Shubham Bilthare, Bhindi bazar : सब्जी बेचकर सालाना करीब 4 करोड़ का टर्नओवर कमा रहे हैं शुभम बिल्थरे
Shubham Bilthare, Bhindi bazar – मध्यप्रदेश के सागर में शुभम बिल्थरे ‘भिंडी बाजार (bhindi bazar)’ नाम से स्टार्टअप चला रहे हैं। दिलचस्प है कि शुभम महज 12वीं पास हैं। फीस ना होने की वजह से उन्हें B.Tech सेकंड सेमेस्टर में ही पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी। आज वो ऑनलाइन सब्जी बेचकर सालाना करीब 4 करोड़ का टर्नओवर कर रहे हैं। नेट प्रॉफिट 30% है यानी करीब डेढ़ करोड़ का मुनाफा। शुभम हर रोज सुबह के करीब 3 बजे सागर की सब्जी मंडी पहुंच जाते हैं। यहां से थोक में सब्जी की खरीददारी करते हैं। शुभम बताते हैं, पढ़ाई छोड़ने के बाद 2013 से लेकर 2020 तक, मैंने 10 से 12 प्राइवेट नौकरियां की। हमेशा सोचता था कि कब तक 10-12 हजार रूपए प्रति महीने की नौकरी करता रहूंगा।

होम डिलीवरी की डिमांड ज्यादा
लॉकडाउन के दौरान मुंबई में फंसा हुआ था। वहां पर एक छोटी सी नौकरी करने के साथ-साथ वेब डिजाइनिंग की ट्रेनिंग भी ले रहा था। कोरोना और लॉकडाउन की वजह से लोग घरों में कैद थे। ऑनलाइन होम डिलीवरी की डिमांड ज्यादा हो गई। साग-सब्जी भी लोग ऑनलाइन ऑर्डर करने लगे, लेकिन ये सुविधाएं सिर्फ बड़े शहरों में थी। जब सेकंड लॉकडाउन के बाद मैं मुंबई से सागर वापस लौटा, तो अपने शहर में ही सब्जियों की ऑनलाइन होम डिलीवरी करने का स्टार्टअप शुरू करने का स्कोप दिखा। गांव में एक कहावत बचपन से सुनते हुए बड़ा हुआ। दादी-नानी कहती थीं, ‘नौकरी करो तो सरकारी, बिजनेस करो तो तरकारी (सब्जी)।’ शुभम उन दिनों को भी याद करते हैं, जब उनके घरवाले, रिश्तेदार, दोस्त सभी मजाकर उड़ाते थे। वो कहते हैं, लोगों को लगा कि मैं सब्जी बेचूंगा, मतलब ठेला पर रखकर गली-गली घुमकर।

3 स्टोर्स मकरोनिया इलाके में
जब मैंने घरवालों से कहा, सब्जी का बिजनेस शुरू कर रहा हूं, तो उनलोगों ने कहना शुरू किया, ‘मुंबई से वापस लौटकर यही सब करने आया है। पढ़-लिखकर सब्जी का धंधा करेगा। शर्म भी नहीं आती है!’ ये सारी बातचीत करते हुए हम शुभम के साथ शहर से करीब 12 किलोमीटर दूर दमोह रोड स्थित सिधगांव पहुंचते हैं। शुभम के 4 स्टोर में से एक स्टोर यहां हैं। बाकी के 3 स्टोर्स मकरोनिया इलाके में है। शुभम ऑटो से सब्जियों की बोरियों को स्टोर में रखना शुरू करते हैं। इसके बाद उनके साथ काम करने वाले लोग कैटेगरी के हिसाब से बोरी से सब्जियों को ट्रे में भरते हैं। शुभम कहते हैं, ये सारी सब्जियां एक से दो दिनों में सेल हो जाती है। दरअसल, हमलोग मंडी से डायरेक्ट सब्जी खरीदते हैं। इसलिए मार्केट से 5% कम रेट पर लोगों को होम ऑनलाइन डिलीवरी कर देते हैं। शुभम इस तरह से सब्जियों को ट्रे में रखकर अपने स्टोर पर डिस्प्ले करते हैं।
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सब्जियां उगाने वाले किसानों से मिला
शुभम कहते हैं, जब हम 2021 में ऑनलाइन सब्जी के स्टार्टअप पर काम कर रहे थे, तो 6 महीने तक अलग-अलग सब्जियां उगाने वाले किसानों से मिला, लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत आईं कि किसान हर दूसरे दिन सब्जियां तोड़ते हैं, जिसकी क्वांटिटी ज्यादा होती है। शुरुआत में हम इतनी ज्यादा सब्जियां किसानों से नहीं खरीद सकते थे। हमारे पास न उतने पैसे थे और न ही डिमांड। फिर पता चला कि मंडी से भी हम सब्जियां खरीद सकते हैं। दरअसल, मंडी में जो किसान जाकर अपनी फसल बेचते हैं, उनके पास खेत में फसल बेचने वाले किसानों के मुकाबले कम क्वांटिटी होती है। शुभम बताते हैं, बात 2021 के सितंबर महीने की है। हमने मंडी से सब्जी खरीदना शुरू किया। मेरे पास सेविंग के मात्र 10 हजार रुपए थे। पहले दिन तो बहुत कम सब्जी ही खरीद पाया। दरअसल, परिवार वालों की भी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी और वो चाहते भी नहीं थे कि मैं सब्जी का बिजनेस करूं।

