Onnway.com Company : ऑनलाइन लॉजिस्टिक कंपनी की कमाल, राहुल सिंह राजपूत की मेहनत रंग लाई
Onnway.com Company – ‘ऑनवे’ (onnway) ऑनलाइन लॉजिस्टिक यानी सामान को पहुंचाने वाली ट्रांसपोर्ट कंपनी है, जो अपने प्लेटफॉर्म के जरिए किसी मैन्युफैक्चरिंग कंपनी या कस्टमर को ट्रांसपोर्टर्स, ट्रक ओनर, ड्राइवर से कॉन्टैक्ट करवाती है। कस्टमर की बुकिंग के बाद सामान को पहुंचाने का काम करती है। मान लीजिए आपकी कपड़े बनाने की फैक्ट्री है। जो कपड़े आप बना रहे हैं, उसे थोक में मुंबई से चेन्नई या दिल्ली से कोलकाता जैसे किसी शहर में भेजना है। जाहिर है, इसके लिए आपको ट्रक की जरूरत होगी, लेकिन आप ट्रक से कैसे कॉर्डिनेट करेंगे? तो यही काम राहुल सिंह राजपूत की कंपनी ‘ऑनवे’ करती है। राहुल कहते हैं, 2015-16 का साल था। भोपाल के गोविंदपुरा इंडस्ट्रियल एरिया में मेरे एक दोस्त की फैक्ट्री है। उसे अपने सामान की सप्लाई के लिए ट्रक की जरूरत थी। उसने जब कुछ ट्रांसपोर्टर्स से बात की, तो किसी ने 27 हजार तो किसी ने 18 हजार भाड़ा बताया।
कोई गारंटी भी नहीं कि सामान सही-सलामत पहुंचेगा या नहीं। हम दोनों बहुत कंफ्यूज थे कि किस पर भरोसा किया जाए, क्योंकि इसमें करोड़ों का माल था। यहीं से मुझे लगा कि ट्रांसपोर्ट मार्केट को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर काम करने की जरूरत है। वहीं 2017 में मेरे भाई अखिलेश का B.Tech पूरा हो गया। अखिलेश कहते हैं, मुझे भी 9 से 5 की जॉब पसंद नहीं थी। जब भैया ने ऑनलाइन लॉजिस्टिक प्लेटफॉर्म को लेकर सोचना शुरू किया, तो मुझे भी ये आइडिया काफी पसंद आया। साफ-साफ मार्केट में स्कोप नजर आ रहा था कि आज भले ही लोग ऑनलाइन चीजों के इस्तेमाल से परहेज कर रहे हैं, लेकिन आने वाले दिनों में हर कोई इसी पर टिका होगा।

5 लाख रुपए से स्टार्टअप शुरू किया
राहुल बताते हैं हम दोनों भाई स्टार्टअप को लेकर रिसर्च में जुटे हुए थे। हमने मध्यप्रदेश की उन लोकेशंस पर जाना शुरू कर दिया, जहां ट्रकों के ट्रांसपोर्टर्स का हब है। हम भी ढाबे पर घंटों बैठे रहते थे, ड्राइवर से बातचीत करते थे, इससे उनकी परेशानियों का पता चला। उसके बाद ट्रांसपोर्टर्स और एजेंट्स से भी बातचीत की। ये करीब 6 महीने तक चलता रहा। राहुल कहते हैं, जब हम ड्राइवर, ट्रांसपोर्टर्स को ऑनलाइन बुकिंग, डिलीवरी प्रोसेस के बारे में बताते थे तो उन्हें मजाक लगता था। कुछ ड्राइवर तो यहां तक कहते थे- इन सब चक्कर में क्या पड़े हुए हो। इससे कुछ होने वाला नहीं है। दरअसल, लोग इस मार्केट को घृणा की नजर से देखते हैं। हर किसी को सामान एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाना होता है, लेकिन ड्राइवर को कितनी इज्जत देते हैं,
आपको भी पता ही है। हमने इसमें प्रोफेशनलिज्म लाने की कोशिश की। ताकि न ड्राइवर को गाली सुनने की नौबत आए और न कस्टमर को अपने सामान को लेकर चिंता करनी पड़े। अपने कुछ सेविंग और घरवालों के सपोर्ट से करीब 5 लाख रुपए से हमने स्टार्टअप शुरू किया। रिसर्च में मिले फीडबैक के मुताबिक ऑनलाइन ऐप, वेबसाइट डेवलप किया। फिर धीरे-धीरे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को अपडेट करता गया। राहुल बताते हैं, आज हमारी सर्विस ऐसी है कि कोई भी कंपनी या व्यक्ति अपने सामान की क्वांटिटी के मुताबिक ट्रक की बुकिंग कर सकता है। अपने टाइम के मुताबिक इसे शेड्यूल कर सकता है।

