MG Motors Story – साइकिल की दुकान से हुई थी MG Motors की शुरुआत
MG Motors Story – दुनिया के सबसे बड़े कार ब्रांड में से एक MG Motors की शुरुआत साइकिल की दुकान से हुई थी। इसकी शुरुआत सिसिल किम्बर ने मोरिस गैराज से 1924 में की थी। आज एमजी मोटर 80 से ज्यादा देशों में कारोबार कर रहा है। एमजी मोटर की सफलता के पीछे 2 किरदार अहम हैं। एक विलियम रिचर्ड मॉरिस और दूसरे सेसिल किम्बर। विलियम रिचर्ड मॉरिस के पिता खेतों में काम करते थे। मॉरिस मेडिसिन की पढ़ाई करना चाहते थे। हालांकि घर के हालात और पिता की बीमारी की वजह से 15 साल की उम्र में ही मॉरिस पर जिम्मेदारियां आ गईं। मॉरिस ने पढ़ाई का सपना छोड़कर घर के पीछे एक साइकिल रिपेयरिंग की दुकान खोली जिसका नाम था मॉरिस गैराज।

ऑटोमोबाइल के सेक्टर में कदम रखा
कुछ समय बाद मॉरिस ने ऑर्डर पर साइकिल बनाना भी शुरू कर दिया। धीरे-धीरे मॉरिस ने साइकिल का काम छोड़कर मोटरसाइकिल बेचनी शुरू की और ऑटोमोबाइल के सेक्टर में कदम रखा। साल 1903 में उन्होंने एक पार्टनरशिप की, लेकिन उनका गैराज दिवालिया हो गया। मॉरिस ने हार नहीं मानी और साल 1904 में 50 पाउंड (5,016 रुपए) का कर्ज लेकर गैराज के बचे हुए सामान के साथ फिर शुरुआत की। साल 1913 में मॉरिस की पहली दो सीटर कार आई, जिसका नाम था मॉरिस- ऑक्सफोर्ड। इसके बाद मॉरिस गैराज लोगों के बीच फेमस होने लगा। कम कीमत में छोटी कार बनाकर मॉरिस ने इंग्लैंड की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में एक नई शुरुआत की। धीरे-धीरे मॉरिस गैराज का बिजनेस बढ़ने लगा।
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सेसिल किम्बर ने मॉरिस गैराज को नई पहचान दिलाई
12 अप्रैल, 1888 को लंदन में पैदा हुए सेसिल किम्बर को शुरुआत से ही मोटरसाइकिल में खासी दिलचस्पी थी। उनके पिता प्रिंटिंग इंजीनियर थे। सेसिल किम्बर ने स्टॉकपोर्ट ग्रामर स्कूल में पढ़ाई की और अपने पिता की कंपनी में काम देखने लगे। साल 1910 में किम्बर का एक एक्सीडेंट हुआ जिसने उनकी जिंदगी बदल दी। 1910 में किम्बर का बाइक एक्सीडेंट हो गया और उनके दाहिने पैर में गहरी चोट लगी। लिहाजा उन्हें मोटरसाइकिल छोड़नी पड़ी और फिर उन्होंने अपना फोकस ऑटोमोबाइल पर किया क्योंकि इसको वह ज्यादा सुरक्षित मानते थे। उन्होंने 1914 में पारिवारिक फर्म छोड़ दी। किम्बर ने शेफ़ील्ड-सिम्प्लेक्स और एसी कार्स जैसी कंपनियों में काम किया। यहीं उन्होंने कार डिज़ाइन, मार्केटिंग और कंपनी का मैनेजमेंट सीखा था। साल 1921 में ऑक्सफोर्ड के मॉरिस गैराज में सिसेल किम्बर को जनरल मैनेजर बनाया गया। किम्बर ने मॉरिस गैराज को दुनिया में नई पहचान दिलाई। किम्बर की नियुक्ति ऐसे समय पर हुई जब मॉरिस गैराज अपना विस्तार कर रहा था।

बनाई एमजी की पहली स्पोर्ट्स कार
1924 में सेसिल किम्बर ने स्टैंडर्ड मॉरिस कारों का स्पोर्टी और एसथेटिकल मॉडल डिजाइन किया। यहीं से ‘एमजी यानी मॉरिस गैराज’ ब्रांड के नाम से कारें बननी शुरू हुईं, इसके पहले जो कार बनी थी वो ‘मॉरिस’ के नाम पर थी। सेसिल किम्बर ने एमजी ओल्ड नंबर वन डिजाइन किया था। इसे 1925 में लॉन्च किया। साल 1929 में एमजी ने एक स्पोर्ट्स कार लॉन्च की जिसकी टैग लाइन थी पीपुल्स स्पोर्ट्स कार। इस कार की स्पीड काफी ज्यादा थी। एमजी अपने इस इनोवेशन की वजह से काफी फेसम हुआ। 1928 में एमजी कार कंपनी की शुरुआत हुई, जो स्पोर्ट्स कार बनाने में माहिर थी। 1929 में यह कंपनी ऑक्सफोर्ड से एबिंगडन चली गई और 1930 में किम्बर इसके मैनेजिंग डायरेक्टर बने।साल 1931 में एमजी ने 100 से अधिक स्पीड में चलने वाली पहली 750 सीसी कार बनाई, जिसका नाम था ईएक्स 120, इसने स्पीड के अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। 1933 में एमजी के3 मैग्नेट ने दुनिया की सबसे मुश्किल रेस मिले मिगलिया के 1100cc सेगमेंट में जीत हासिल की। ऐसा करने वाली एमजी पहली गैर इटैलियन ब्रांड बन गई।

