Shiv Nadar-Roshni Nadar – 826 करोड़ विभिन्न संस्थाओं को दान कर चुके हैं शिव नाडर
Shiv Nadar-Roshni Nadar: साल था 1976 में 30 साल के शख्स शिव नाडर ने अपने 5 इंजीनियर दोस्तों के साथ मिलकर एक डिजिटल कैलकुलेटर बनाने वाली कंपनी ‘माइक्रोकॉम्प’ बनाई। इस कंपनी से कुछ ही महीनों में 2 लाख रुपए कमा लिए। और इन्हीं पैसों से आखिरकार HCL की नींव रखी गई। जब 1976 में शिव ने 1 लाख 87 हजार रुपए के शुरुआती निवेश के साथ HCL कंपनी को खड़ा किया, तब शिव के दृष्टिकोण से प्रभावित होकर यूपी सरकार ने उन्हें 20 लाख रुपए और दिए थे। इसके साथ शिव को अपनी कंपनी का नाम “हिंदुस्तान कंप्यूटर्स लिमिटेड” रखने की भी अनुमति मिल गई थी। मौजूदा समय में HCL की शेयरहोल्डिंग में सेंट्रल गवर्नमेंट के पास 0.02% की शेयर होल्डिंग है। शिव कहते हैं कि 1977 में आपातकाल के समय कई कंपनियों ने देश छोड़ दिया। इसमें कम्प्यूटर बनाने वाली कंपनी IBM भी प्रमुख थी। इससे बाज़ार एक तरह से खाली सा हो गया। इस मौके का फायदा उठाते हुए HCL ने इनहाउस माइक्रोकम्प्यूटर्स की शिपिंग शुरू की और कुछ समय बाद ही कंपनी ने 16 बिट्स प्रोसेसर बनाने शुरू कर दिए।

पहला स्वदेशी कंप्यूटर बनाया
1978 में पहला स्वदेशी कंप्यूटर बनाया, जिसे HCL 8C कहा गया। साल था 1979 जब कंपनी को सिंगापुर में एक अवसर मिला। HCL ने पहली बार अपने कंप्यूटरों को देश से बाहर भेजा। इस डील से HCL ने 10 लाख रुपए का रेवेन्यू जनरेट किया। इस सफलता के बाद नाडर ने 1989 में अमेरिकी कंप्यूटर हार्डवेयर बाजार में प्रवेश करने की कोशिश की, लेकिन यह एक आपदा साबित हुई। फिर कंपनी ने एचपी (हेवलेट-पैकार्ड) के साथ साझेदारी की। इसके बाद, HCL ने एरिक्सन और नोकिया जैसी अन्य वैश्विक कंपनियों के साथ भी हाथ मिलाया। नाडर कंपनी के सबसे बड़े शेयरहोल्डर बने रहे, हालांकि वे मैनेजमेंट में सक्रिय रूप से शामिल नहीं थे।
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बेटी ने संभाला चेयरपर्सन का पद
जुलाई 2020 में नाडर ने HCL के चेयरमैन के रूप में पद छोड़ दिया। कंपनी की सीईआ उनकी बेटी रोशनी नाडर मल्होत्रा थीं, ने चेयरपर्सन का पद संभाला। फिलहाल शिव HCL एंटरप्राइजेज बोर्ड के स्ट्रैटेजी एडवाइजर हैं। HCL कॉरपोरेशन की सीईओ और एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर होने के साथ-साथ रोशनी नाडर मल्होत्रा HCL टेक्नोलॉजी और इसके सीएसआर बोर्ड कमेटी की चेयरपर्सन भी हैं। इसके अलावा उन्होंने शिव नाडर फाउंडेशन के ट्रस्ट की भी जिम्मेदारी संभाली हुई है। HCL के संस्थापक शिव नाडर की इकलौती बेटी रोशनी नाडर किसी आईटी कंपनी को लीड करने वाली पहली महिला हैं। 2019 में फोर्ब्स की तरफ से जारी 100 सबसे ताकतवर महिलाओं की सूची में रोशनी नाडर 54वें स्थान पर थीं। सिर्फ 28 साल की उम्र में HCL के सीईओ के तौर पर जिम्मेदारी संभालने वाली रोशनी नाडर ने वसंत वैली स्कूल से पढ़ाई की है। इसके बाद रोशनी ने अमेरिका की नॉर्थ-वेस्टर्न यूनिवर्सिटी से रेडियो, टीवी एंड फिल्म की पढ़ाई की है।

