Pushpavalli: ‘संपूर्ण रामायणम’ से शुरु किया टॉलीवुड का सफर
Pushpavalli: क्या आपको पता है बॉलीवुड अभिनेत्री रेखा की मां पुष्पावल्ली भी तमिल और तेलुगू यानी टॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री की जानी-मानी हीरोइन रहीं हैं। पुष्पावल्ली ने 1936 में आई फिल्म ‘संपूर्ण रामायणम’ से अपने करियर की शरुआत की थी, जिसमें उन्होंने माता सीता की भूमिका निभाई थीं। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इस फिल्म के लिए उन्हें उस जमाने में 300 रुपये मेहनताना मिला था जो अपने आप में बहुत बड़ी रकम थी।
फिल्मों में अच्छे मौके मिलने के कारण पुष्पावल्ली ने पढ़ाई को बीच में ही छोड़ दी और फिल्मों के पैसे से ही वह अपने परिवार का भरण-पोषण करने लगी। उन्होंने उस जमाने में 20-25 तेलुगू और तमिल फिल्मों में बाल भूमिकाएं निभाई और कालांतर में कई फिल्मों में पुष्पावल्ली ने लीड रोल किया और बाद में ज्यादा सेकेंड लीड रोल में भी नजर आईं। उन्होंने 1940 में वी रंगाचारी नाम के एक वकील से शादी की थी। हालांकि दोनों की शादी ज्यादा समय तक नहीं चली और 1946 में वे अलग हो गे।
लेकिन रंगाचारी से शादी के बाद पुष्पावल्ली के दो बच्चे हुए थे। बाद में पुष्पावल्ली ने कई फिल्मों में काम किया, लेकिन उनकी 1942 में आई सबसे बड़ी हिट तेलुगू फिल्म बाला नागम्मा थी, जिसमें उन्होंने एक महत्वपूर्ण सहायक भूमिका निभाई थी। इसके बाद 1947 में आई फिल्म ‘मिस मालिनी’ में उन्होंने मुख्य भूमिका निभाई थी, इस फिल्म में उनके रोल को काफी सराहा गया था, लेकिन ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप साबित हुई थी।
शादीशुदा हीरों से हुआ था प्यार
‘मिस मालिनी’ साउथ के सुपरस्टार जेमिनी गणेशन की डेब्यू फिल्म थी। फिल्म की शूटिंग के दौरान ही जेमिनी-पुष्पावल्ली मिले और एक-दूसरे के करीब आ गए। जेमिनी को तमिल सिनेमा में ‘किंग ऑफ रोमांस’ के नाम से जाना जाता था। जेमिनी गणेशन का ऑन-स्क्रीन रोमांस जल्द ही वास्तविक जीवन के रोमांस में भी बदल गया। लेकिन उस वक्त जेमिनी गणेशन दो बार के विवाहित थे, उनकी पहली पत्नी अलामेलु थीं और दूसरी मशहूर अभिनेत्री सावित्री थीं।
बाद में उनकी दिलचस्पी पुष्पावली की ओर भी बढ़ने लगी थी। चूंकि जेमिनी गणेशन पहले से ही 4 बेटियों के पिता थे इसलिए वे सावित्री संग अपनी शादी को समाप्त करने और पुष्पावल्ली को अपनी पत्नी का दर्जा प्राप्त करने में झिझक रहे थे। जेमिनी शादीशुदा होते हुए भी वह पुष्पावल्ली के करीब आते चले गए। जेमिनी पुष्पावल्ली को सब कुछ देने के लिए तैयार थे, सिवाय अपने नाम के।
बिन ब्याही मां बनी थीं
पुष्पावल्ली शादी की चाहत से जेमिनी के पास आई थीं, लेकिन उनकी यह तमन्ना कभी पूरी नहीं हुई। दोनों के दो बच्चे हुए, जिनमें से एक भानुरेखा थीं, जो आज बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री रेखा के नाम से जानी जाती हैं। बचपन में रेखा को पिता का प्यार नहीं मिला इसलिए वह उनसे काफी नफरत भी करती थीं। पुष्पावल्ली बिन ब्याही मां बनी थीं। मां बनने के बाद वह फिल्मों से दूर होती चली गईं और उनका करियर खत्म हो गया।
‘बॉम्बे वाली बेटी’ के हाथों पिता को सम्मान
