Bollywood Lyricists: 2-3 मिनट में लाखों की कमाई
Bollywood Lyricists: आज गुलजार जैसे गीतकार जो चलते-फिरते गीत लिख देते हैं, एक एक गीत के लिए 18 से 20 लाख रुपये लेते हैं जबकि आमतौर पर फिल्मी गीत मुश्किल से 2 से 3 मिनट के ही होते हैं। हालांकि यह बात नहीं है कि गुलजार ने बिना कुछ प्रूफ किए यह जगह हासिल कर ली है। उनके दर्जनों ऐसे गीत हैं जो संगीतप्रेमी भारतीयों के सिर चढ़कर बोल हैं- ‘मैंने तेरे लिए ही सात रंग के सपने चुने’ फिल्म आनंद, ‘तुम आ गए हो तो नूर आ गया है’ फिल्म आंधी, ‘आपकी आंखों में कुछ महके हुए से राज हैं’ फिल्म घर, ‘हुजूर इस कदर भी न इतरा के चलिए’ फिल्म मासूम। ये कुछ ऐसे गाने हैं जो हमें बताते हैं कि गुलजार दिलों में उतर जाने वाले गीतकार हैं।
जावेद अख्तर भी कुछ कम नहीं हैं जो इन दिनों एक गीत लिखने के लिए 15-16 लाख रुपये तक लेते हैं। उन्होंने भी बेहद लोकप्रिय गीत लिखे हैं जैसे- ‘तुमको देखा तो ये ख्याल आया’ फिल्म साथ साथ, ‘किसका है तुमको इंतजार मैं हूं ना’ फिल्म मैं हू ना, ‘हर पल यहां जी भरके जियो, जो है समा कल हो न हो’ फिल्म कल हो न हो, ‘पंक्षी नदिया पवन के झोंके, कोई सरहद इन्हें न रोंके’ फिल्म रिफ्यूजी, ‘एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा’ फिल्म 1942 ए लव स्टोरी। इन सारे मकबूल गीतों के गीतकार जावेद अख्तर ही हैं। जाहिर है वे बेहतरीन गीत लिखते हैं।

हर गीत का 10 लाख रुपये लेते हैं प्रसून जोशी
अगर तीसरे नंबर पर देखें तो इस समय सबसे ज्यादा करीब हर गीत का 10 लाख रुपये प्रसून जोशी लेते हैं। प्रसून जोशी पेशे से विज्ञापनों के कॉपी लेखक हैं लेकिन उन्होंने बॉलीवुड में अपनी छवि खास तरह के गीतकार के बनायी है। उन्होंने भी अपनी यह छवि ऐसे नहीं बना ली बल्कि अपने गीतों की लोकप्रियता के चलते ही बनायी है। उनके लिखे मशहूर गीतों में ‘सैया छेड़ देवे, ननद चुटकी लेवे, ससुराल गेंदा फूल’ फिल्म दिल्ली-6, ‘देखो इन्हें ये हैं
ओस की बूंदें, पत्तों की गोद में आसमां से कूदें, नाजुक से मोती हस दें फिसलकर, खो न जाएं ये तारे जमीं पर’ फिल्म तारे जमीं पर, ‘तेरे हाथ में मेरा हाथ हो, सारी जन्नतें मेरे साथ हों, तू जो पास हो फिर क्या ये जहां तेरे प्यार में हो जाऊं फना’ फिल्म फना। प्रसून जोशी के इन गीतों की लोकप्रियता बताती है कि वह कितने बेहतरीन गीतकार हैं। इरशाद कामिल और अमिताभ भट्टाचार्य इंडस्ट्री की क्रमशः चौथे और पांचवें मशहूर गीतकार हैं जो अपनी फीस आमतौर पर 7 से 8 लाख रुपये प्रतिगीत लेते हैं।
Read more: Underworld Don: कभी बॉलीवुड पर चलता अंडरवर्ल्ड का राज

