Mutual Fund Loan : लोन के लिए ग्राहकों को आमंत्रित कर रहे बैंक
Mutual Fund Loan – भारत में निवेश के उपकरणों में म्यूचुअल फंड की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है। इस बीच, कर्ज के बाजार में भी म्यूचुअल फंड के बदले लोन लेने के चलन में भी तेजी से इजाफा हुआ है। पर्सनल और गोल्ड लोन के बाद लोग अब अपनी नकदी की जरूरतें पूरी करने के लिए म्यूचुअल फंड्स को गिरवी रखकर कर्ज ले रहे हैं। एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, बैंकों के पास म्यूचुअल फंड के बदले कर्ज की पूछताछ में 50 फीसदी का इजाफा हुआ है। इस तरह के कर्ज लेने के लिए ग्राहकों को लंबे समय से रखे अपने निवेश को बेचना नहीं पड़ता। यह रुझान ऐसे वक्त में बढ़ रहा है, जब बाजार उतार-चढ़ाव के दौर से गुजर रहा है और लोगों का म्यूचुअल फंड में किया गया निवेश भी घट रहा है।

बिना झंझट के आसानी से मिल रहा कर्ज
म्यूचुअल फंड को गिरवी रखकर कर्ज लेने के चलन का एक कारण डिजिटलीकरण है। गोल्ड लोन की तरह आपको व्यक्तिगत रूप से बैंक या गोल्ड लोन कंपनी के दफ्तर नहीं जाना होता है। लोगों को घर बैठे डिजिटल तरीके से मिनटों में बिना झंझट के आसानी से कर्ज मिल रहा है। इसका एक अहम कारण कम ब्याज दरें भी हैं। आमतौर पर बैंक या डिजिटल लोन देने वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) 9।5 से 12 फीसदी ब्याज पर म्यूचुअल फंड के बदले कर्ज मुहैया करा रही हैं, जो झटपट कर्ज के रूप में लोकप्रिय क्रेडिट कार्ड और पर्सनल लोन से काफी सस्ता है। कर्ज लेने वाले को 6 से 12 महीने के लिए उसके पास मौजूद म्यूचुअल फंड स्कीम के बाजार मूल्य का 50 से 60 फीसदी तक कर्ज मिल जाता है।
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बहुत जरूरी हो तभी लें कर्ज
म्यूचुअल फंड के बदले कर्ज लेना निवेश के सिद्धांत के बिल्कुल विपरीत है। कई लोग अपने नए निवेश के लिए भी म्यूचुअल फंड को गिरवी रख कर्ज लेते हैं। इस प्रथा से हमेशा ही परहेज करना चाहिए। अपने म्यूचुअल फंड निवेश के बदले कर्ज तभी लेना चाहिए, जब ऐसा करना जरूरी हो एवं कहीं और से पैसे का इंतजाम न हो। अगर जरूरत बहुत ही बड़ी हो, जैसे बच्चे की फीस का इंतजाम करना हो, शादी-विवाह जैसे खर्च हों या फिर अस्पताल में इलाज कराना हो, तो ऐसी परिस्थिति में इस विकल्प को अपनाया जा सकता है। अगर आपके पास फिक्स डिपॉजिट या फिर राष्ट्रीय बचत पत्र जैसे विकल्प हों तो इसका लाभ भी ले सकते हैं। बैंक एफडी पर प्रचलित ब्याज दर के ऊपर 2 या 3 फीसदी अतिरिक्त दर पर कर्ज मुहैया कराते हैं।

बाजार में बने रहने का मौका
म्यूचुअल फंड के बदले कर्ज लेने से निवेशक को बाजार में बने रहने का मौका मिलता है। इससे एक ओर जहां वह अपने पास मौजूद फंड से छह महीने से एक साल की अवधि में कर्ज को चुका भी सकता है, दूसरी ओर शेयर बाजार में सुधार होने या ऊपर जाने पर अपने यूनिट्स बेच सकता है। बैंक चूंकि निवेश मूल्य के 50 से 60 फीसदी पर ही कर्ज दे देते हैं, ऐसे में उसके पास भी शेयर बाजार की गिरावट में गिरवी रखे फंड के डूबने के खिलाफ पर्याप्त सुरक्षा उपलब्ध होती है।

कंपनियां भी इसलिए दे रही हैं जोर
शेयर बाजार बीते कुछ महीने में बड़ी और लंबी गिरावट देख चुका है। बाजार में गिरावट का असर म्यूचुअल फंड पर भी पड़ा है और नेट असेट वैल्यू (एनएवी) लगातार टूट रही है। इस नुकसान के बीच लोग अपनी एसआईपी (सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) बंद कर रहे हैं, तो कुछ निवेशक निवेश पर कमाए लाभ को डूबने से बचाने के लिए फंड की राशि निकाल भी रहे हैं। म्यूचुअल फंड कंपनियों के लिए गिरते बाजार में यह दोहरा संकट है।
इसे देखते हुए फंड हाउस और बैंक म्यूचुअल फंड की यूनिट बेचने के बजाय इसके बदले कर्ज लेने को प्रोत्साहित कर रहे हैं। बाजार में अस्थिरता के बावजूद एसआईपी में दिसंबर से फरवरी के बीच कुल 78,858 करोड़ रुपये का निवेश आया है। हालांकि, दिसंबर और जनवरी की तुलना में फरवरी में एसआईपी के जरिये निवेश में मामूली गिरावट दर्ज की गई है।