रोशनी ने की शिखर मल्होत्रा से शादी
रोशनी का सपना कभी भी पिता का बिजनेस संभालना नहीं था। वो मीडिया में ही अपना कॅरियर बनाना चाहती थीं। शुरुआत उन्होंने सीएनएन और सीएनबीसी में इंटर्नशिप के साथ की। फोर्ब्स को दिए एक इंटरव्यू में रोशनी ने बताया था कि स्काई न्यूज में उन्हें पहली नौकरी मिली थी। यहां रोशनी बतौर न्यूज प्रोड्यूसर काम करती थीं। इतना ही नहीं रोशनी की म्यूजिक में भी काफी रुचि रही है। उन्होंने शास्त्रीय संगीत की भी शिक्षा ली है। रोशनी की अपने पति शिखर मल्होत्रा से पहली मुलाकात कुछ कॉमन फ्रेंड्स के जरिए हुई थी। दोनों की यह मुलाकात शादी से करीब 10 साल पहले हुई थी। खुद रोशनी ने फोर्ब्स को शादी से पहले दिए एक इंटरव्यू में बताया था कि वह बीते 7 सालों से शिखर के साथ रिलेशनशिप में हैं। शादी से पहले शिखर मल्होत्रा होंडा कार कंपनी के डिस्ट्रिब्यूटर के तौर पर काम करते थे। हालांकि शादी के बाद वह भी HCL से ही जुड़ गए। फिलहाल शिखर मल्होत्रा HCL हेल्थकेयर के वाइस चेयरमैन के तौर पर काम कर रहे हैं।
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52 देशों में ऑपरेट कर रही है
इसके अलावा नाडर फैमिली की स्कूल चेन शिव नाडर स्कूल्स के सीईओ भी हैं। रोशनी और शिखर के दो बेटे हैं। हिंदुस्तान कंप्यूटर्स लिमिटेड यानी HCL देश की सबसे बड़ी आईटी कंपनी में शामिल है। HCL 2 लाख 11 हजार कर्मचारियों के दम पर 52 देशों में ऑपरेट कर रही है। दिलचस्प यह है कि HCL ऐसी कंपनी है जिसकी टॉप लीडरशिप में 31% महिला डायरेक्टर हैं। वहीं HCL की चेयरपर्सन रोशनी नाडर 84,330 करोड़ रुपए की संपत्ति के साथ भारत की सबसे अमीर महिला भी हैं। हुरून इंडिया फिलॉन्थ्रफी 2019 के मुताबिक शिव नाडर देश के सबसे बड़े दानदाता रह चुके हैं। नाडर ने 826 करोड़ रुपए विभिन्न संस्थाओं को दान किए।

जो कमाया उसे सोसायटी को लौटाया
शिव नाडर को 1996 में एक बड़ा फंड मिला। यह फंड उनकी कंपनी HCL की उस वक्त पार्टनर रही हेवलेट पैकार्ड (एचपी) से मिला था। शिव ने अपनी मां से चर्चा करने के बाद यह पैसा चेन्नई में अपने पिता के नाम पर शिवासुब्रमण्यम कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग बनाने में लगा दिया। मां चाहती थीं कि जो कमाया उसे सोसायटी को लौटाना भी जरूरी है। मां की इस बात को शिव ने अपने ज़ेहन में हमेशा रखा। उन्होंने 1994 में शिव नाडर फाउंडेशन की स्थापना की। HCL की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार शिव नाडर फाउंडेशन साल 2018 तक 57 अरब से ज्यादा की राशि फिलॉन्थ्रफी में खर्च कर चुका है। इससें से ज्यादातर हिस्सा शिक्षा पर खर्च हुआ।
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