Financial Position – टिकाऊ सामान खरीदने पर लोगों का जोर
Financial Position: ब्याज दरें और महंगाई के घटने से शहरी परिवारों की वित्तीय स्थिति में तेजी से सुधार हुआ है। इसका अंदाजा शहरी उपभोक्ता धारणा सूचकांक से लगाया जा सकता है, जो लगातार दूसरे महीने बढ़कर अप्रैल में 108।8 पहुंच गया। यह एक साल में सबसे ज्यादा है। मार्च में यह 107.7 और फरवरी में 104.3 था। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी (सीएमआईई) के अनुसार, भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव से आगे धारणाओं को झटका लग सकता है। सीएमआईई के अनुसार मार्च-अप्रैल, 2025 में शहरी धारणाओं में अच्छी वृद्धि हुई है। शहरी परिवार अपनी वर्तमान आर्थिक स्थितियों को लेकर उत्साहित दिखे और भविष्य की संभावनाओं को लेकर भी आशावादी थे। महत्वपूर्ण यह है कि धारणाओं में उछाल व्यापक आधार पर है। किसी खास व्यवसाय समूह के परिवारों तक सीमित नहीं है। व्यवसाय में लगे शहरी, वेतनभोगी परिवार और छोटे व्यापारियों व दिहाड़ी मजदूरों के परिवारों की भी धारणाओं में वृद्धि हुई है।

निराशावादी परिवारों का अनुपात कम हुआ
वर्तमान आर्थिक स्थितियों का शहरी सूचकांक (आईसीसी) अप्रैल में 0.8 फीसदी और मार्च में 4.5 फीसदी बढ़ा था। तीन माह में शहरी आईसीसी में एक फीसदी गिरावट आई थी। आईसीसी परिवारों की वर्तमान आय के आकलन को बताता है। यह भी बताता है कि क्या यह उपभोक्ता टिकाऊ सामान खरीदने का सही समय है। आईसीसी फरवरी में 34.3 प्रतिशत से बढ़कर अप्रैल में 39.4 प्रतिशत हो गया। लोगों का मानना है कि उपभोक्ता टिकाऊ सामान खरीदने के लिए यह अच्छा समय है। ऐसे लोगों का अनुपात फरवरी में 32.2 प्रतिशत से बढ़कर अप्रैल में 36.7 प्रतिशत हो गया। इस अवधि में दोनों मामलों में निराशावादी परिवारों का अनुपात कम हुआ।
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42% परिवार आर्थिक रूप से होंगे बेहतर
अप्रैल में 42.2 प्रतिशत परिवारों ने माना कि उनका परिवार एक साल बाद आर्थिक रूप से बेहतर स्थिति में होगा। यह हालांकि, स्थिर आंकड़ा है। निराशावादी परिवारों का अनुपात मार्च के 5।1 प्रतिशत की तुलना में घटकर चार प्रतिशत से थोड़ा कम रह गया। इससे भविष्य की आय को लेकर शुद्ध आशावाद में वृद्धि हुई। यह आशावादी और निराशावादी परिवारों के बीच का अंतर है।

अपेक्षा सूचकांक में भी तेजी
शहरी उपभोक्ता अपेक्षा सूचकांक (आईसीई) भी मार्च-अप्रैल में बढ़ा है। मार्च में 2.4 फीसदी और अप्रैल में 1.3 प्रतिशत वृद्धि हुई। इसमें एक साल आगे की वित्तीय संभावनाओं के बारे में परिवारों की उम्मीदों व पांच साल आगे कारोबारी स्थितियों पर उनका नजरिया शामिल किया है। इसमें आशावादी शहरी परिवारों का अनुपात मार्च व अप्रैल में बढ़ा है। निराशावाद कम हुआ।
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भविष्य की उम्मीदों के प्रति उत्साह
मौजूदा आर्थिक स्थितियों और भविष्य की उम्मीदों को लेकर उत्साह सभी शहरी व्यावसायिक समूहों में है। शहरी भारत में रहने वाली एक तिहाई आबादी वेतनभोगी है। burx ग्रामीण उपभोक्ता धारणा सूचकांक 1.9 प्रतिशत गिरा है। अप्रैल में यह 111 पर चला गया जो दिसंबर में 111.9 के बाद का निचला स्तर है। मार्च में 114.1 और फरवरी में 112.8 था। और तेज गिरावट चिंता का विषय हो सकती है। हालांकि इस गिरावट का ग्रामीण लोगों की मौजूदा स्थितियों से कोई लेना-देना नहीं है। ग्रामीण परिवारों की अपने भविष्य को लेकर उम्मीदें लगातार दो महीनों से तेजी से आशावादी होती जा रही थीं, जबकि मौजूदा हालात नकारात्मक हो रहे थे।
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