Civil Services Exam – रोचक सवालों के जरिये ग्रहण करें नॉलेज बाइट
Civil Services Exam: यूपीएससी ने जब से सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा में सी-सैट का प्रारूप शामिल किया है, तब से जनरल स्टडीज का दायरा बहुत ज्यादा बढ़ गया है। इसलिए परीक्षार्थियों को जनरल स्टडीज के कई छोटे छोटे सवालों को नॉलेज बाइट के रूप में याद करते रहना चाहिए। ये उनके बहुत काम आते हैं, सिर्फ आईएएस के एग्जाम में ही नहीं बल्कि करीब करीब सभी तरह की परीक्षाओं में अब जनरल स्टडीज के व्यापक दायरे से सवाल पूछने का जो चलन शुरु हुआ है, उसमें किसी एक विषय पर लगातार गंभीरता से अध्ययन की जरूरत तो होती ही है। बहुत क्विक फार्मेट में एक साथ विभिन्न विषयों के रोचक सवालों के जरिये भी नॉलेज बाइट ग्रहण करते रहना चाहिए जो कहीं से भी औचक पूछे गए ऐसे सवालों का जवाब देने के काम आते हैं। यहां ऐसे ही बेहद जिज्ञासापूर्ण सवालों के सम्पूर्णता में जवाब दिए गए हैं। जो एक बार पढ़ने के बाद आसानी से याद हो जाएंगे। तो आइये शुरु करें।

संतुलन बनाये रखने पूंछ का इस्तेमाल
वैज्ञानिकों ने जानवरों के जीवाश्मों के अध्ययन में पाया है कि करोड़ों साल पहले भी उनमें पूंछ हुआ करती थी। हालांकि आज कई जानवर ऐसे भी हैं, जिनको पूंछ नहीं होती। लेकिन शेर से लेकर गिलहरी तक और मछली से लेकर मोर तक ज्यादातर पशु-पक्षियों में पूंछ पायी जाती है। इससे अंदाजा लगता है कि यह उनके लिए कितनी महत्वपूर्ण है। दरअसल पूंछ जानवरों या पक्षियों को न सिर्फ जिंदा रहने में मददगार होती है बल्कि इससे उन्हें प्रजनन में भी सहायता मिलती है। विशेष वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चलता है कि डायनासोरों के समय से ही जानवर अपनी पूंछ का इस्तेमाल अपना संतुलन बनाये रखने के लिए किया करते थे। मगरमच्छ और व्हेल पानी में एक इंच भी आगे न बढ़ सकें अगर उनके पूंछ न हो। अगर पूंछ न हो तो कई स्तनपायी जानवरों को अपने शरीर की मक्खियां तक उड़ाने में बहुत मुश्किल हो और ये मक्खियां उन्हें चैन से जीने न दें।
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जीवों के लिए तैरने में मददगार
सिर्फ जमीन पर रहने वाले जानवरों के लिए ही नहीं बल्कि आकाश में विचरण करने वाले पक्षियों और पानी में रहने वाली मछलियों से लेकर लाखों दूसरे जीवों के लिए भी पूंछ महत्वपूर्ण है। यह मछली और दूसरे पानी के जीवों के लिए तैरने में मददगार हैं यानी उन्हें गति प्रदान करती है। पक्षियों की पूंछ उनके पंखों के साथ मिलकर काम करती हैं ताकि उन्हें आकाश में उड़ते समय मदद मिले और ऊपर से वह नीचे न गिरें। नर मोर और टर्की जैसे पक्षियों में पूंछ मादाओं को अपनी तरफ प्रजनन हेतु आकर्षित करने के लिए मददगार है। ज्यादातर कुत्ते अपना मूड और इरादा अपनी पूंछ के जरिये ही व्यक्त करते हैं।
