Green Jobs: 4 लाख नई नौकरियों का होगा सृजन
Green Jobs: कम कार्बन वाले टिकाऊ समाज को हासिल करने के लिए समाज के विभिन्न क्षेत्रों को हरित तकनीक से संचालित करना होगा। इसलिए जनसांख्यिकी, शिक्षा, कौशल विकास, उद्यमिता और तकनीक के प्रभाव के साथ साथ श्रम कानून के क्षेत्रों में भी एक बड़ा परिवर्तन होगा। आने वाले दिनों में ग्रीन जॉब्स, ग्रीन बिजनेस के रूप में भी परिवर्तित होगा। वास्तव में नवीकरणीय ऊर्जा, ऊर्जा भंडारण, हरित ऊर्जा निर्माण, हरित परिवहन नेटवर्क, कार्बन सिंक, ठोस इलेक्ट्रोनिक अपशिष्ट प्रबंधन, जल प्रबंधन, ई- अपशिष्ट प्रबंधन जैसे सभी क्षेत्रों में आने वाले सालों में बड़े पैमाने पर हरित तकनीक में विशेषज्ञ लोगों की जरूरत महसूस होगी।
इस क्षेत्र में किस तरह से दक्ष लोगों की जरूरत हाल के सालों में दिन दूनी रात चौगनी रफ्तार से बढ़ी है, इसे इस बात से समझा जा सकता है कि साल 2011 से 2014 के बीच जहां कुल 24,000 ग्रीन तकनीकी विशेषज्ञ ही पूर्णकालिक नौकरियों पर थे, वहीं अब इनकी संख्या 1,40,000 से भी ऊपर पहुंच गई है। देश में आने वाले तीन सालों में इस क्षेत्र में 27 बिलियन डॉलर के निवेश की उम्मीद है और कम से कम 4 लाख नई नौकरियों के सृजन का भी आंकलन है। इससे साफ है कि आने वाले सालों में नौकरियों के लिहाज से ग्रीन एनर्जी हॉट क्षेत्र साबित होगा।
हरित परिवहन नेटवर्क की तरफ कदम
परिवहन के क्षेत्र में भी भारत लगातार स्वच्छ या हरित परिवहन नेटवर्क की तरफ अपने कदम बढ़ा रहा है। क्योंकि जलवायु परिवर्तन जैसी आपदा से बचने के लिए अब तक का यही सबसे बड़ा और जाना पहचाना उपाय है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार स्वच्छ ऊर्जा और हरित परिवहन की वकालत करते देखे जा सकते हैं। यह इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि अगर जलवायु परिवर्तन अनियंत्रित ढंग से ऐसे ही होता रहा, जैसे हो रहा है, तो दुनियाभर के गरीब और कमजोर लोगों की इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। इस लिहाज से इसकी मार हमारे देश में विकसित देशों के मुकाबले कहीं ज्यादा घातक होगी। इन परिस्थितियों में यह अलग से बताने की जरूरत नहीं है कि हर गुजरते दिन के साथ ग्रीन तकनीकी की मांग बढ़ती जा रही है, जाहिर है इस तकनीक के लिए कुशल कामगारों की भी उसी रफ्तार से मांग बढ़ रही है। इस समय अगर आप नौकरियों से संबंधित विभिन्न वेबसाइटों को खंगाले तो कम से कम 20 से 25 फीसदी नौकरियां ग्रीन तकनीकी क्षेत्र में दक्ष लोगों के लिए उपलब्ध है।
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2030 तक कुशल लोगों की मांग
फिक्की की एक रिपोर्ट के मुताबिक ग्रीन तकनीकी क्षेत्र में साल 2030 तक लगातार 15 से 20 फीसदी के बीच ग्रीन तकनीकी में कुशल लोगों की मांग बनी रहेगी। इसलिए अगर इसे करिअर के सबसे शानदार उभरते क्षेत्र में गिनती होती है तो यह गलत नहीं है। महत्वपूर्ण बैंकिंग विशेषज्ञ नैना लाल किदवई ने फिक्की के ब्लॉग में साल 2016 में ही लिखा था कि आने वाले एक दशक में अक्षय ऊर्जा का क्षेत्र 10 लाख से ज्यादा पूर्णकालिक नौकरियां ग्रीन तकनीकी में दक्ष लोगों के लिए पैदा करेगा। दरअसल जब जीवन जीने के -सजयंग का माध्यम बदल जाता है तो हर क्षेत्र में बड़े पैमाने पर परिवर्तन होता है।
