Larger Then Life: खूबसूरत दृश्यों ने सिनेमा प्रेमियों को बांधकर रखा
सिनेमा के इतिहास में पूरी दुनिया में ऐसी सैकड़ों फिल्में बनी हैं जिनके पात्र, कहानी कहने का ढंग और जिनकी कहानियों के सेट ऐसे देखे भाले नहीं होते जो किसी के भी अनुभव से गुजरे हों। ऐसी फिल्मों को लार्जर दैन लाइफ फिल्में कहने का 20वीं सदी की शुरुआत से ही चलन रहा है। बॉलीवुड में भी ऐसी दर्जनों फिल्में बनी हैं जिनके बड़े-बड़े किरदारों, इनके भव्य सेट, कहानी कहने के ढंग और निःसंदेह एवरेस्ट जैसी ऊंचाइयों वाले अभिनय के कारण लोग इन्हें लार्जर दैन लाइफ कहते रहे हैं। सबसे ज्यादा इस संदर्भ के लिए फिल्मों के भव्य और आदमकद सेट याद किए जाते रहे हैं, जिन्हें देखकर दर्शक अभिभूत होते रहे हैं और समीक्षकों की जुबान से इनके लिए सहजता से लार्जर दैन लाइफ जैसा जुमला निकलता रहा है।
फिल्मों की सूची बड़ी लंबी है
अगर पैमाना लेकर ऐसी फिल्मों को ढूंढ़ने लगें तो बॉलीवुड में अब तक बनी ऐसी फिल्मों की सूची बड़ी लंबी हो जायेगी। यहां हाल के सालों में प्रदर्शित 2 ऐसी फिल्मों के सेटों की बात करेंगे जिनकी वजह से इन फिल्मों को कोई भी बेसाख्ता ‘लार्जर दैन लाइफ’ कहता रहा है। ऐसी 2 फिल्मों में हाल के सालों में आयीं सबसे आकर्षक और भव्य सेटों वाली पहली फिल्म ‘बाहुबली-1’ यानी बाहुबली द बिगनिंग और ‘बाहुबली-2’ यानी बाहुबली द कन्क्लूजन और संजय लीला भंसाली की ‘बाजीराव मस्तानी’ है।

पहली बात तो ये दोनों फिल्में भारत में अब तक बनी सबसे महंगी फिल्में हैं। इनके सेट बनाने में इतना पैसा खर्च किया गया जितने पैसे में छोटे बजट की कई फिल्में बनायी जा सकती थीं, खासकर ‘बाहुबली-1’ और ‘बाहुबली-2’ के सेटों की कीमत पर लेकिन ऐसा करना कोई समझदारी का सौदा नहीं होता क्योंकि इन दोनों फिल्मों के सेटों पर खर्च किया गया यह पैसा बेकार नहीं गया। बाहुबली फिल्म के इन सेटों की बदौलत बने खूबसूरत दृश्यों ने न सिर्फ सिनेमा प्रेमियों को बांध लिया बल्कि पहली बार हिंदुस्तानी सिने दर्शकों को यह एहसास हुआ कि वे अपने देश की इस फिल्म की भव्यता के स्तर पर हॉलीवुड की किसी भी फिल्म से तुलना कर सकते हैं।
ज्वार की फसल उगायी थी 20 एकड़ में
‘बाहुबली’ फिल्म की शूटिंग के लिए न सिर्फ हैदराबाद की एक विशाल स्टूडियो में पूरा माहिष्मती साम्राज्य साकार किया गया बल्कि उसके समूचे प्राकृतिक परिवेश को, यहां तक कि पहाड़ों, नदियों और प्राचीन तथा जटिल मूर्तियों की डिजाइन तक को सौ फीसदी ऑथेंटिक बनाया गया। यह अब तक का सबसे भव्य और ऑथेंटिक सेट था। इस फिल्म में भल्लदेव की 125 फुट ऊंची मूर्ति को 200 मूर्तिकारों ने मिलकर महीनों की मेहनत से बनाया था। मूर्ति का वजन 8000 किलोग्राम से ज्यादा था। इसे एक दो नहीं बल्कि चार क्रेन्स ने मिलकर खड़ा किया था। इस फिल्म में इतना बड़ा क्रू था जिसने इस आउटडोर स्टूडियो की 20 एकड़ से ज्यादा जमीन में ज्वार की फसल उगायी थी। बाहुबली का निर्माण और निर्माण के लिए की गईं सरंचनाओं की ऐसी कहानियां हैं जिन्हें आने वाले अनेक सालों तक लोग हैरानी से कहेंगे और सुनेंगे।
