Pakistan Faces Water Crisis – भारत के बाद अफगानिस्तान ने किया जल प्रहार
Pakistan Faces Water Crisis आतंकवादियों का पनाहगाह बनना अब पाकिस्तान को सताने लगा है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की ओर से सिंधु जल संधि रद्द किए जाने के बाद अब अफगानिस्तान ने भी जल प्रहार करते हुए नदियों के जरिए पाकिस्तान जाने वाले पानी को रोकने का ऐलान कर दिया है। अफगानिस्तान के इस ऐलान के बाद पाकिस्तान को खैबर पख्तूनवा इलाके में पीने के पानी के लिए सालाना करीब 2,250 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे। हालांकि, अफगानिस्तान ने जिन नदियों का पानी रोका है, उससे न केवल पीने के पानी, बल्कि सिंचाई के लिए भी उसका इस्तेमाल किया जाता है। अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच कई साझा नदी बेसिन हैं, जो पाकिस्तान की जल सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं।

हिंदू कुश पहाड़ों से निकलती काबुल नदी
यह अफगानिस्तान में हिंदू कुश पहाड़ों से निकलती है और पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में प्रवेश करती है। यह नदी पेशावर, नौशेरा और अटक जैसे क्षेत्रों में कृषि और जलापूर्ति का प्रमुख स्रोत है। काबुल नदी सिंधु नदी में मिलती है। वहीं कुनर नदी काबुल नदी की एक सहायक नदी, जो अफगानिस्तान से शुरू होकर पाकिस्तान में बहती है। यह नदी खैबर पख्तूनख्वा के निचले भागों के कृषि क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण है।
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9 नदी बेसिन साझा
अफगानिस्तान और पाकिस्तान 9 नदी बेसिन साझा करते हैं, जिनमें गोमल नदी (जो दक्षिण वजीरिस्तान में बहती है), पिशिन-लोरा, कंधार-कंद, कदनई, अब्दुल वहाब धारा, और कैसर नदी शामिल हैं।ये सभी बलूचिस्तान में सिंधु बेसिन का हिस्सा बनती हैं।पाकिस्तान को पानी देने के लिए बांध का निर्माण और भारत की भूमिका अफगानिस्तान ने अपनी नदियों पर बांध बनाने की योजनाओं को तेज किया है, जिसमें भारत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

शहतूत बांध परियोजना
यह काबुल नदी पर बनाया गया है। भारत ने इस परियोजना के लिए 236 मिलियन डॉलर की वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान की है। यह बांध अफगानिस्तान की राजधानी काबुल और लगभग 20 लाख लोगों के लिए साफ पेयजल उपलब्ध कराएगा, साथ ही सिंचाई और बिजली उत्पादन में भी मदद करेगा। अफगानिस्तान ने कुनर नदी पर भी बांध बनाने की योजना बनाई है। तालिबान के एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी जनरल मुबीन ने हाल ही में कुनर क्षेत्र का दौरा किया और पानी रोकने के लिए बांध निर्माण की वकालत की। उन्होंने कहा यह पानी हमारा खून है, इसे बहने नहीं देंगे। सलमा बांध परियोजना पहले ही पूरी हो चुकी है, जिसमें भारत ने तकनीकी और वित्तीय सहायता दी। यह बांध हरि नदी पर बना है और अफगानिस्तान को बिजली और सिंचाई के लिए पानी प्रदान करता है, लेकिन इसका प्रभाव पाकिस्तान तक नहीं है।
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अफगानिस्तान का पानी रोकने पर क्या होगा?
अफगानिस्तान द्वारा पानी रोकने का निर्णय पाकिस्तान के लिए गंभीर परिणाम ला सकता है। खासकर, पाकिस्तान की जल आपूर्ति और कृषि इन नदियों पर निर्भर है। काबुल और कुनर नदियां खैबर पख्तूनख्वा और अन्य क्षेत्रों में कृषि के लिए जीवनरेखा हैं। पानी रुकने से खरीफ फसलों के लिए पानी की कमी हो सकती है। एक अनुमान के अनुसार, पाकिस्तान को खरीफ फसलों के लिए 21% पानी की कमी का सामना करना पड़ सकता है। पाकिस्तान के कई शहर जैसे पेशावर और नौशेरा काबुल नदी के सतही पानी पर निर्भर हैं। पानी की आपूर्ति बंद होने से इन क्षेत्रों में पेयजल संकट गहरा सकता है। तरबैला बांध जैसे जलविद्युत प्रोजेक्ट्स पानी की कमी से प्रभावित होंगे, जिससे बिजली उत्पादन में कमी आएगी और औद्योगिक गतिविधियां प्रभावित होंगी। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में कृषि का बड़ा योगदान है। पानी की कमी से फसल उत्पादन प्रभावित होगा, जिससे खाद्य सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता पर संकट आ सकता है।