Rapido Success Story : तीन दोस्तों ने मिलकर खड़ी की बाइक सर्विस कंपनी रैपिडो
Rapido Success Story – बेंगलुरु में 2015 में रैपिडो कंपनी की शुरुआत की गई थी। तीन दोस्त अरविंद संका, पवन गुंटुपल्ली और एसआर ऋषिकेश ने मिलकर ये काम किया था। रैपिडो की टैगलाइन रखी गई- राइड सोलो। कंपनी शुरू करने के बाद पहले तीन महीने फाउंडर्स अरविंद संका, पवन गुंटुपल्ली और एसआर ऋषिकेश खुद ही ‘कैप्टन’ बनकर राइड देते थे। उसके बाद प्रयोग के तौर पर 15 से 20 ऐसे लोगों को ‘कैप्टन’ बनाकर कमाने का मौका दिया, जिनके पास खुद की बाइक थी। यह प्रयोग काम कर गया, लोगों को रैपिडो की सर्विस पसंद आई। कई लोगों को भी रोजगार और एक्स्ट्रा कमाई करने का ऑप्शन मिला। बाद में कस्टमर डिमांड के चलते कंपनी ने ऑटो रिक्शा की सुविधा देनी भी शुरू कर दी।

बड़े इन्वेस्टर्स नहीं मिल रहे थे
एक इंटरव्यू में पवन ने बताया कि रैपिडो ने मार्केट में अपना दायरा बढ़ाने कि कोशिशें कीं तो कंपनी को बड़े इन्वेस्टर्स नहीं मिल रहे थे। इन्वेस्टर्स का मानना था कि ओला-उबर की कैब सर्विस के सामने बाइक सर्विस नहीं टिक पाएगी। अप्रैल 2016 में हीरो मोटोकॉर्प के सीईओ पवन मुंजाल ने रैपिडो में इन्वेस्ट किया। उन्होंने इसे भारत के कल्चर के हिसाब से बनाने का सुझाव दिया। कंपनी ने टियर-2 और टियर-3 शहरों पर अपना फोकस बढ़ाया। ऐसा करने पर कंपनी के वैल्यूएशन में इजाफा हुआ। आज देश के कोने-कोने की लगभग 55 बाइक टैक्सी कंपनियों में रैपिडो पहले स्थान पर है। बेंगलुरु शहर से शुरू होकर आज रैपिडो 1,50,000 से ज्यादा बाइक टैक्सियों के साथ दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, चेन्नई और कोलकाता सहित देश के 100 से ज्यादा शहरों में सर्विस दे रही है।

पहली महिला कैप्टन के. स्नेहा
पवन गुंटुपल्ली एक इंटरव्यू में बताते है कि कोविड के दौरान उन्हें एक महिला की चिट्ठी आई। कोविड में उनके पति की मौत हो गई थी, तब घर चलाने के लिए वह रैपिडो से जुड़ीं। रैपिडो से जुड़ने वाली पहली महिला कैप्टन का नाम के. स्नेहा था। वह अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद पांच साल पहले बेंगलुरु आई थीं। बेंगलुरु आने के बाद उनके एक दोस्त ने ही उन्हें रैपिडो एप के बारे में बताया था। आज साउथ इंडिया के बाद असम में महिला रैपिडो कैप्टन की संख्या ज्यादा है। के स्नेहा रैपिडो की पहली महिला कैप्टन हैं। कंपनी अपने ग्रुप में शामिल करने के लिए ज्यादा से ज्यादा महिला कैप्टन की तलाश में है। रैपिडो का बिजनेस मॉडल मुख्य रूप से B2C (बिजनेस-टू-कस्टमर मॉडल) है। इसका मतलब है कि कंपनी खुद एक बिजनेस यूनिट के रूप में अपने कस्टमर को सीधे सर्विस देती है।
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बिजनेस मॉडल कमीशन बेस्ड है
रैपिडो का बिजनेस मॉडल कमीशन बेस्ड है। कंपनी कैप्टन और कस्टमर के बीच पुल का काम करके पैसे कमाती है। कंपनी कुल किराए का 20% कमीशन के तौर पर लेती है। कंपनी ने इस साल जुलाई में अपने आखिरी सीरीज ई फंडिंग राउंड में वेस्ट ब्रिज कैपिटल से लगभग 1000 करोड़ रुपए जुटाए। इसी के साथ रैपिडो यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हो गई। पोर्टर (Porter) लॉजिस्टिक्स सर्विस देने वाली कम्पनी और परफियोस (Perfios) बेंगलुरु स्थित फिनटेक कंपनी के साथ रैपिडो इस साल यूनिकॉर्न बनने वाली तीसरी कंपनी है। रैपिडो का सफर आसान नहीं रहा। इसे खुद को मार्केट में बनाए रखने के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी। कंपनी के मार्केट में आने के बाद मोटर एक्ट का बड़ा संकट आ खड़ा हुआ। नियमों के मुताबिक, सफेद प्लेट वाले वाहनों का इस्तेमाल कॉमर्शियल वाहन के तौर पर नहीं किया जा सकता। मोटर एक्ट का पालन न होने पर 2019 में तमिलनाडु में कंपनी के वाहनों को जब्त किया जाने लगा। इसके लिए कंपनी ने कानूनी लड़ाई लड़ी। कुछ समय पहले तमिलनाडु की सरकार ने एपल इंडिया और गूगल को पत्र लिखकर अपने प्ले स्टोर से रैपिडो को हटाने की मांग की थी।
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497 करोड़ के रेवेन्यू के साथ ग्रो
दिल्ली और महाराष्ट्र दोनों राज्यों में बाइक टैक्सी पर प्रतिबंध लगाया गया। दिल्ली ने इलेक्ट्रिक बाइक टैक्सी को मंजूरी दी। रैपिडो सेफ्टी को लेकर भी अक्सर विवादों में रहती है। कुछ रैपिडो कैप्टन सुनसान रहने वाले रास्तों को चुनते है। बेंगलुरु में एक लड़की अथिरा रात को रैपिडो राइड लेती है। रैपिडो कैप्टन ने बाइक सुनसान रास्ते की ओर मोड़ ली। कैप्टन चलती बाइक पर मास्टरबेशन करने लगा। अथिरा घबरा गई और अपनी लोकेशन से पहले ही उतर गई। इसके बाद भी कैप्टन अथिरा को वॉट्सएप मैसेज करता रहा। इस तरह की कई शिकायत रैपिडो कैप्टन को लेकर आती हैं। वहीं कुछ कैप्टन राइड कैंसिल करके डायरेक्ट चलने का सुझाव भी देते हैं। तमाम विवादों के बावजूद कंपनी 497 करोड़ रुपए के रेवेन्यू के साथ ग्रो कर रही है। इसकी वजह शायद यह है कि पवन गुंटुपल्ली आज भी दिन में करीब दो से तीन राइड बुक करते हैं। कैप्टन से अनजान बनकर बात करते हैं और रैपिडो का रिव्यू लेते हैं। ऐसा कर वह कैप्टन की समस्या समझने की कोशिश करते हैं ताकि उन्हें सॉल्व कर कंपनी की ग्रोथ बढ़ाई जा सके।
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