऑयल के बार-बार इस्तेमाल करके से वो कस्टमर के सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। फ्यूचर को बर्बाद कर रहे हैं।
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ऐप के जरिए ऑयल कलेक्ट
सुशील कहते हैं, आज हम हर दिन 5,000 लीटर इस्तेमाल किए गए कुकिंग ऑयल कलेक्ट कर रहे हैं। पत्नी के सपोर्ट ने हमें यहां तक लाया है। कुकिंग ऑयल में सरसो तेल, सोयाबिन ऑयल, कोकनट ऑयल के अलावा पाम ऑयल, मूंगफली ऑयल होता है। इंडस्ट्री में सबसे अधिक पाम ऑयल का इस्तेमाल होता है। हम कुकिंग ऑयल इस्तेमाल करने वाले दुनिया के सबसे बड़े देश हैं। सुशील ने ‘ECOIL’ नाम से एक ऐप भी डेवलप किया है, जिसके जरिए कोई भी आसानी से ऑयल कलेक्ट करने के लिए रिक्वेस्ट कर सकता है। बुकिंग प्रोसेस को लेकर सुशील ऐप दिखाते हुए कहते हैं, मान लीजिए कि आपका कोई होटल या रेस्टोरेंट है, जहां हर दिन 20 लीटर वेस्ट कुकिंग ऑयल निकलता है। क्वांटिटी के मुताबिक वो हमारे ऐप पर जाकर बुकिंग कर सकते हैं। फिर हमारी टीम रूट के हिसाब से ऑयल को कलेक्ट करती है। दिल्ली के वेयरहाउस में इसके फिल्टर किया जाता है और फिर बायोडीजल बनाने वाली कंपनियों को भेज दिया जाता है।

6 शहरों में है वेयरहाउस
सुशील कहते हैं, वेस्ट कुकिंग ऑयल को फिल्टर करने के बाद मिथेनॉल (CH3OH) और पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड (KOH) को 75 डिग्री सेल्सियस पर हीट किया जाता है। इसके बाद इसे ठंडा होने के लिए छोड़ दिया जाता है। कुछ घंटे के बाद बायोडीजल ऊपर की तरफ तैरने लगता है और ग्लिसरीन नीचे की तरफ जम जाता है। बायोडीजल वेस्ट कुकिंग ऑयल के अलावा वनस्पति ऑयल और एनिमल फैट से भी बनाया जाता है। सुशील बताते हैं, अभी हमारे दिल्ली, जयपुर समेत 6 शहरों में वेयरहाउस हैं जहां पर वेस्ट कुकिंग ऑयल का कलेक्शन किया जाता है और फिर इसे दिल्ली के वेयरहाउस में सफाई के बाद बायोडीजल बनाने वाली कंपनियों को भेज दिया जाता है। पिछले साल हमारा सालाना टर्नओवर 3.5 करोड़ था जबकि इस साल 10 करोड़ होने का टारगेट है। टोटल टर्नओवर में नेट फ्रॉफिट 20% के करीब होता है। ढ़ाई हजार से अधिक हमारे कस्टमर हैं।
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एक लीटर की कीमत 30 रुपए
एक लीटर रियूज कुकिंग ऑयल की कीमत 30 रुपए होती है। एक लीटर रियूज कुकिंग ऑयल से 75% से 85% तक बायोडीजल निकाला जा सकता है। यह ऑयल की क्वालिटी पर भी डिपेंट करता है। इसका प्रोसेसिंग कॉस्ट 20 रुपए के करीब आता है। मार्केट में बायोडीजल की कीमत अभी 90 रुपए प्रति लीटर के करीब है। इसका इस्तेमाल एविशन सेक्टर, रेलवे और ट्रांसपोर्ट सेक्टर में किया जाता है। नई बायोडीजल पॉलिसी के मुताबिक केंद्र सरकार ने 2025 तक डीजल के इस्तेमाल होने वाले सेक्टर में 5% बायोडीजल मिलाने की अनुमति दी है,
लेकिन कुछ राज्यों में 10 से 20 % तक ब्लैंडिंग की जा रही है। केंद्र का कहना है कि अभी देश में मौजूद मशीनरी डीजल में 20% बायोडीजल के मिलावट को ही झेल सकती है। सुशील कहते हैं, लोगों में अवेयर होने की सबसे ज्यादा जरूरत है, क्योंकि हमें होटल ओनर, रेहड़ी वालों से पूछना चाहिए कि वो जिस ऑयल में समोसा या पकोड़ा तल रहे हैं, वो कितनी बार इस्तेमाल किया जा चुका है।
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