ऑनलाइन सिंपल मॉडल इजाद किया
शुभम कहते हैं, हमने सब्जी और फ्रूट्स आइटम्स को बेचने का ऑनलाइन सिंपल मॉडल इजाद किया। वेब डिजाइनिंग का कोर्स कर चुका था, तो ऐप डेवलप करने में दिक्कत नहीं आई। ‘भिंडी बाजार’ नाम से ऐप और वेबसाइट बनाया। डोर-टू-डोर जाकर लोगों को अपने बिजनेस मॉडल के बारे में बताना शुरू किया। शुरुआत में तो लोग ट्रस्ट भी नहीं कर पा रहे थे, लेकिन एक दो दिनों में ही 10 कस्टमर बन गए। हमारा हर रोज सुबह के 3-4 बजे मंडी जाना डेली रूटीन का हिस्सा बन गया। ये सागर की सब्जी मंडी का नजारा है। किसान और व्यापारी सब्जियों की खरीद-बिक्री कर रहे हैं। शुभम बताते हैं, जब मैंने अधिक कस्टमर्स तक अपनी पहुंच बनानी शुरू की, तो फीडबैक से पता चला कि यदि उन्हें घर बैठे हर रोज जरूरत की सारी सब्जियां फ्रेश और मार्केट रेट पर मिल जाए, तो क्या दिक्कत?

लोकेशन के हिसाब से वेबसाइट
हमारे ऐप से कोई भी कस्टमर अपने लोकेशन के हिसाब से वेबसाइट या ऐप पर जाकर फ्रूट्स और सब्जियों के ऑर्डर बुक कर सकते हैं। हम अभी शहर के चार लोकेशन पर सप्लाई कर रहे हैं। शुभम ने मार्केटिंग को लेकर एक और मेथड अपनाया। वो कहते हैं, शहर में पहले से जो बड़े-बड़े शॉप चल रहे हैं, जिनके यहां कस्टमर्स की अच्छी-खासी भीड़ जमा होती है। उन्हें कुछ परसेंट कमीशन देकर हमने सब्जियों के स्टॉल लगाने शुरू किए। इससे कस्टमर कनेक्ट होते चले गए। सागर एक छोटा शहर है। अब स्मार्ट सिटी योजना के तहत धीरे-धीरे डेवलप हो रहा है। शुभम को इसका फायदा मिला। वो कहते हैं, यहां ऑनलाइन सब्जियां डिलिवर करने के लिए ‘बिग बास्केट’ और ‘ब्लिंकिट’ जैसे बड़े प्लेयर्स नहीं हैं। जबकि डिमांड ज्यादा है।
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हर रोज थोक में सब्जी की सप्लाई
आर्मी का बहुत बड़ा कैंट भी है, जहां हर रोज थोक में सब्जी की सप्लाई होती है। सब्जी का लोकल मार्केट भी सप्ताह में एक दिन ही लगता है। जो लोग शहर में रहते हैं, वो फ्रेश साग-सब्जियां खाना चाहते हैं। यह मेरे लिए बेनिफिट है। मैंने इन कस्टमर्स को सबसे पहले टारगेट करना शुरू किया। शहर की ज्यादा आबादी वाले इलाकों में होर्डिंग लगाकर और सोशल मीडिया के जरिए अपने बिजनेस को प्रमोट किया। शुभम अपने मोबाइल में ‘भिंडी बाजार’ ऐप खोलकर दिखाते हैं। वो कहते हैं, अपने लोकेशन और टाइम के मुताबिक कोई भी कस्टमर बुकिंग कर सकते हैं। इसके लिए हम 4 अलग-अलग लोकेशन पर स्टोर बनाकर काम कर रहे हैं। स्टोर के लोकेशन से 10 किलोमीटर के एरिया में ऑर्डर की डिलिवरी की जाती है।

