Bigg Boss: आखिर क्या है इसकी काली सच्चाई जो छुपायी जाती है सबसे ? जानिये इस लेख में
Bigg Boss : बिग बॉस शो हमारे देश में बेहद विवादित शो है। बावजूद इसके ये शो देखने वाले दर्शकों की संख्या में कोई कमी नहीं आती है। बल्कि रोज ही दर्शकों की संख्या में बढ़ोतरी हो जा रही है। ऐसे में सभी में ये जानने की उत्सुकता होती है कि इस शो (Bigg Boss) में ऐसा क्या है जो दर्शकों को बांधे रखता है। इसकी टीआरपी हर नए सीजन के साथ बढ़ती जाती है और दर्शकों की बढ़ती संख्या भी इस बात का सुबूत है किये एक चर्चित कार्यक्रम है।
वहीँ इन सब के बावजूद आज भी ऐसे कई लोग हैं जो इस Bigg Boss show की आलोचना करते हैं। और उनकी ये आलोचना सही भी है। आज इस लेख में हम बात करेंगे बिगबॉस शो की उन सच्चाइयों की जिसे सुनकर आप के होश उड़ जाएंगे। ऐसी सच्चाइयां हैं जिन्हे शो मेकर्स अपने दर्शकों से छुपाकर रखते हैं। आइये जानते हैं –
Bigg Boss Show क्या है ?
बिगबॉस शो भारत में दिखाए जाने वाला एक रियलिटी टीवी शो है। जिसकी परिकल्पना डच रियलिटी शो बिग ब्रदर शो पर आधारित है। भारत में इस शो मूल रूप से शुरुआत 2006 में (Bigg Boss 1) की गयी थी और इसे हिंदी भाषा में शुरू किया गया था।
इसके पहले होस्ट अरशद वारसी थे। जिस के बाद इस शो को होस्ट करने वालों में से अमिताभ बच्चन और शिल्पा शेट्टी, संजय दत्त और फराह खान जैसी बॉलीवुड हस्तियों के नाम भी हैं। वर्तमान में सलमान खान इसे चौथे सीजन से होस्ट कर रहे हैं।

बिग बॉस का निर्माण कन्नड़, बंगाली, तमिल, तेलुगु, मराठी और मलयालम सहित विभिन्न भाषाओं में किया गया है।
इसमें कुछ प्रतियोगियों या सदस्यों को घर के अंदर भेज दिया जाता है जिसमें वे 24 घंटे लाइव कैमरा की नज़र में होते हैं। इन्हे निर्धारित अवधि तक साथ रहना होता है जहाँ इनकी हर हरकत पर नजर रखी जाती है। जो इस शो में अंत में बचता है वो इस शो का विजेता घोषित कर दिया जाता है।
बिग बॉस में क्या होता है ?
Format OF Bigg Boss : जो इस शो को नहीं देखते होंगे उनकी जानकारी (Bigboss ka format kya hai ?) के लिए बता दें कि बिगबॉस में घर के सभी प्रतियोगी या सदस्यों को घर के अंदर लगभग तीन महीनों के लिए भेज दिया जाता है। यहाँ उन्हें कुछ टास्क दिए जाते हैं। जिन्हे पूरा करते हुए उन्हें कप्तानी हासिल करना, स्वयं को निष्कासन से बचाना, हर हफ्ते अन्य प्रतियोगियों को बाहर करने के लिए नामांकित करना आदि जैसे काम भी शामिल होते हैं। जिससे अंत में वो संबंधित सीजन के विजेता बन सकें।
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बता दें कि दर्शकों के पास नॉमिनेट हुए सदस्यों को बचाने या शो में बनाये रखने के लिए उन्हें वोट करने की सुविधा उपलब्ध होती है। जिसके पास कम वोट होंगे वो शो से बाहर हो जाएगा।
क्या शो स्क्रिप्टेड होता है ?