गिलहरी और कंगारू की पूंछ उन्हें उछलने कूदने में संतुलन प्रदान करती है। साथ ही जब गिलहरियां शीत निद्रा में चली जाती हैं, तो पूंछ उनके लिए कंबल का काम करती है। इस तरह देखें तो सभी जानवरों के लिए पूंछ की कुछ न कुछ महत्वपूर्ण उपयोगिता होती है। इसलिए जानवरों के पांचवें जरूरी अंग के रूप में पूंछ होती है। सिर्फ मनुष्य और एप में पूंछ नहीं होती. क्योंकि वास्तव में इनके लिए उसकी कोई उपयोगिता ही नहीं है।

पांचवीं इंद्री की तरह काम करती है
स्तनधारियों में कुछ प्रीहेंसाइल यानी पकड़ने में सक्षम पूंछ होती है। ये उनकी पांचवीं इंद्री या अंग की तरह काम करती है। इसका इस्तेमाल वे चीजों को पकड़ने, पेड़ों की शाखाओं से लटकने और इनका सहारा लेने व झूलने आदि में करते हैं। बंदर पूंछ का इस्तेमाल चीजों को पकड़ने के लिए करते हैं, साथ ही वह अपनी पूंछ की बदौलत पेड़ों से लटक जाते हैं। कई बार पूंछ जानवरों के अपने डिफेंस सिस्टम के रूप में काम करती है यानी वे इससे अपनी सुरक्षा करते हैं। कई जानवर अपनी पूंछ से दूसरों पर जबरदस्त प्रहार करते हैं।
पक्षियों में यह पूंछ उनके उड़ने के दौरान दिशा बदलने में, रफ्तार कम ज्यादा करने में और कई बार ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर जाने में भी बेहद मददगार होती है। लेकिन आमतौर पर इंसान को अकसर जानवरों की पूंछ देखकर दिमाग में यह जिज्ञासाभरा सवाल आता है कि आखिर इसकी क्या जरूरत है? चूंकि इंसान के लिए पूंछ की कोई उपयोगिता नहीं है, इसलिए आमतौर पर इंसान पूंछ की महत्ता आसानी से समझ नहीं पाता। लेकिन जानवरों में पूंछ का महत्व जितना हम देखते और समझते हैं, उससे भी ज्यादा है। यही वजह है कि सभी तरह के जानवरों चाहे वह सरीसृप हों, कीड़े हों, पक्षी हों, स्तनपायी हों, सबमें पूंछ पायी जाती है।
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डायनासोरों के सिर भारी हुआ करते थे
वैज्ञानिकों के शोध बताते हैं कि डायनासोरों के सिर और शरीर भारी हुआ करते थे, ऐसे में वे दो पैरों पर जमीन पर तभी चल पाते थे, जब उनके पास एक संतुलन साधने में कारगर और मजबूत पूंछ होती थी। अपनी इस पूंछ की बदौलत डायनासोर दौड़ते हुए आसानी से अपना शिकार भी पकड़ लिया करते थे। बिल्लियां और बंदर शायद दुनिया के ऐसे दो जानवर हैं, जो अपने पूंछ का बेहतरीन उपयोग करते हैं। बंदर किसी भी पतली से पतली डाल पर उसके टूटने की परवाह किए बिना अगर उनमें दौड़ता भागता रहता है, तो यह सिर्फ इस पूंछ की बदौलत ही है।
पूंछ से उसका जबरदस्त संतुलन बनता है और इस पूंछ पर उसको इतना भरोसा होता है कि वह पेड़ के किसी भी ऊंचाई पर हो आसानी से डाल से लटक जाता है और अपने आगे के दोनो पैरों को हाथों की तरह इस्तेमाल कर पाता है। इसी पूंछ की बदौलत बंदर बहुत आसानी से फल और पत्तियां तोड़ लेता है। लेकिन भैंस, घोड़ा, जिराफ कई बार गाय भी अपनी पूंछ से जबरदस्त हमला करती है और इस तरह अपना बचाव करती है। अगर इंसान के पास पूंछ नहीं है, तो इसका कारण ये है कि जब से इंसान ने सीधा होकर चलना शुरु किया तो धीरे धीरे उसकी गतिविधियां इस कदर की हुईं कि उसे पूंछ के इस्तेमाल की जरूरत ही नहीं रह गई।
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