Project Tiger – वेब सीरीज की होगी शूटिंग, केंद्र ने दी ‘प्रोजेक्ट चीता’ को मंजूरी
Project Tiger: अफ्रीका से लाए गए चीतों की बसाहट को लेकर चिंताओं के बीच, केंद्र ने ‘प्रोजेक्ट चीता’ पर चार-भाग की वेब सीरीज के फिल्मांकन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, ताकि ‘देश के प्रयासों को दुनिया के सामने प्रदर्शित किया जा सके।’ फिल्मांकन सितंबर में, संभवतः 17 सितंबर को ‘प्रोजेक्ट चीता’ की दूसरी वर्षगांठ के आसपास शुरू होगा। एनटीसीए के उप महानिरीक्षक वैभव चंद्र माथुर ने मध्यप्रदेश के मुख्य वन्यजीव वार्डन को लिखे पत्र में कहा कि कृपया मेसर्स शेन फिल्म्स और प्लांटिंग प्रोडक्शंस को मानक नियमों और शर्तों के अनुसार कूनो राष्ट्रीय उद्यान और गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में फिल्मांकन करने की सुविधा प्रदान की जाए, ताकि देश के प्रयासों को दुनिया के सामने प्रदर्शित किया जा सके।

170 देशों में होगी प्रसारित
राज्य के मुख्य वन्यजीव वार्डन ने प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। वेब सीरीज को डिस्कवरी नेटवर्क पर 170 देशों में विभिन्न भाषाओं में प्रसारित किया जाएगा। वेब सीरीज का उद्देश्य परियोजना की संकल्पना, चीतों को भारत लाने में आई कठिनाइयों, चीतों की स्थिति और भविष्य की अपेक्षाओं को उजागर करना है। इसका लक्ष्य लोगों को ‘इस विशाल परियोजना की बारीकियों को समझाना’ है। पूर्व में एनटीसीए और भारतीय वन्यजीव संस्थान के साथ तालमेल कर चुके वेब सीरीज बनाने वालों ने परियोजना के क्रियान्वयन के लिए 50 लाख रुपये की वित्तीय सहायता को लेकर मध्य प्रदेश पर्यटन और ‘एमपी टाइगर फाउंडेशन’ से भी संपर्क किया है। एक अधिकारी ने कहा कि वित्तीय सहायता संभव नहीं है, लेकिन हम निर्देशानुसार वेब सीरीज के फिल्मांकन के लिए पूरा सहयोग देंगे।
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जल्दबाजी पर उठे सवाल
वहीं भोपाल स्थित वन्यजीव कार्यकर्ता अजय दुबे ने ‘वृत्तचित्र’ बनाने की जल्दबाजी पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस परियोजना के सामने ‘कई चुनौतियां हैं, जिनका पहले समाधान किया जाना चाहिए।’ उन्होंने वेब सीरीज को फिल्माने की अनुमति देने की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाया और कहा कि रिकॉर्ड से पता चलता है कि चीता परियोजना संचालन समिति ने ‘इस मुद्दे पर कभी चर्चा नहीं की।’ इस समिति का गठन पिछले साल मई में परियोजना की प्रगति की निगरानी और समीक्षा करने तथा इसके क्रियान्वयन पर मध्यप्रदेश वन विभाग और एनटीसीए को सलाह देने के लिए किया गया था।

चीतों का एक नया जत्था लाने के प्रयास तेज
पिछले सप्ताह एक बैठक में, संचालन समिति ने देश के मध्य क्षेत्रों से मानसून की वापसी के बाद, जो आमतौर पर अक्टूबर के पहले सप्ताह तक होता है, चीतों और उनके शावकों को चरणबद्ध तरीके से जंगल में छोड़ने का फैसला किया। इस परियोजना की शुरुआत में चीतों की मौत के कारण आलोचना हुई थी। अधिकारियों के अनुसार, भारत ने वर्ष के अंत तक चीतों का एक नया जत्था लाने के प्रयासों में भी तेजी ला दी है, तथा जमीनी स्तर पर बातचीत के लिए एक प्रतिनिधिमंडल जल्द ही दक्षिण अफ्रीका का दौरा करेगा। केन्या के साथ भी बातचीत चल रही है, तथा एक समझौता ज्ञापन को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
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( कूनों में अब तक चीतों की स्थिति पर एक नजर )
– 20 चीते भारत लाए जा चुके हैं अब तक अफ्रीका से
– 08 सितंबर 2022 में नामीबिया से
– 12 चीते लाए गए फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से
– 03 चीतों की सेप्टीसीमिया से मौत हुई 13 अगस्त तक
– 01 चीता पवन मृत पाया गया जो खुले में घूमते था, मौत का प्राथमिक डूबना बताया।
– 17 शावकों का जन्म हुआ, जिनमें से 12 जीवित हैं
– 03 मादा और 05 नर समेत 8 वयस्क चीते मर चुके हैं भारत आने के बाद से
– 12-14 चीते लाने की बात कही गई है दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया और अन्य अफ्रीकी देशों से प्रतिवर्ष
– 20 चीतों को रखने की क्षमता पार हो चुकी है कूनो में पहले से ही
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