Ravi Modi : ट्रेडिशनल ड्रेस का किंग ‘मान्यवर’ ब्रांडनेम
Ravi Modi – पिता का बिजनेस छोड़ने के बाद रवि मोदी ने खुद का कोई बिजनेस शुरू करने के बारे में सोचा। जिस वक्त रवि के दिमाग में ये सब चल रहा था, उस दौर में कपड़ों का मार्केट अनऑर्गनाइज्ड था। उन्हें लगा कि मेन्स कैटेगरी में यदि ट्रेडिशनल ड्रेस को बेचा जाए, तो बिजनेस अच्छा चल सकता है। उन्होंने मां से 10 हजार रुपए लेकर कोलकाता में ट्रेडिशनल ड्रेस बनवानी शुरू की। इसके बाद इसे ‘मान्यवर’ ब्रांडनेम के साथ उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में बेचने लगे। उनका बिजनेस चल पड़ा। 3 साल बाद ही साल 2002 में उन्होंने अपने बेटे के नाम पर कंपनी का नाम ‘वेदांत फैशन प्राइवेट लिमिटेड’ कर लिया।
कंपनी तब तक 20 से 25 करोड़ का बिजनेस कर चुकी थी। रवि मोदी बताते हैं, ‘मैं मर्सिडीज कार खरीदना चाहता था। जब पापा को यह बात पता चली, तो वह फिर से गुस्सा हो गए। उन्होंने मुझसे सख्त लहजे में पूछा- क्या तुम मर्सिडीज खरीदना चाहते हो। मैंने, हां कहा। उन्होंने पलटकर दूसरा सवाल किया- तुम्हारी अब इतनी हैसियत हो गई है कि इसका खर्च उठा पाओ। मैंने फिर से हां कहा। इसके बाद जो उन्होंने मुझे बात कही, उसे मैं आज भी गांठ बांधकर याद रखता हूं। पापा ने कहा- थोड़े दिन की तकलीफ और जिंदगीभर का आराम या थोड़े दिन का आराम और जिंदगीभर की तकलीफ। उसके बाद मैंने महंगी कार खरीदने का सपना त्याग दिया। 15 साल तक पुरानी होंडा कार पर चढ़ा। जो पैसे मेरे पास थे, उन सबको अपने बिजनेस में इन्वेस्ट कर दिया।’

सुपर बाजार, रिटेलर स्टोर्स में धूम
2005-06 तक आते-आते ‘मान्यवर’ देशभर में पॉपुलर हो चुका था। ‘मान्यवर’ के कपड़े बड़े-बड़े शहरों के सुपर बाजार, रिटेलर स्टोर्स में एवलेबल थे। रवि मोदी बताते हैं, ‘ कपड़ा इंडस्ट्री में सबसे बड़ी प्रॉब्लम है कि यहां पैसा मार्केट में फंस जाता है। कई महीनों के क्रेडिट पर प्रोडक्ट बेचना पड़ता है। जहां भी वे कपड़े बेचते थे, पेमेंट आने में टाइम लग जाता था। अब मार्केट को बढ़ाने के लिए वर्किंग कैपिटल की जरूरत थी। इसलिए उन्होंने होल सेल मार्केट में प्रोडक्ट बेचने के साथ-साथ विशाल मेगा मार्ट समेत अलग-अलग मॉल में बेचना शुरू किया। यहां रवि ने दिमाग लगाया।
दरअसल, सुपर मार्केट कैश में प्रोडक्ट खरीदते हैं। भले ही उस वक्त 200 के कुर्ते पर 10 रुपए का नुकसान होता था, फिर भी मैंने मॉल के साथ प्रोडक्ट को सेल करना जारी रखा। इससे प्रोडक्ट और अधिक पॉपुलर होता गया। हालांकि मेरा गणित अच्छा था। मैंने कैलकुलेट कर लिया कि टोटल प्रोडक्ट का 20% विशाल मेगा मार्ट और अलग-अलग सुपर मार्केट को बेच दूंगा, ताकि वर्किंग कैपिटल मिलता रहे। बचे हुए 80% कपड़ों को मार्केट में बेचकर प्रॉफिट कमाऊंगा। शुरुआती दिनों में कश्मीर वस्त्रालय संग्रह और कला मंदिर जैसे आउटलेट पर मेरे बनाए कपड़े बिकते थे
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डायरेक्ट कस्टमर से कनेक्ट होने का प्लान
सब कुछ ठीक चल रहा था, इसी बीच रवि मोदी के पिता की तबीयत खराब हो गई। 6 महीने तक वह बिजनेस से दूर रहे। हालांकि उनकी पूरी टीम बिजनेस को संभाल रही थी। उन्हें महसूस हुआ कि उनके बिजनेस में शामिल न होने के बाद भी कंपनी का ऑपरेशन चल सकता है। रवि ने फैसला किया कि अब वह सिर्फ कंपनी के वैल्यू एड करने के फैसले में ही शामिल होंगे। उस वक्त तक मार्केट में और कंपनियां आ चुकी थीं।
रवि ने देखा कि मल्टी ब्रांड आउटलेट्स कस्टमर्स के फीडबैक और डेटा पर ध्यान नहीं देते हैं। उसके बाद उन्होंने डायरेक्ट कस्टमर से कनेक्ट होने का प्लान किया और 2008 में पहला आउटलेट ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में खोला। तब तक ‘मान्यवर’ का सालाना टर्नओवर 70 करोड़ हो चुका था। बीते 6 सालों में वह 3 गुना अधिक कारोबार कर चुके थे। 2010 आते-आते देशभर में मान्यवर के 100 से अधिक आउटलेट्स हो चुके थे। बिजनेस 125 करोड़ पर पहुंच गया।

