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MARWARI BUSINESS SECRETS: राजस्थान की GDP से भी ज्यादा है टोटल वेल्थ

MARWARI BUSINESS SECRETS: भारत के एक राज्य में एक ऐसी कम्युनिटी रहती है जो यहां से निकल कर पूरे देश के बिजनेस को डोमिनेट करती है।

WeStory Editorial Team
Last updated: 2025/01/07 at 10:47 AM
WeStory Editorial Team
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15 Min Read
MARWARI BUSINESS SECRETS
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MARWARI BUSINESS SECRETS – सबसे दिमागदार कम्युनिटी ‘मारवाड़ी’, मिट्टी को सोना बनाने का हुनर

MARWARI BUSINESS SECRETS: भारत के एक राज्य में एक ऐसी कम्युनिटी रहती है जो यहां से निकल कर पूरे देश के बिजनेस को डोमिनेट करती है। आदित्य बिरला ग्रुप, बजाज इमामी, द टाइम्स ग्रुप जैसे कई बिजनेसेस के ओनर्स इस छोटी सी कम्युनिटी से आते हैं। हम बात कर रहे हैं मारवाड़ी कम्युनिटी की, जो आते तो राजस्थान से हैं लेकिन अगर इनकी टोटल वेल्थ कर दी जाए तो वो राजस्थान की जीडीपी से भी ज्यादा है। इतना ही नहीं बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में जितनी भी कंपनीज हैं उसका 6 प्रतिशत यानी 228 बिलियन डॉलर मारवाड़ियों के पास है। इनके पास इतना पैसा है कि अगर ये आपके पास होता तो आप मुकेश अंबानी जी का जो बिजनेस है reliance और HDFC जो लार्जेस्ट बैंक है, दोनों को खरीद लेते हैं, और उसके बावजूद आपके पास करोड़ों रुपए बच जाते। इंडिया के 26 बिलियनर्स मारवाड़ी कम्युनिटी से बिलोंग करते हैं और 50 इंडियन स्टार्टअप्स में एटलीस्ट एक मारवाड़ी फाउंडर ही है।

Table of Contents
MARWARI BUSINESS SECRETS – सबसे दिमागदार कम्युनिटी ‘मारवाड़ी’, मिट्टी को सोना बनाने का हुनरक्वालिटी – 1 : इनोवेटिव स्ट्रेटेजी : हल्दीराम ब्रांडक्वालिटी – 2 : डायवर्सिफिकेशन : वेदंता रिसोर्सेसक्वालिटी – 3 : ब्रेकिंग ऑल द बैरियर्स : सोनालिका ट्रैक्टर्सक्वालिटी – 4 : हाय रिस्क टेकिंग कैपेबिलिटी : श्री सीमेंट लिमिटेडक्वालिटी – 5 : एडॉप्ट एंड ऑपर्च्युनिटी
MARWARI BUSINESS SECRETS
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क्वालिटी – 1 : इनोवेटिव स्ट्रेटेजी : हल्दीराम ब्रांड

इनोवेटिव स्ट्रेटेजी क्वालिटीज के कारण मारवाड़ी बिजनेस में बहुत ही अच्छे हैं। जब भी हम स्नैक्स की बात करते हैं तो हमारे दिमाग में एक पिक्चर जरूर क्रिएट होती है और वो है हल्दीराम। आज ये ब्रांड हर घर में पहुंच चुका है और मार्केट में इन्होंने ऐसी पकड़ बनाई है कि यूएस के बड़े-बड़े ब्रांड्स जैसे कि नज या mcdonald’s ये दोनों मिलाकर भी इसे मुकाबला नहीं दे पाते। इसकी शुरुआत 11 साल के एक बच्चे ने की थी वो भी भुजिया बनाकर और आज यह कंपनी 80,000 करोड़ की हो गई है। हल्दीराम की स्थापना गंगा बिसन अग्रवाल ने की थी। उनकी मां उन्हें प्यार से हल्दीराम बुलाती थीं और इसी नाम से वे देश-दुनिया में प्रसिद्ध हो गए। महज 10 साल की उम्र में गंगा बिशन ने 1918 में अपने पिता की दुकान पर काम करना शुरू कर दिया। इस दौरान वे अपनी चाची की बताई रेसिपी के अनुसार भुजिया बनाते और बेचते थे।