हर बिगबॉस शो के सीजन में ये देखा गया है कि प्रत्येक सीजन में कुछ न कुछ ऐसा होता रहता है जिससे ये प्रश्न उठता है कि क्या शो स्क्रिप्टेड है ? जब ये सवाल विभिन्न सीजन के प्रतियोगी से पूछा गया तो उनके अलग अलग जवाब थे। मसलन Bigg Boss Season 14 विजेता रहीं रुबीना दिलाइक कहती हैं कि ये सब स्क्रिप्टेड नहीं होता। हालाँकि ये सच है कि एडिटिंग के जरिये प्रतियोगियों के डायलॉग्स और सीन को कुछ इस तरह से जोड़ा जाता है कि तिल का ताड़ बन जाता है। जबकि इतना कुछ नहीं होता।
ऐसा ही हिना खान (Bigg Boss 11) और आश्का गोराडिया (Bigg Boss 6 ) ने भी कहा। उन्होंने बताया की शो अपने हिसाब से एडिटिंग करके किसी बातचीत को छोटे से बड़ा और बड़े कन्वर्सेशन को टीआरपी के लिए शार्ट कर देते हैं। और कई बार वो नहीं दीखता जो असल में होता है।
वहीँ बात करें Big Boss Season 4 के सदस्य रह चुके खली की तो उनका साफ़ कहना है की ये सब स्क्रिप्टेड होता है। ये बात उन्होंने स्टार न्यूज़ को दिए एक इंटरव्यू में कही है जिसे लोग यूट्यूब पर देख सकते हैं।
इसके अलावा अन्य सीजन के सदस्य भी ये कहते पाए गए हैं कि लड़ाइयां भले ही नेचुरल होती हों लेकिन उन्हें पहले से ही ये पता होता है कि अगर इस सीजन में दिखना है तो ये सब करना जरुरी है। अब बाकी सदस्यों पर है वो किसी मुद्दे को कैसे दिखा सकते हैं। उन्हें शो पर बने रहना है तो कंटेंट तो देना पड़ेगा।
यही बात साबित करती है कि जो भी होता है वो स्क्रिप्टेड हो या न हो लेकिन उन्हें शो की पालिसी के अनुसार ही रहना पड़ता है। जो ऐसा नहीं कर सकता उसे शो से बाहर कर दिया जाता है।

ऐसा ही कुछ Bigg Boss 7 के कंटेस्टेंट अपूर्व अग्निहोत्री और शिल्पा सकलानी ने भी बताया।
दर्शकों के वोट्स का बिग बॉस विनर में कोई हाथ नहीं
जी हाँ ! जो भी बिगबॉस देखते हैं उन्हें ये जानकार थोड़ा झटका जरूर लग सकता है कि उनके वोट्स का किसी भी सीजन के विजेता (Bigg Boss Winner) के चुनाव पर बहुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ता । अब कम से कम एक न्यूज़ चैनल को को दिए एक इंटरव्यू में तो खली का यही कहना है। उन्होंने इंटरव्यू के दौरान बताया कि किसे कब तक रखना है ये पहले से ही तय होता है। और रही वोट करने की बात तो ये सिर्फ उन्हें बेवकूफ बनाया जाता है। विनर का फैसला शो वाले ही करते हैं कि किसे कहाँ तक ले जाना है। खली का इस बारे में इंटरव्यू आप यहाँ देख सकते हैं – यहाँ क्लिक करें
इसके अलावा Bigg Boss Season 9 के कंटेस्टेंट रह चुके अमन वर्मा ने भी साफ़ कहा कि उनकी शो से पहले ही इनकी प्रोडूसर्स के साथ डील हुई थी जिसके अनुसार ये सिर्फ 6 हफ़्तों के लिए ही घर में रहेंगे।
लड़ाइयां करने के लिए उकसाया जाता है
ये बात तो अब सभी जानते हैं कि किसी भी सीजन में पूरे शो में बने रहने के लिए जरुरी है कि वो प्रतियोगी कुछ न कुछ ऐसा करता रहे जो लोगों की नज़रों में रहे। और इसके लिए वो बहुत लड़ाइयां, गाली गलौच और बदतमीजी करते हैं। जिससे वो टीवी पर दिखें। और शायद आप ने ध्यान भी दिया होगा कि कई बार सलमान खान भी प्रतियोगियों को ये कहते हुए नज़र आये हैं की आप शो में नहीं दिख रहे। कुछ कंटेंट दो आदि। (Bigg Boss Dark Story In Hindi )
देखा जाए तो सलमान भी अप्रत्यक्ष तौर पर उन्हें कुछ ऐसा करने को कह रहे हैं जिससे सदस्यों पर ध्यान जाए। और ऐसा टास्क के अलावा तभी होता है जब वो लड़ाइयां या गाली गलौच करते हैं।
इस बारे में द ग्रेट खली कहते हैं कि उन्हें भी लड़ाइयां करने, गाली गलौच करे , या कुछ गलत बोले किसी को या कोई चीप हरकत करने के लिए उकसाया जाता था लेकिन उन्हें ये सब सही नहीं लगा तो उन्होंने नहीं किया।