19वीं शताब्दी से लगातार फॉसेल एनर्जी (जीवाश्म ऊर्जा) के अनुकूल औद्योगिक ढांचा विकसित हुआ है, क्योंकि यही सुगमता से बहुतायत में उपलब्ध ऊर्जा थी। लेकिन जिस तरह से डीजल और पेट्रोल के कारण पूरी दुनिया में प्रदूषण बढ़ा है और पृथ्वी में जलवायु परिवर्तन की रफ्तार तेज हुई है, उसके कारण अब जीवाश्म ऊर्जा से लगातार दुनिया के सभी देश अपनी दूरियां बढ़ाएंगे, नतीजतन बड़े पैमाने पर अक्षय ऊर्जा का विस्तार होगा और अगर विस्तार होगा तो कहने की जरूरत नहीं है कि ग्रीन तकनीकी के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर नौकरियां पैदा होंगी, क्योंकि यह तकनीक जब अब तक चली आ रही तकनीक को बदलेगी तो बहुत सारा अधिसंरचनात्मक बदलाव भी करना पड़ेगा।
दो करोड़ लोगों को मिलेगा रोजगार
हरित तकनीक सिर्फ ऊर्जा के क्षेत्र में ही बड़े पैमाने पर कुशल कामगारों की जरूरत नहीं पैदा करेगी बल्कि विभिन्न लाइफस्टाइल उत्पादों को भी हरित ऊर्जा के अनुकूल ढालने के लिए हमें करीब करीब हर क्षेत्र में एक नवीकरण से गुजरना होगा और अगर अगले दो दशकों का अनुमान लगाया जाए, तो विशेषज्ञों का यह आंकलन अवास्तविक नहीं है कि साल 2040 तक भारत में ग्रीन तकनीक के क्षेत्र में कम से कम दो करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार हासिल होगा। दरअसल यह एक तरह से एनर्जी के मामले में पूरी तरह से शिफ्ट करने का मामला है। इसलिए आने वाले दिनों में लगातार ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में नौकरियों की बढ़ोतरी होगी।
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स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देना होगा
चूंकि ग्रीन तकनीक के अनुकूल विभिन्न क्षेत्रों को ढालने के लिए नये सिरे से इस तकनीक में दक्ष लोगों की जरूरत को या तो नये सिरे या पहले काम कर रहे लोगों की कुशलता को बढ़ाकर पूरा किया जायेगा। लेकिन यह क्षेत्र सतत विकास के लक्ष्य को हासिल करने में आने वाले दिनों में सबसे ज्यादा नौकरी पैदा करने वाला क्षेत्र बनकर उभरेगा। भारत में ग्रीन जॉब्स लगातार बढ़ रहे हैं, यह स्वाभाविक भी है, क्योंकि हमने सीओपी- 21 (कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज- 21) में वायदा कि साल 2030 तक हम अपने सकल घरेलू कार्बन उत्सर्जन तीव्रता को 2005 के स्तर से भी 33 से लेकर 35 फीसदी तक कम कर देंगे। हालांकि हमारी यह एक स्वैच्छिक घोषणा है, लेकिन इसके लिए हमें लगातार स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देना होगा और देश ऐसा कर भी रहा है। साल 2022 के अंत में देश एक तरफ जहां दुनिया का सबसे बड़ा बिजली उपभोक्ता देश था, वहीं दूसरी तरफ हम दुनिया के तीसरा सबसे बड़े रिन्यूएबल एनर्जी (अक्षय ऊर्जा) के उत्पादक देश भी थे। साल 2022 में देश की कुल ऊर्जा जरूरतों का 40 फीसदी रिन्यूएबल एनर्जी या अक्षय ऊर्जा से पूरी हो रही थी। हम 408.71 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी का उत्पादन कर रहे थे, जिसमें से अकेले 160 गीगावाट उत्पादन की अधिसंरचना साल 2022 में ही स्थापित की गई।
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