लेकिन, परिवार से विवाद होने के कारण उन्होंने घर छोड़ दिया। इसके बाद 1937 में हल्दीराम ने बीकानेर में अपनी पहली दुकान शुरू की जहाँ उन्होंने बीकानेरी भुजिया बेचना शुरू किया। गंगा बिशन अग्रवाल उर्फ हल्दीराम जी ने भुजिया को लेकर अपनी रेसिपी में कई बदलाव किए, जो लोगों को काफी स्वादिष्ट लगे। इन बदलावों के कारण उनकी बिक्री बढ़ी और कई ग्राहक उनके पास पहुंचे। एक समय जब हल्दीराम कोलकाता में एक शादी में शामिल हुए, तो उन्होंने वहां एक दुकान खोलने का फैसला किया। बीकानेर भुजिया के बिजनेस को आगे बढ़ाने की दिशा में यह उनका पहला कदम था। इसके बाद अगले तीन दशकों में उनका बिजनेस नागपुर और फिर राजधानी दिल्ली में भी पहुंचा।

इसके देश के प्रमुख शहरों के साथ-साथ विदेशों में भी हल्दीराम के कई स्टोर खुले। 1993 में ही हल्दीराम ने अमेरिका समेत लगभग 50 देशों में अपने नमकीन और मिठाई उत्पादों का निर्यात करना शुरू कर दिया। हल्दीराम फूड्स इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड का राजस्व FY22 में 3,622 करोड़ रुपये था, जबकि हल्दीराम स्नैक्स प्राइवेट लिमिटेड का राजस्व FY22 में 5,248 करोड़ रुपये था। मर्जर के बाद इस बिजनेस यूनिट का रेवेन्यू 8,870 करोड़ रुपये हो जाता है। एनालिस्ट ने कहा कि इससे हल्दीराम का अनुमानित मूल्यांकन वित्त वर्ष 2022 में उसके कारोबार की बिक्री का 10 गुना हो गया है, जो लगभग 83,000 करोड़ रुपये है।

Read more: Veeba The brand: भारतीय बाजार में ‘वीबा’ ब्रांड की धाक, 700 से अधिक शहरों में नेटवर्क

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क्वालिटी – 2 : डायवर्सिफिकेशन : वेदंता रिसोर्सेस

मारवाड़ियों की सेकंड आउटस्टैंडिंग क्वालिटी है डायवर्सिफिकेशन। ये कहानी है एक ऐसे इंसान की जो बिहार से निकलकर मुंबई आए और स्क्रैप यानी कबाड़ी वाले का काम किया। आज उनकी नेट वर्थ 16000 करोड़ है, उनकी कंपनी इंडिया की लार्जेस्ट माइनिंग कंपनी है और उन्हें मेटल किंग के नाम से जाना जाता है। वेदंता रिसोर्सेस के फाउंडर और चेयरमैन अनिल अग्रवाल का बचपन में पढ़ाई में मन ना लगने के कारण 15 साल की उम्र में ही इन्होंने स्कूल छोड़ दिया और अपने फादर के बिजनेस में लग गए। ये हमेशा से ही एक ड्रीमर थे और इनका ड्रीम था कि खुद का कुछ करना है, खुद का बिजनेस करना है इसीलिए ये मुंबई शिफ्ट हो गए।

मुंबई आने पर ना उनके पास पैसे थे और ना ही वहां पर किसी को ये जानते थे ये जिनके साथ काम करते थे वो एक कबाड़ी वाला था। उसने कहा कि देख मेरे पास एक रूम है जिसमें सात बेड लगे हैं एक में आके तू भी सो सकता है। वहीं पर उन्होंने स्क्रैप डीलिंग का काम स्टार्ट कर दिया जहां पर वो केबल कंपनी से कबाड़ लेते और उसे फैक्ट्रीज को बेच देते। स्क्रैप की डीलिंग करते-करते 1976 में उन्हें शमशेर स्टर्लिंग केबल कंपनी जहां से वोह स्क्रैप लिया करते थे, उसे खरीदने का मौका दिखा क्योंकि वो कंपनी बैंकर करप्ट हो चुकी थी। उस वक्त उन्हें सोचा कि यह कंपनी तो मुझे खरीदनी है और उन्होंने 66 लाख का लोन लिया। जो कि आज की कैलकुलेशन के अकॉर्डिंग 10।2 करोड़ बनता है। इस बिजनेस में काम करने के बाद 1986 में उन्होंने स्टरलाइट इंडस्ट्रीज को खरीद लिया जो कि आगे चलके वेदांता रिसोर्सेस बन गई।

इन्होंने यहीं से कॉपर की स्मेल्टिंग और रिफाइनिशिव में इन्होंने मेजॉरिटी शेयर्स ले लिए जिससे इनका बिजनेस और ज्यादा डायवर्सिफाई हो गया। लेकिन इसके बाद भी ये नहीं रुके 2007 में सेसा गवा नाम की आयरन ओर प्रोड्यूसर को भी इन्होंने एक्वायर किया और साथ ही में ऑयल एंड गैस कंपनी कैरन इंडिया को 2011 में एक्वायर किया। इनकी एलुमिनियम जिंक कॉपर के माइन सिर्फ इंडिया में नहीं बल्कि साउथ अफ्रीका अफ्रीका ऑस्ट्रेलिया और जांबिया जैसी कंट्रीज में भी है। बिहार से आया हुआ एक लड़का जो कबाड़ बेच रहा था आज उसकी कंपनी की नेट वर्थ 83000 करोड़ है।