ऑनलाइन और ऑफलाइन के जरिए सब्जियों की सेल
शुभम अभी दो मीडियम, ऑनलाइन और ऑफलाइन के जरिए सब्जियों की सेल कर रहे हैं। वो कहते हैं, हम मंडी से सब्जियां और फ्रूट्स खरीदकर वही पर रिटेलर्स को सेल कर देते हैं। इससे हमारा हर दिन करीब 60 हजार का बिजनेस होता है। मंडी के आमद पर रेट और बिजनेस डिपेंड करता है। वहीं, ऑनलाइन ऐप के जरिए जो लोग ऑर्डर बुक करते हैं, उन्हें बुकिंग स्लॉट के मुताबिक साग-सब्जियां पहुंचाई जाती है। साथ ही कस्टमर स्टोर पर आकर ऑफलाइन खरीदते हैं। इन दोनों को मिलाकर हर दिन हमारा करीब 35 हजार का बिजनेस है। हम मंडी और किसानों से डायरेक्ट सब्जियां खरीदते हैं, इसलिए रेट मार्केट से कम होता है। अब हमारे 9 हजार से ज्यादा कस्टमर बन चुके हैं, जो रेगुलर बेसिस पर सब्जियां खरीदते हैं। इस बिजनेस में अब मेरा भाई भी साथ दे रहा है। 15 लोगों की टीम काम कर रही है। डिलिवरी के लिए हम लोगों ने इलेक्ट्रिक वैहिकल का इस्तेमाल करना शुरू किया है, इससे पहले बाइक से डिलीवरी करने जाते थे।

लोकल किसानों को भी फायदा
जब मैंने इस स्टार्टअप की शुरुआत की थी, तो कोई साथ जुड़ना भी नहीं चाहता था। कहता था, ‘अरे! पढ़ लिखकर सब्जी बेचोगे।’ वर्कर कुछ दिन काम करने के बाद भाग जाते थे। अब हर दिन हमारी इतनी सेलिंग है कि बुकिंग दो-तीन दिनों के लिए एडवांस में होती है। हर रोज करीब 90 हजार की सेल है। शुभम कहते हैं, हमारे स्टार्टअप से लोकल किसानों को भी फायदा है। उन्हें मंडी को कमीशन नहीं देना होता है। शुभम बताते हैं, अधिकांश किसान अब मंडी में बेचने और आढ़तियों को कमीशन देने के बदले हमसे डायरेक्ट अपना सामान सेल करते हैं। अब अगले कुछ महीने में हम मल्टी शॉप के लिए एक ऐप लॉन्च करने जा रहे हैं, जहां वेंडर्स सब्जियों के अलावा दूसरे अलग-अलग प्रोडक्ट बेच सकते हैं। हमारा एक फिक्स कमीशन होगा। ‘भिंडी बाजार’ को भी हम सागर के अलावा दमोह, कटनी, भोपाल समेत दूसरे शहरों और अन्य राज्यों में लॉन्च करने की तैयारी कर रहे हैं।