रेखा जब 13 साल की हुईं तो पुष्पावल्ली ने उन्हें पढ़ाई छोड़कर काम करने के लिए कहा था। वो चाहती थीं कि रेखा एक्टिंग कर अपने परिवार का सहारा बने, ऐसे में अभिनेत्री ने 14 साल की उम्र में अपना करियर शुरू कर दिया था। वहीं, पुष्पावल्ली का 1991 में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। पुष्पावल्ली की मौत के बाद जब जेमिनी को फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड मिला तो उन्होंने रेखा से अवॉर्ड लेते हुए कहा था कि उन्हें खुशी है उन्होंने अपनी ‘बॉम्बे वाली बेटी’ के हाथों से सम्मान मिला है। हालांकि रेखा और जेमिनी के रिश्ते कभी भी ज्यादा अच्छे नहीं रहे। जेमिनी के निधन के बाद रेखा आखिरी बार उन्हें देखने भी नहीं गई थीं।
रेखा की गुरु थीं उनकी मां
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एक इंटरव्यू के दौरान रेखा ने अपनी मां पुष्पावल्ली से जुड़ी की यादें शेयर कीं। उन्होंने कहा कि उनकी मां हमेशा कहती थीं कि मुझे ‘आंखों की चमक’ कभी नहीं खोनी चाहिए। रेखा ने बताया था कि मेरी मां मेरी गुरु थीं, वह इतनी दयालु महिला थीं कि वह एक देवी की तरह महसूस करती थीं। उन्होंने मुझे सज्जनता और प्रेम के साथ जीने की कला सिखाई। वह हमेशा कहती थी कि मुझे ‘आंख की चमक’ या ‘आंखों की चमक’ कभी नहीं खोनी चाहिए,
क्योंकि यह वह आनंददायक धारणा है जो किसी को एक छोटे से बीज की सुंदरता की सराहना करने के लिए प्रेरित करती है जो एक राजसी पेड़ में विकसित होता है। उन्होंने मुझे बुद्धिमानी से यह भी सलाह दी कि मैं जो पसंद करता हूं उसका अभ्यास करूं, न कि जो मैं उपदेश देता हूं। उन्होंने मेरे लिए मानक स्थापित किए क्योंकि मेरी मां बात पर खरी उतरीं।’
‘प्रामाणिकता ही कुंजी है’
रेखा ने बताया कि कैसे उनकी मां ने उन्हें सिखाया कि ‘प्रामाणिकता ही कुंजी है’। उनकी मां ने एक ऐसा घर बनाया जहां सूफी संगीत, उर्दू शायरी (कविताएं), चेट्टीनाड कला और साउथ इंडियन संस्कृति का जश्न मनाया जाता था। रेखा ने शेयर किया कि उनकी मां ‘सिंथेटिक्स, प्लास्टिक के बिना रहती थीं और शुद्ध जैविक कपड़े पहनती थीं’ और सौंदर्य के प्रति आराधना की यह भावना उनके साथ बनी रही।
अपने साथ बटुआ रखती थी मां
रेखा ने अपनी मां को याद करते हुए कहा जिस तरफ से वो अपने साथ पर्स की जगह बटुआ लेना पसंद करती हैं उसी तरह से उनकी मां भी अपने साथ बटुआ रखती थी। इस बटुआ में वो रुमाल, पैसे और अपने जरुरत की चीजें रखती थीं। उनकी मां इन सारी जरुरी चीजों के साथ साथ अपने बटुआ में इलायची रखती थीं इसलिए उनके बटुआ से हमेशा महक आती थी, जो दिल को काफी सुकून देती थी। इस खुशबू की वजह से रेखा हमेशा अपनी मां से पैसे मांगा करती थीं।
अभी भी संजोग के रखे हैं सिक्के
जब रेखा की मां उन्हें सिक्के देती थीं तो उनके जरिए वो महक रेखा के पास पहुंच जाती थी क्योंकि बटुए में रहने की वजह से सारे पैसे भी खुशबूदार हो जाते थे। रेखा ने कहा, आज भी वो सिक्के मैंने संजोग कर रखे है। भले ही वो खुशबू इतनी नहीं रही लेकिन मां का प्यार और यादें अभी भी उन्हें उन सिक्कों के जरिए आशीर्वाद देती है।’ अभिनेत्री रेखा का उनके पिता रामास्वामी गणेशन के साथ शुरू से ही बहुत खास रिश्ता नहीं था। यही वजह है कि वह अपने पिता का सरनेम तक अपने नाम से नहीं जोड़तीं।
रेखा ने अपने जीवन का अधिकांश समय अपनी मां पुष्पावल्ली के साथ ही गुजारा। साल 1991 में 65 वर्ष की आयु में रेखा की मां का निधन हो गया था। रेखा ने 12 साल की उम्र में बाल कलाकार के रूप में तेलुगु फिल्म इंति गुट्टू से अभिनय की दुनिया में कदम रखा। उनकी पहली हिंदी फिल्म 1970 में सावन भादों रिलीज हुई थी।
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