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क्वालिटी – 3 : ब्रेकिंग ऑल द बैरियर्स : सोनालिका ट्रैक्टर्स

40 साल के बाद जब आप 60 या 65 साल के हो जाएंगे तब आप क्या करने का सोच रहे होंगे मोस्ट प्रोबेबली हमें से ज्यादातर लोग काम से रिटायर होकर आराम की जिंदगी काटना चाहते हैं। जिस एज में लोग रिटायर होते हैं उस एज में इस इंसान ने बिजनेस करने का सोचा बिजनेस में ये फेल भी हुए लेकिन हार नहीं मानी, ना सिर्फ इन्होंने अपनी कंपनी को बचाया बल्कि उसे इंडिया की थर्ड लार्जेस्ट ट्रैक्टर मैन्युफैक्चरर बना दिया। सिर्फ इतना ही नहीं 92 की एज में ये इंडिया के ओल्डेस्ट बिलिनियर भी बने और इनकी नेट वर्थ 23000 करोड़ है। क्ष्‍मण दास मित्‍तल सोनालिका ग्रुप के चेयरमैन हैं। यह ग्रुप भारत में तीसरे नंबर का सबसे बड़ा ट्रैक्टर निर्माता है। वह देश के सबसे उम्रदराज अरबपति हैं।

लक्ष्मण दास मित्तल का जन्म पंजाब के होशियारपुर में हुआ था। उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत एक बीमा एजेंट के रूप में की थी। लक्ष्मण दास मित्तल एलआईसी एजेंट हुआ करते थे। वह कारोबार करना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने अपनी सैलरी से पाई-पाई जमा की। लक्ष्मण दास मित्तल 60 साल की उम्र तक एलआईसी एजेंट के रूप में काम करने के बाद रिटायर हो गए थे। आमतौर पर लोग रिटायर होकर खुशहाल और शांतिमय जीवन बीताना पसंद करते हैं, लेकिन लक्ष्मण दास मित्तल ने इस उम्र में भी काम और संघर्ष करना नहीं छोड़ा था। लक्ष्मण दास मित्तल ने अपनी सारी बचत का उपयोग कृषि मशीनों से जुड़े साइड बिजनेस स्थापित करने के लिए किया, उन्होंने साल 1996 में ट्रैक्टर निर्माण में प्रवेश करके सोनालिका ट्रैक्टर्स की स्थापना की। लक्ष्मण दास मित्तल कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मान से भी नवाजे जा चुके हैं। इनमें प्रतिष्ठित उद्योग रत्न पुरस्कार भी शामिल है।

लक्ष्मणदास मित्तल की ट्रैक्टर कंपनी का उत्तर भारतीय राज्यों में मजबूत कारोबार है। पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गांवों में सोनालिका के ट्रैक्टर किसानों की पसंद रहे हैं। लक्ष्मण दास मित्तल ने अपनी मेहनत के दम पर करोड़ों की कंपनी खड़ी कर दी है। वह भारत के सबसे उम्रदराज अरबपतियों की लिस्ट में शामिल हैं। आज उनकी नेटवर्थ करीब 2।5 अरब डॉलर के आस पास है। एक साधारण एलआईसी एजेंट से लेकर उन्होंने अरबपति तक का सफर तय किया है। ये सफर आसान नहीं था। उन्हें कई बार गिरना पड़ा, कारोबार दिवालिया हो गया, लेकिन उन्होंने हार न मानने की ठान ली थी। मौजूदा समय में सोनालिका ग्रुप का कारोबार 120 से अधिक देशों में फैला हुआ है।

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क्वालिटी – 4 : हाय रिस्क टेकिंग कैपेबिलिटी : श्री सीमेंट लिमिटेड

श्री सीमेंट लिमिटेड के अध्यक्ष हरि मोहन बांगुर देश के जाने-माने व्यवसायी हैं। उनका जन्म 1952 में राजस्थान के डीडवाना में हुआ था। स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने IIT-बॉम्बे से केमिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री हासिल की। पढ़ाई पूरी होने के बाद उन्होंने राजस्थान के जयपुर में 1979 में श्री सीमेंट लिमिटेड की स्थापना की। वर्तमान में कंपनी का मुख्यालय कोलकाता में है और यह उत्तर भारत के सबसे बड़े सीमेंट निर्माताओं में से एक है। श्री सीमेंट लिमिटेड आज श्री अल्ट्रा जंग रोधक, बांगुर सीमेंट और रॉकस्ट्रांग के नाम से ब्रांडेड सीमेंट बेचती है।हरि की अनुमानित संपत्ति 1,233 करोड़ रुपये है। उनके पिता बेनु गोपाल बांगुर भारत के सबसे धनी लोगों में से एक हैं और पश्चिम बंगाल के सबसे अमीर व्यक्ति हैं।