‘बाजीराव मस्तानी’ में युद्ध के मैदान का सेट

बाहुबली के पहले तक सबसे ज्यादा ऑथेंटिक और भव्य सेट के नाम पर बॉलीवुड में संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘बाजीराव मस्तानी’ की चर्चा होती थी। इस फिल्म के सेटों को भी भव्य और लार्जर दैन लाइफ सेट कहा जाता रहा है। निश्चित रूप से इस फिल्म की कामयाबी में दीपिका और रणबीर सिंह के द्वारा दिल खोलकर किये गए बिंदास अभिनय की बड़ी भूमिका थी लेकिन इस फिल्म में जिस तरह के युद्ध के मैदान के सेट लगाये गए थे वैसे सेट भारतीय दर्शकों ने हिंदी फिल्मों में इसके पहले कभी नहीं देखे थे। इस फिल्म में राजाओं के महल जिस भव्यता के साथ दर्शाये गए, वे भी इसके पहले तक महज कल्पना थी। ये अति यर्थवादी चित्रण था और दर्शक इसे देखकर अभिभूत हो गए थे। महाराष्ट्र के आस-पास के पुराने किलों के साथ जोड़कर बनाये गए बाजीराव मस्तानी फिल्म के सेट ऐसे अद्भुत सेट थे जिनमें कला और कल्पना सब कुछ बेजोड़ थी। यह इतना खूबसूरत और दर्शकों को अचंभित कर देने वाला था कि लोगों ने जब इस फिल्म को देखा तो बस देखते ही रहे गए।
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बिल्कुल अलग, दिलचस्प और रोमांचक
हालांकि कभी समीक्षक यह नहीं लिखते कि फिल्मों की कामयाबी में उनके सेट कितने महत्वपूर्ण होते हैं लेकिन अगर इस बात को ध्यान में रखकर हम बॉलीवुड के इतिहास की कई महान फिल्मों को देखें तो वे अपनी कहानियों, अभिनय की ऊंचाइयों और पटकथा की बारीकियों के चलते तो प्रसिद्ध हुईं ही, इनकी कामयाबी में इनके भव्य सेटों की भी बड़ी भूमिका थी। अगर किसी के लिए कहा जाए कि फलां व्यक्ति लार्जर दैन लाइफ है तो इसका मतलब है कि वह व्यक्ति बहुत अधिक ध्यान आकर्षित करने वाला है क्योंकि वह दूसरे तमाम लोगों से बिल्कुल अलग, दिलचस्प और रोमांचक है। ऐसा व्यक्ति भीड़ में बिल्कुल अलग दिखेगा, जिसे कोई भी नजरअंदाज नहीं कर सकता।
इस तरह हम समझ सकते हैं कि लार्जर दैन लाइफ जैसे मुहावरे का एक मतलब ऐसी विशिष्टता से है जिसका कोई दूसरा उदाहरण न हो या आमतौर पर न हो। हालांकि यह हमेशा सकारात्मक या तारीफ के अर्थ में ही नहीं होता यह नकारात्मक भी हो सकता है। जैसे किसी व्यक्ति की जरूरत से ज्यादा भारी आवाज हो, वह आम लोगों से कहीं ज्यादा गुस्सैल हो, वह ऐसी पोशाकें पहनता हो जिन्हें आम लोग पहनते हुए शर्म महसूस करें। मतलब यह कि लार्जर दैन लाइफ का अर्थ एक ऐसी विशिष्टता से होता है जिसके जैसे उदाहरण आमतौर पर ढूंढ़े नहीं मिलते। जब यही बात हम आम तौर पर फिल्मों के संबंध में करते हैं और अक्सर करते हैं तो इसका मतलब ऐसी फिल्मों से होता है जिनके किरदार, जिनके सेट, जिनकी कहानियां और जिनका अभिनय, हतप्रभ करने वाला हो।
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