Big Boss season 13 के सदस्य रह चुके खेसारी लाल यादव ने बताया की बिगबॉस के घर सच्चाई नहीं चलती है। वहां अगर कुछ मायने रखता है तो वो है कि आप कितना लड़ सकते हैं, कितना गाली गलौच कर सकते हैं और कितना किसी की इज़्ज़त की धज्जियाँ उड़ा सकते हैं। यहाँ देखिये
ऐसे ही एक और कंटेस्टेंट सुशांत डिवीजकर थे जो bigg boss 8 में आये थे। वो एक मॉडल, सिंगर, डांसर, साइकोलॉजिस्ट और मिस्टर गे इंडिया 2014 के विजेता थे। जिन्हे बहुत जल्दी निकाल दिया गया था, वजह थी कि वो लड़ाई झगड़े और ऐसे कामों में नहीं पड़ते थे। उन्होंने इंटरव्यू में बताया था की “उनका आईक्यू 147 हैं लेकिन की घर का आईक्यू रूम टेम्परेचर से भी कम है।”
तो इससे अंदाज़ा लगा सकते हैं कि कुल मिलाकर यहाँ सिर्फ ऐसे ही लोग चल सकते हैं जिनके आईक्यू कम हों या जिन्हे लड़ने झगड़ने में कोई दिक्क्त न हो।
ऐसा ही कुछ कहना था Bigg Boss 4 के कंटेस्टेंट राहुल भट्ट का।
बिगबॉस के सदस्यों को मीडिया में बोलने की होती है मनाही
आप को शायद ये सुनकर थोड़ा अजीब लगे लेकिन बिगबॉस में जो भी प्रतियोगी जाते हैं उन्हें बिगबॉस में भाग लेने के लिए कुछ शर्तों को मानना होता है। जिसमें उन्हें शो में बताये गए फॉर्मेट के अनुसार चलना होता है। साथ ही मिडिया में क्या बोलना है और क्या नहीं ये सब उन्हें बताया जाता है जिसके अनुसार ही वो कोई भी बात बाहर कह सकते हैं। वो शो से संबंधित कोई भी बात भी बात जो शो के लिए निगेटिवली काम करेगी, वो उन बातों को शेयर नहीं कर सकते।
द ग्रेट खली ने कहा कि वो एक साल तक इसलिए नहीं बोले क्यूंकि उनके पैसे नहीं मिले थे और ऐसा करने पर शो वाले पैसे नहीं देते।
मेन्टल हेल्थ के लिए सही नहीं हैं ऐसे शोज
जो भी लोग बिगबॉस के बड़े फैन हैं उन्हें ये सुनकर काफी बुरा लग सकता है कि इस तरह के शो आप की हेल्थ के लिए सही नहीं है। दरअसल ये हम नहीं कह रहे बल्कि बहुत सी रिसर्च रिपोर्टों का दावा है कि ऐसे शोज सिर्फ देखने में मज़ेदार हो सकते हैं लेकिन दिमाग के लिए ये बेहद हानिकारक साबित होते हैं। इसका सीधा असर दर्शकों की मेन्टल हेल्थ पर पड़ता है। साइकोलॉजिकल और इमोशनल डैमेज का खतरा भी बढ़ जाता है। ये बातें उन्हें समझ नहीं आती लेकिन इसका दुष्प्रभाव दर्शकों के जीवन पर भी देखा जा सकता है।
बात करें मेन्टल हेल्थ की तो सिर्फ दर्शक ही नहीं बल्कि घर में रह रहे प्रतियोगियों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी इसका असर पड़ता है। ऐसे बहुत से कंटेस्टेंट्स हैं जिन्हे Big Boss House में रहते हुए कई बार पैनिक अटैक आये हैं। इसके अलावा कई बार शो से बाहर आने के बाद लोगों को मानसिक स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ा। जैसे कि Bigg Boss 17 के अनुराग डोभाल और Bigg Boss 13 के असीम रियाज़ , जिन्होंने साफ़ कहा है कि उन्हें घर के माहौल से स्ट्रेस और डिप्रेशन जैसी समस्या हो गयी थी।
डॉ. पवना कहते हैं, “बिग बॉस जैसे रियलिटी शो में प्रतियोगियों को अक्सर लंबे समय तक अलगाव, निरंतर जांच और तीव्र प्रतिस्पर्धा के कारण महत्वपूर्ण मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। गोपनीयता और समर्थन नेटवर्क की कमी के साथ प्रदर्शन करने का दबाव, प्रतिभागियों के बीच तनाव, चिंता और अवसाद को बढ़ा सकता है”
Bigg Boss के कुछ चौंकाने वाले तथ्य