10 हजार यूजर्स ‘ऑनवे’ के साथ जुड़े हैं
आज करीब 10 हजार यूजर्स ‘ऑनवे’ के साथ जुड़े हुए हैं। एक वो भी दौड़ था जब लोगों को कॉल करके बताना पड़ता था कि हम प्रोडक्ट को ऑनलाइन पहुंचाने का काम करते हैं। हमारे प्लेटफॉर्म पर ट्रक उपलब्ध होते हैं। राहुल कहते हैं, 2018 में हमने मार्केट में ऐप लॉन्च किया। इंडस्ट्री के लोगों को कॉल करके बताना शुरू किया कि वो हमारे प्लेटफॉर्म से ट्रक की बुकिंग कर सकते हैं। इधर जो ट्रक ड्राइवर या ओनर हैं, उन्हें भी जाकर बताना पड़ता था कि वो हमारे साथ जुड़ें। दरअसल, लोगों को ऑनलाइन पर भरोसा ही नहीं होता था कि वो बुकिंग करें और ट्रक उनके फैक्ट्री या दरवाजे तक पहुंच जाए। राहुल कहते हैं, मान लीजिए कि किसी कंपनी को अपना 5 टन सामान मुंबई से दिल्ली भेजना है,
तो वो हमारे ऐप के जरिए बुकिंग करते हैं जिसमें लोकेशन से लेकर डेट और सामान का वजन, हाइट… सब कुछ भरना होता है। इसके बाद हम डिटेल्स के मुताबिक उपलब्ध ट्रक ओनर या ड्राइवर के साथ कस्टमर को कनेक्ट करवाते हैं। उनका सामान तय लोकेशन पर पहुंचा दिया जाता है। हमने अभी तक पैकेजिंग का काम थर्ड पार्टी को दे रखा है।
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छोटी फैक्ट्रियों को टारगेट कर रखा है
‘ऑनवे’ पर बुकिंग के बाद तय समय के मुताबिक ट्रांसपोर्टर या ट्रक ओनर कस्टमर के यहां सामान की लोडिंग के लिए पहुंच जाते हैं। बिजनेस स्ट्रैटजी को लेकर राहुल बताते हैं, हमने छोटी फैक्ट्रियों को टारगेट कर रखा है। रोजाना उनके प्रोडक्ट की डिलीवरी करवाते हैं। हम हाउस होल्ड के लिए कम काम करते हैं, क्योंकि सामान की क्वांटिटी कम होती है। लिहाजा, मुनाफा कम होता है। हाउस होल्ड मतलब यदि कोई व्यक्ति दिल्ली में जॉब कर रहा है और उसका ट्रांसफर कोलकाता हो जाता है, तो घर के सारे सामान को शिफ्ट करने के लिए उसे लॉजिस्टिक पार्टनर की जरूरत होगी जो उसके सामान को पहुंचा दे। राहुल बताते हैं, अभी हम ऑनलाइन लॉजिस्टिक ट्रांसपोर्ट का काम कर रहे हैं।

पैन इंडिया में देने पर काम
चेन्नई, मुंबई, भोपाल, इंदौर, दिल्ली, बिहार जैसे राज्यों में सर्विस दे रहे हैं। अब पैन इंडिया यानी देश के अधिकांश राज्यों में सर्विस देने पर काम कर रहे हैं। कोरोना की वजह से बिजनेस को काफी नुकसान भी हुआ है। अभी हमारी कंपनी का सालाना टर्नओवर 7 करोड़ का है। 12 लोगों की टीम काम कर रही है, जिसमें कुछ लोग कस्टमर के कॉल से लेकर क्वेरी को रिस्पॉन्स करते हैं जबकि कुछ लोग फील्ड में ट्रांसपोर्टर्स, ड्राइवर्स को प्लेटफॉर्म के बारे में बताते हैं, उन्हें रजिस्टर करते हैं। अपने फ्यूचर को लेकर राहुल दिलचस्प बात बताते हैं। कहते हैं,
हम सभी देखते हैं कि हाई-वे के किनारे बड़ी संख्या में जगह-जगह ट्रक खड़े होते हैं। उनकी भी मजबूरी है क्योंकि खाने और रहने की कोई व्यवस्था नहीं होती है। कई-कई महीने तक वो घर से बाहर रहते हैं। इसलिए हमलोग एक और प्लेटफॉर्म ‘ऑनवे पार्किंग’ पर काम कर रहे हैं। ताकि 200-300 किलोमीटर की दूरी पर ड्राइवर अपने ट्रक को खड़ा कर सकें, रूक सकें। इसके लिए उन्हें घंटे के हिसाब से कुछ फिक्स चार्ज पे करना होगा। अभी पेट्रोल पंप या रास्ते में गाड़ी खड़ी करने पर ड्राइवर, ट्रक ओनर से अवैध वसूली की जाती है। इसमें पुलिस भी शामिल है।
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