पथरीली दीवार के भीतर कैद हैं नये गीतकार
इरशाद के हिट गानों में ‘ये इश्क हाय, बैठे बिठाये, जन्नत दिखाये, हो रामा…’ फिल्म जब वी मेट, ‘जग घूमेया थारे जैसा न कोई’ फिल्म सुल्तान। अमिताभ भट्टाचार्य के ‘बलम पिचकारी जो तूने मुझे मारी…’ फिल्म जवानी दीवानी, ‘अच्छा चलता हूं दुआओं में याद रखना, मेरे जिक्र का जुबां पे स्वाद रखना’ फिल्म चन्ना मेरेया। इन सब गीतकारों ने जाहिर है फिल्म संगीत पसंद करने वाले लोगों के दिलों के तार झनझना देने वाले गीत लिखे हैं,
इसमें कोई दो राय नहीं है। यह बात भी सच है कि अगर बॉलीवुड के दरवाजे सबके लिए आसानी से खुले हों तो दर्जनों नहीं बल्कि सैकड़ों ऐसे दूसरे गीतकार भी सामने आयेंगे जो इनसे भी बढ़िया गीत लिख सकते हैं लेकिन बॉलीवुड इस ग्लोबल विलेज के दौर में भी संपर्कों की एक ऐसी पथरीली दीवार के भीतर कैद है जहां उसी के लिए इसके दरवाजे खुलते हैं जिसके पास खुल जा सिमसिम की अचूक ताकत होती है। यही वजह है कि इस सोशल मीडिया के दौर में भी फिल्म इंडस्ट्री में महज मुट्ठीभर गीतकारों का कब्जा है और ये अपनी कम संख्या के कारण एक-एक गीत लिखने के इतने पैसे ले रहे हैं जितने पैसे में एक जमाने में छोटी-मोटी फिल्में बन जाया करती थीं।
Read more: Larger Then Life: भव्यता के स्तर पर हॉलीवुड को टक्कर देती देसी फिल्में

समीर जैसे गीतकार अपने शबाब पर थे
यही वजह है कि बॉलीवुड का बजट कितना भी बढ़ गया हो, फिल्मों की दुनिया कितनी भी विस्तारित कर गई हो, यहां गीतों की फसल महज कुछ मुट्ठीभर गीतकारों के हिस्से ही आती है। साहिर, शैलेंद्र और हसरत जयपुरी के जमाने में भी बहुत मुश्किल से इस दुनिया में आनंद बख्शी, अंजान और वर्मा, मलिक जैसे गीतकारों की एंट्री हो पायी थी। इसी तरह जब आनंद बख्शी और समीर जैसे गीतकार अपने शबाब पर थे तो वे भी बाहर से आने वाले नये गीतकारों के लिए बॉलीवुड के महावजनी पत्थर के दरवाजे सरीखे ही थे।
जैसे इन दिनों गुलजार, जावेद अख्तर, विशाल ददलानी, इरशाद कामिल, अमिताभ भट्टाचार्य और स्वानंद किरकिरे जैसे गीतकार बने हुए हैं। यही करण है कि जिस देश में लाखों लाख कवि हों, हजारों हजार गीतबद्ध कविताएं लिखी जाती हों, उस देश में कई लाख करोड़ वाली फिल्म इंडस्ट्री में ढंग के 20 गीतकार भी नहीं हैं क्योंकि पहले से जमे गीतकार नये गीतकारों को यहां घुसने ही नहीं देते। बहुत मशक्कत से ही कोई एकाध घुस पाता है।यही कारण है कि बॉलीवुड में हीरो के बाद हाल के सालों में दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा गीतकारों ने अपनी फीस बढ़ाई है।

सोशल मीडिया में हर दूसरा व्यक्ति कवि
कहते हैं सोशल मीडिया में सक्रिय हर दूसरा व्यक्ति कवि है। सोशल मीडिया से बाहर भी साहित्य की दुनिया में करीब करीब यही हाल है। हर साहित्यकार अपने साहित्य साधना की शुरुआत अमूमन कविताओं से करता है लेकिन कवियों की भरमार वाले इस देश में बॉलीवुड एक ऐसा बंद दरवाजा है जहां कुछ अपनी वजहों और कुछ अपनी सीमाओं के चलते तथा कुछ साजिशन इसका दरवाजा बंद कर लेने के कारण, यहां हमेशा महज मुट्ठीभर गीतकारों का दबदबा रहा है।
ऐसा नहीं है कि देश के कोने-कोने से बॉलीवुड की फिल्मों में गीत लिखने की हसरत लेकर यहां कवि आते नहीं। आते हैं लेकिन यह हैरान करने वाली प्रवृत्ति है कि बॉलीवुड में जो मुट्ठीभर गीतकार सक्रिय रहते हैं वे मिलकर इस दुनिया के दरवाजों को इतनी जोर से बाहरी गीतकारों के लिए बंद रखते हैं कि बहुत कोशिशों के बाद भी बाहर से आये गीतकार इस पत्थर की चाहरदीवारी में कैद बॉलीवुड में सिर पटकर मर जाते हैं लेकिन अंदर नहीं आ पाते। लाखों में कोई एकाध अंदर आ गया तो अंदर आते ही वह भी उसी रंग-ढंग में ढल जाता है जिस रंग-ढंग ने उसके अंदर आने के लिए पत्थर का दरवाजा बंद कर रखा था।
- Content Marketing : भारत में तेजी से बढ़ रहा है कंटेंट मार्केटिंग का क्रेज - January 22, 2025
- Black Magic Hathras: ‘काले जादू’ के नाम पर 9 वर्ष के बच्चे की बलि - January 18, 2025
- Digital Marketing: आपके व्यवसाय की सफलता की कुंजी ‘डिजिटल मार्केटिंग’ - January 18, 2025