बिग बॉस जैसे शो जिन्हे यूँ तो रियलिटी शोज होते हैं लेकिन देखा जाए तो ये भी एक तरह से पहले से ही निश्चित होते हैं। जैसे कि विजेता का चुनाव हो या किसे कबतक रखना है आदि सभी महत्वपूर्ण निर्णय प्रोडक्शन हाउस वाले ही करते हैं। हालाँकि ये सब बातें दर्शकों को नहीं बतायी जाती। साथ ही उसमें दर्शकों की वोटिंग भी बहुत अधिक मायने नहीं रखती।

बिगबॉस शो की बात करें तो ये वर्तमान में सबसे सस्ता मनोरंजन उपलब्ध करा रहे हैं जिसमें दो चीजों को भर भर के दिखाया जा रहा है। –
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Sadism : दूसरों को चोट पहुंचाकर और उनकी बेइज्जती करके मज़ा लेना। जो सुनकर ही बहुत बुरा है। उदाहरण के लिए –
- Bigg Boss 8 में गौतम गुलाटी पर हुए टार्चर टास्क तो याद ही होगा। जो काफी देखा गया था।
- Bigg Boss 9 में रतन को गोबर में नहाने का टास्क।
- Bigg Boss Season 7 में एक प्रतियोगी को कुत्ते के बर्तन में पानी पीने को कहा गया था।
- Bigg Boss 11 में हिना खान ने जब चुगली करते वक्त शिल्पा और अर्शी को आंटी कहा था।
- Bigg Boss OTT में जब जिया शंकर एलवीश यादव के पानी में हैंडवाश मिला देती है।
Voyeurism : दूसरों की निजी ज़िन्दगी में ताका झांकी करना और उसके मज़े लेना । Bigg Boss में भी आप ऐसा ही सबकुछ देख सकते हैं। 90 से ज्यादा कैमरा हैं जो सदस्यों के प्राइवेट मोमेंट्स को टीवी पर दिखाते हैं। हालाँकि कई बार प्रतियोगी ऐसा जान बूझकर भी दिखा सकते हैं। यहाँ घर के सदस्यों कहा जाता है कि वो अपने सीक्रेट्स टीवी पर बताये जिससे टीआरपी भी बढ़ेगी और उन्हें सिम्पथी भी मिलेगी।
परफॉरमेंस के नाम पर सदस्यों को किसी की बैक बाइटिंग, बॉडी शेमिंग आदि के लिए कहा जाता है।
ऐसे शोज खतरनाक है समाज के लिए ?
बात करें इस शोज (Bigg Boss) की कंटेंट की तो आप जानते ही होंगे की आप इसमें लड़ाइयां, गाली गलौच, हिंसा, बदतमीजी आदि देख रहे हैं। जो कि भले ही कुछ समय के लिए आप का ध्यान खींच रहे हों , कुछ देर के लिए मनोरंजन कर रहे हों लेकिन ये तब भी समाज को नुकसान ही पहुंचा रहे हैं। कोई स्वयं नहीं चाहेगा कि उसके घर में ये सब हो, लेकिन फिर भी इसे देखने वालों की संख्या में कमी नहीं है। आखिर क्यों खतरनाक हैं ऐसे शोज –
- गाली गलौच, लड़ाइयां और हिंसा का प्रदर्शन, बदतमीजी और अपशब्द आदि के चलते समाज में गलत मैसेज जा रहा है।
- नियमित रूप से इसे देखने से सभी के लिए ये सब नार्मल जैसा हो जाता है जबकि शो में ये सभी हरकतें किसी मकसद के लिए की जाती हैं। और इसका बाहर की दुनिया में कोई मतलब नहीं होता। बावजूद इसके शो में गलत आदतों और व्यवहारों को नॉर्मलाइज किया गया है।
- इसमें body shaming यानी किसी को उसके डील डॉल या शारीरिक बनावट पर कमेंट कसने की प्रवृत्ति भी दिखाई गयी है। जो कि बहुत गलत है और अप्रत्यक्ष रूप से इसे बढ़ावा मिल जाता है।
- टीआरपी के चककर में कई बार नैतिकता पूरी तरह से खत्म कर दी जाती है। जिसका बुरा प्रभाव पड़ता है।
- शो में आने वाले अधिकतर सदस्य पहले से ही दर्शकों के बीच पॉपुलर होते हैं, जिनके चलते उनके फैंस भी ये शो देखते हैं। लेकिन उस सदस्य को बिगबॉस के फॉर्मेट के अनुसार चलना होता है, जिससे कई बार उनके बुरे व्यवहार (या उसकी एक्टिंग ) का गलत प्रभाव उनके फैंस पर पड़ता है।
- Bigg Boss के अलग अलग देशों में कई वर्ज़न हैं। जिनके कंटेस्टेंट ने सुसाइड एटेम्पट करने की कोशिश की। हालाँकि उन्हें बचा लिया गया लेकिन कोरिया के एक कंटेस्टेंट को नहीं बचाया जा सका। दरसल इन सभी को ऐसे ही शोज के चलते mental health issues हो गए थे।
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