बेनु गोपाल बांगुर की अनुमानित कुल संपत्ति 55,450 करोड़ रुपये है। वर्तमान में श्री सीमेंट लिमिटेड का बाजार पूंजीकरण 87,351 करोड़ रुपये है। हरि द बंगाल नामक एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) के अध्यक्ष भी हैं, जो बुजुर्ग लोगों की मदद के लिए कोलकाता पुलिस के साथ सक्रिय रूप से जुड़ा हुआ है। व्यावसायिक समुदाय में उनके योगदान के लिए उन्हें काफी सराहा गया और उन्हें 2016 के प्रतिष्ठित EY एंटरप्रेन्योर का पुरस्कार मिला। 2017 में उन्होंने फोर्ब्स इंडिया लीडरशिप अवार्ड भी जीता। उनकी मेहनत के बदौलत श्री सीमेंट वर्तमान में बाजार के हिसाब से भारत की तीसरी सबसे बड़ी सीमेंट कंपनी है।

Read more: Jagat, Satyam, and Nitish: तीन दोस्त कर रहे कमाल, केले से कमा रहे करोड़ों

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क्वालिटी – 5 : एडॉप्ट एंड ऑपर्च्युनिटी

पीरामल ग्रुप के चेयरमैन अजय पीरामल अपने कारोबारी फैसलों के लिए जाने जाते रहे हैं। एक सफल आंत्रप्रेन्योर के तौर पर अजय पीरामल ने अपने ग्रुप को बीते 4 दशकों में नई ऊंचाइयां दी हैं। यहां तक कि 1980 के दशक के अंत तक वह एक टेक्सटाइल कंपनी और एक मशीन टूल्स कंपनी चला रहे थे। यह काम उन्हें अपने पिता से विरासत में मिला था। अजय पीरामल को उनके सटीक फैसलों के चलते ही भारत का वॉरेन बफे कहा जाता है। अजय पीरामल का 4 बिलियन डॉलर का पीरामल एंटरप्राइजेज फार्मास्युटिकल, फाईनेंशियल सर्विसेज, रियल स्टेट, हेल्थकेयर एनालिटिक्स और ग्लास पैकेजिंग के क्षेत्र में काम करता है।

ग्रुप के कुल राजस्व में एक तिहाई हिस्सा दूसरे देशों से आने वाले रेवेन्यू का है। दुनिया के लगभग 30 देशों में पीरामल ग्रुप के ऑफिस है। पीरामल ग्रुप को इस ऊंचाई पर लाने का श्रेय पूरी तरह उन्हें ही दिया जाता है। जमनालाल बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ बिजनेस स्टडीज एमबीए करने के बाद अजय पीरामल अपना फैमिली बिजनेस देखने लगे। इसके बाद पिता गोपीकृष्ण पीरामल ने उस समय नई अधिग्रहण की गई कंपनी मीरांडा टूल्स की जिम्मेदारी अजय पीरामल को सौंप दी थी। फार्मा सेक्टर में एंट्री से पहले अजय पीरामल ने टेक्सटाइल बिजनेस को ही आगे बढ़ाने का प्रयास किया था। हालांकि यहां उन्हें लेबर से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ा था और फिर उन्होंने फार्मा सेक्टर की ओर रुख किया।

इसके बाद पीरामल ने निकोलस लैब्स को खरीद लिया। फार्मास्युटिकल सेक्टर पीरामल ग्रुप में पीरामल के नेतृत्व में एक के बाद एक डील स्ट्राइक की। कुछ समय बाद ही पीरामल सभी रेंज के ड्रग्स का निर्माता हो गया। यही नहीं आज भारत में अपने कारोबार को लेकर संघर्ष कर रही टेलिकॉम कंपनी वोडाफोन के जरिए भी अजय पीरामल ने एक समय में मोटी कमाई की थी। उन्होंने 2014 में वोडाफोन इंडिया लिमिटेड में अपने सारे शेयर 8,900 करोड़ रुपए में प्राइम मेटल लिमिटेड को बेच दिए थे। वोडाफोन इंडिया लिमिटेड के कुल शेयर में अजय पीरामल के 11 फीसदी शेयर थे।

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