फ्रेंचाइजी लेकर खोल सकते हैं दुकान
अभी मान्यवर FOFO (फ्रेंचाइजी-स्वामित्व-फ्रेंचाइजी-संचालित) बिजनेस मॉडल पर काम कर रही है। हालांकि अपने शुरुआती दिनों में कंपनी COCO (कंपनी-स्वामित्व-कंपनी-संचालित) और COFO (कंपनी-स्वामित्व-फ्रेंचाइजी-संचालित) जैसे बिजनेस मॉडल पर काम करती थी। यानी शुरुआत में कंपनी के खुद के आउटलेट्स थे, लेकिन जैसे-जैसे कंपनी ने मार्केट स्केल किया, फ्रेंचाइजी मॉडल में कन्वर्ट हो गई। यानी यदि किसी को कपड़े की दुकान खोलनी है, तो वह ‘मान्यवर’ का आउटलेट नियम-शर्तों के मुताबिक फ्रेंचाइजी लेकर खोल सकता है।
2016-17 के बाद कंपनी अब इसी मॉडल पर काम कर रही है। 2014 में ‘मान्यवर’ का सालाना टर्नओवर 300 करोड़ के करीब था, जो 2024 में बढ़कर 1300 करोड़ के करीब हो गया है। मान्यवर देश के सबसे बड़े एथनिक वियर ब्रांड में से एक है। इसके ब्रांड बनने के पीछे कई बड़ी वजहें हैं। इनमें सबसे प्रमुख कंपनी की ओर से बड़े स्टार्स को अपना ब्रांड एंबेसडर बनाना रहा है।

विराट कोहली को अपना ब्रांड एंबेसडर
कंपनी ने 2016 में भारतीय क्रिकेट टीम के नए कप्तान विराट कोहली को अपना ब्रांड एंबेसडर बनाया। इसके बाद उनकी शादी से ठीक पहले कंपनी ने अनुष्का शर्मा को भी अपने साथ जोड़ लिया। विराट-अनुष्का की शादी हुई और इसका फायदा मान्यवर को मिला। कंपनी ने साल 2018 में मार्केटिंग पर 80 करोड़ और 2019 में 67 करोड़ रुपए का खर्च किया। विराट कोहली और अनुष्का शर्मा के अलावा पिछले कुछ सालों में कंपनी के ब्रांड एंबेसडर रणवीर सिंह, आलिया भट्ट, अमिताभ बच्चन और कार्तिक आर्यन रहे हैं। जबकि मौजूदा समय में कंपनी के ब्रांड एंबेसडर साउथ सुपरस्टार राम चरण हैं।
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ये थी कहानी
140 स्क्वायर फीट की जगह में रवि मोदी के पिता की कपड़े की दुकान थी। उस वक्त रवि मोदी की उम्र तकरीबन 13 साल रही होगी। वह स्कूल से आकर रोज पिता की दुकान जाते और काम में उनकी मदद करते। उन्हें ऐसा करते-करते करीब 9 साल बीत गए। दुकान चलाने के साथ-साथ रवि ने ग्रेजुएशन की पढ़ाई भी पूरी कर ली। अब वह मैनेजमेंट की पढ़ाई करना चाहते थे। एक रोज उन्होंने अपने पिता से कहा- मैं MBA करना चाहता हूं। बेटे की बात सुनते ही पिता गुस्से से तिलमिला गए। डांटते हुए बोले- अब कुछ पढ़ाई-लिखाई नहीं करना है। चुपचाप दुकान संभालो।
रवि ने सहमते हुए पिता की बात मान ली और दुकान संभालने लग गए। उनके अंदर का कान्फिडेंस बढ़ने लगा था। एक दिन उन्होंने पिता से बिना पूछे 20 हजार रुपए को लेकर बिजनेस से जुड़ा एक फैसला ले लिया। इस बात से रवि के पिता नाराज हो गए। झल्लाते हुए उनसे कहा- तुम हमें एक दिन बर्बाद कर दोगे। मुझे सुसाइड करना पड़ जाएगा। यह बात रवि को चुभ गई और पिता की दुकान पर न बैठने का फैसला किया। उस वक्त किसी को पता नहीं था कि यहीं से रवि मोदी एक ऐसे क्लॉदिंग ब्रांड की शुरुआत करेंगे, जो आज की तारीख में हर शादी-ब्याह, पर्व-त्योहार में लोगों की पहचान बन जाएगा।
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