India-US Trade – 26% की टैरिफ से चीजों की कीमतें बढ़ने की आशंका
India-US Trade: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित 26% की टैरिफ दर लागू हो गई है। ट्रंप के इस जख्म से भारत से अमेरिका जाने वाले सामान की कीमत बढ़ने की आशंका है, जो अमेरिकी बाजार में भारतीय सामान की मांग को कम कर सकता है। इससे भारत से जाने वाले आभूषणों, ऑटो कंपोनेंट, कपड़ों व परिधान के साथ ही कई वस्तुओं के निर्यात पर असर पड़ सकता है। अभी ट्रंप ने दवाओं पर टैरिफ लागू नहीं किया है, लेकिन वह बार-बार इसे लगाने की धमकी दे रहे हैं। भारत सालाना तौर पर अमेरिका को करीब 9 अरब डॉलर की दवा निर्यात करता है। भारत के दवा निर्यात से अमेरिका के स्वास्थ्य खर्च में भारी कटौती होती है। यही वजह है कि ट्रंप दवाओं पर टैरिफ लगाने से पहले काफी विचार कर रहे हैं। ट्रंप चाहते हैं कि दुनिया की तमाम फार्मा कंपनियां अमेरिका के लिए अमेरिका में दवाएं बनाएं। भारतीय दवा उद्योग का कहना है कि यह संभव नहीं है और भारत में दवा बनाने पर जो खर्च आता है, वह अमेरिका में दवा बनाने की तुलना में काफी कम है।

फार्मेक्सिल का जोखिम के आधार पर मूल्यांकन शुरू
भारत के दवा निर्यात में अमेरिका शीर्ष गंतव्य देश बनकर उभरा है। वित्त वर्ष 2024-25 में अप्रैल से फरवरी के दौरान भारत ने अमेरिका को 9.8 अरब डॉलर का दवा निर्यात किया है, जो उसके कुल निर्यात के 36 फीसदी से अधिक है। फार्मेक्सिल द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के मुताबिक बड़े आधार के बावजूद वित्त वर्ष 2024-25 में अप्रैल से फरवरी के दौरान अमेरिका को दवा निर्यात 14 फीसदी बढ़ा है। फार्मेक्सिल के वाइस चेयरमैन और किलिच ड्रग्स के पूर्णकालिक निदेशक भाविन मेहता ने कहा कि नए बाजारों में पहुंचना बहुत आसान नहीं होता है।
उन्होंने कहा, ‘नए बाजार में जगह बनाने में न्यूनतम डेढ़ से दो साल लग जाते हैं। यहां तक कि अगर निर्यातक आज यु्द्ध स्तर पर लग जाएं तो यह 2026 के पहले नहीं हो पाएगा। उसके बाद ही कुछ जमीनी स्तर पर नजर आएगा।’ उन्होंने कहा कि फार्मेक्सिल ने निर्यात बाजारों का जोखिम के आधार पर मूल्यांकन करना शुरू कर दिया है। निर्यातकों और सरकारी अधिकारियों के बीच बैठक इस महीने में होने की संभावना है।
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अफ्रीका ‘महत्त्वपूर्ण क्षेत्र’ के रूप में चिह्नित
गुजरात के एक निर्यातक ने बताया कि इसका उद्देश्य हमारे निर्यात कारोबार को जोखिम मुक्त करना है और साफतौर पर अफ्रीका व लैटिन अमेरिका पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। ‘हालांकि बड़ी दवा कंपनियां भी कारोबार का जोखिम कम करने और लैटिन अमेरिका, अफ्रीका और आसियान जैसे उभरते बाजारों में कारोबार बढ़ाने की कोशिश करेंगी। हमारे जैसे छोटे और मझोले आकार के निर्यातकों के लिए स्थिति आसान नहीं है कि बड़े कारोबारियों के साथ प्रतिस्पर्धा की जा सके। बड़े कारोबारियों को कारोबार के पैमाने के कारण फायदा होता है।’ मेहता ने कहा कि फार्मेक्सिल ने अफ्रीका को ‘महत्त्वपूर्ण क्षेत्र’ के रूप में चिह्नित किया है। उन्होंने कहा कि पिछले सप्ताह फार्मेक्सिल के नेतृत्त्व में एक प्रतिनिधिमंडल 3 अफ्रीकी देशों तंजानिया, इथियोपिया और जांबिया गया था।मेहता ने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 में अप्रैल से फरवरी के दौरान भारत का दवा निर्यात 6.95 फीसदी बढ़कर 26.58 अरब डॉलर हो गया है। अभी मार्च के आंकड़े आने बाकी हैं। पूरे वित्त वर्ष का निर्यात करीब 27 अरब डॉलर हो सकता है। भारत के लिए अमेरिका, यूरोप और अफ्रीका बड़े निर्यात क्षेत्र हैं, जहां देश के कुल निर्यात का 70 फीसदी हिस्सा जाता है।

चीन ने भी अमेरिका पर 84% कर लगाया
उधर, ट्रंप के टैरिफ लगाने के बाद से अमेरिका सहित दुनिया के अधिकांश बाजार संभल नहीं पा रहे हैं। अमेरिका द्वारा चीन पर 104 फीसदी टैरिफ लगाने के बाद दुनिया में ट्रेड वार का खतरा बढ़ गया है, क्योंकि चीन ने साफ कर दिया है कि वह किसी दबाव में नहीं आने वाला। बुधवार को चीन ने अमेरिका पर 10 अप्रैल से 84 फीसदी अतिरिक्त कर लगाने की घोषणा की है। अपने कदम को सही ठहराने के लिए ट्रंप लगातार चुभने वाली बयानबाजी कर रहे हैं। उनका दावा है कि टैरिफ की घोषणा के बाद से अनेक देश उनकी चापलूसी कर रहे हैं और डील करने का आग्रह कर रहे हैं।
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एशिया-प्रशांत के बाजारों में बिकवाली का दौर जारी
एशिया-प्रशांत क्षेत्र के बाजारों में पिछले सप्ताह भारी बिकवाली देखने को मिली। हांगकांग के बाजारों में सबसे अधिक गिरावट रही, जहां हैंगसेंग इंडेक्स 13.22% गिरकर 19,828.30 पर बंद हुआ, जबकि हैंगसेंग टेक इंडेक्स 17.16% लुढ़ककर 4,401.51 पर पहुंच गया। चीन के सीएसआई 300 में 7.05% की भारी गिरावट आई और यह 3,589।44 पर बंद हुआ। यह अक्टूबर के बाद से एक दिन में सबसे बड़ी गिरावट है। जापान का बेंचमार्क निक्की 225 7.83% गिरकर 31,136.58 पर आ गया, जो 18 महीनों का निचला स्तर है। दिन की शुरुआत में जापानी वायदा बाजारों में ट्रेडिंग रोक दी गई, क्योंकि सर्किट ब्रेकर स्तर पार हो गया था। दक्षिण कोरिया में कोस्पी इंडेक्स 5.57% गिरकर 2,328.20 पर पहुंच गया, जबकि स्मॉल-कैप कोस्डाक 5.25% गिरकर 651.30 पर बंद हुआ। ऑस्ट्रेलिया का एस&पी/एएसएक्स 200 सूचकांक 4.23% गिरकर 7,343.30 पर बंद हुआ।