1935 में कंपनी बेच दिया
अब तक कंपनी के मेन ओनर विलियम मॉरिस थे। जिनकी अब दो कंपनी थीं, पहली मॉरिस मोटर्स और दूसरी एमजी कार कंपनी। 1935 में मॉरिस ने 1935 में मॉरिस मोटर्स को, एमजी कार कंपनी बेच दिया। जिससे किम्बर काफी परेशान हुए। उन्हें कुछ भी करने के लिए कंपनी के हेडक्वार्टर से पूछना पड़ता था। दूसरे वर्ल्ड वॉर के दौरान एमजी ने कार बनाना बंद कर दिया और आर्म्ड फोर्सेस के लिए सामान बनाने लगी। अनबन की वजह से किम्बर ने कंपनी से 1941 में इस्तीफा दे दिया। बाद में उन्होंने चार्ल्सवर्थ और स्पेशललॉयड जैसी कंपनियों के साथ काम किया। साल 1945 में कंपनी ने एमजी टीसी को लॉन्च किया। कंपनी ने इस मॉडल की 2000 कारें बेचीं। इस ब्रिटिश कार को अमेरिकी लोगों ने भी खूब पसंद किया। इसके बाद कंपनी ने कार के कई नए मॉडल मार्केट में लॉन्च किए, जिन्हों लोगों ने खूब पसंद किया। 20वीं सदी के अंत में ब्रांड को इकोनॉमिक क्राइसिस और कॉम्पिटिशन सहित कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा। जिस वजह से कई बार इसकी ओनरशिप बदली और अंत में ब्रिटिश लीलैंड ग्रुप का हिस्सा बन गया।
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एमजी और रॉवर को मिलाकर ब्रांड बनाया
1980 के दशक तक एमजी मोटर्स ने मिस मैनेजमेंट और इकोनॉमिक क्राइसिस के वजह से पॉपुलैरिटी खो दी। 1990 के दशक में यह ब्रांड बीएमडब्ल्यू सहित अलग-अलग कंपनियों को बेचा गया। जब 2000 में बीएमडब्ल्यू ने एमजी और रॉवर ब्रांड फीनिक्स कंसोर्टियम को बेच दिया। फीनिक्स कंसोर्टियम ने एमजी और रॉवर को मिलाकर एक ब्रांड बना दिया। साल 2005 में एमजी रॉवर दिवालिया घोषित हो गया, जिससे एमजी की ब्रिटिश ओनरशिप खत्म हो गई। साल 2007 में चीनी ऑटोमोटिव SAIC मोटर कॉर्पोरेशन ने MG को खरीद लिया। इस कंपनी ने एक बार एमजी को ग्लोबल ब्रांड बनाने की कवायद शुरू की। एमजी मोटर को चाइनीज इनोवेशन और मैन्युफैक्चरिंग एफिशिएंसी का फायदा मिला।

MG Hector के साथ भारत में पहचान बनाई
साल 2019 में एमजी मोटर ने भारतीय बाजार में कदम रखा। कंपनी ने पहली SUV कार MG Hector के साथ भारत में पहचान बनाई। एमजी हेक्टर ब्रांड के लिए गेम-चेंजर बन गई। इसमें कॉम्पिटिटिव प्राइस पर एआई वॉयस कमांड, इंफोटेनमेंट सिस्टम और प्रीमियम डिजाइन लोगों को मिलीं। साल 2023 में JSW ग्रुप ने SAIC के साथ मिलकर JSW MG मोटर इंडिया नाम से एक जॉइंट वेंचर शुरू किया। जिसमें JSW की 35% हिस्सेदारी थी। इस पार्टनरशिप का मकसद इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) और प्रीमियम कार सेगमेंट में अपना नाम मजबूत करना था। JSW MG मोटर इंडिया ने ‘MG Select’ नाम से एक लक्जरी कार ब्रांड का ऐलान किया है, जिसके तहत अगले दो सालों में चार नए प्रोडक्ट लॉन्च करने की योजना है, जिनमें इलेक्ट्रिक कार, हाइब्रिड और प्लग-इन हाइब्रिड शामिल होंगे। पहली प्रीमियम कार मार्च 2025 तक लॉन्च हो सकती है।
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