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Reading: Blue veins: नीले रंग की मकड़ीनुमा नसें बड़ा खतरा
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सेहत

Blue veins: नीले रंग की मकड़ीनुमा नसें बड़ा खतरा

WeStory Editorial Team
Last updated: 2024/04/01 at 5:18 PM
WeStory Editorial Team
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5 Min Read
Blue veins
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Blue veins: वेरीकोस वेन्स की शिकार हो रही हैं टांगें

आजकल लोगों में टांगों में उभरने वाली नीले रंग की मकड़ीनुमा नसों को लेकर चिन्ता बढ़ रही है। जिस रफ्तार से हम लोग आरामतलबी व विलासितापूर्ण जीवनशैली को अपना रहे हैं, उसी रफ्तार से हमारी टांगें वेरीकोस वेन्स की शिकार हो रही हैं। शुरुआती दिनों में हम लोग स्वभावत: इसको नकारते हैं, लेकिन जब तकलीफ ज्यादा बढ़ जाती है, तो इधर-उधर परामर्श लेना शुरू कर देते हैं। इस तरह के इलाज का अन्ततः परिणाम टांगों में काला रंग व लाइलाज घाव के रूप में होता है।

Table of Contents
Blue veins: वेरीकोस वेन्स की शिकार हो रही हैं टांगेंदुकानदार, महिलाएं ज्यादा पीड़ितरोग को ऐसे पहचानेंआरामतलबी बनाए बीमारखुद रोक सकते हैंघाव दिखे, तो लेजर व आरएफए तकनीक मुफीद

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Blue veins
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दुकानदार, महिलाएं ज्यादा पीड़ित

वेरीकोस वेंस की सबसे ज्यादा शिकार दुकानदार व महिलाएं होती हैं। कम्प्यूटर के सामने व आफिस में घंटों बैठने वाले लोग, पांचसितारा होटलों में काम कर रहे लोग, लम्बे समय तक लगातार खड़े रहने वाले वेरीकोस वेन्स के प्रकोप से बच नहीं पाते हैं। ट्राफिक पुलिसमैन, प्रयोगशालाओं में कार्यरत वैज्ञानिक, न्यायपालिका के सदस्य व वकील भी वेरीकोस वेन्स से अछूते नहीं हैं। शिक्षक समुदाय में भी यह समस्या तेजी से फैल रही है।

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Blue veins
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रोग को ऐसे पहचानें

अगर टांगों या पैर में मकड़ीनुमा उभरी हुई नीले रंग की नसें त्वचा पर दिख रही हैं या काले रंग के निशान व काले रंग के चकत्ते या बिन्दियां दिखायी पड़ रही हैं, तो सचेत हो जाएं। ये वैरिकोस वेन्स के लक्षण हैं। अगर थोड़ा चलने के बाद आपके पैरों में सूजन या थकान या हल्का दर्द महसूस होने लगे, तो आप समझ जाइए कि आप वेरिकोस वेन्स के शिकार होने लगे हैं। चलने के बाद टांगों में थोड़ा लाली व उभरी हुई नीले रंग की नसें भी इसके लक्षण हैं।

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Blue veins
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आरामतलबी बनाए बीमार

आरामतलबी वाले ऐसे लोग जो चलना-फिरना या सैर करना पसंद नहीं करते, वे इस समस्या के शिकार हो जाते हैं। दरअसल टांगों की मांसपेशियों को ऑक्सीजन सप्लाई करने के बाद खून ऑक्सीजन रहित व गन्दा हो जाता है। यह खून तभी दोबारा से सप्लाई करने लायक बनेगा जब पुनः इसमें ऑक्सीजन डाली जाए। इसके लिए ज़रूरी है कि पैर में इकट्ठा हुआ यह गन्दा खून दिल के ज़रिये फेफड़े तक पहुंचे। फेफड़े में फिर से ऑक्सीजन प्राप्त करके सर्कुलेशन में आए और आर्टरी के जरिये फिर से पैरों को शुद्ध रक्त पहुंचे। अगर किसी भी कारण से यह प्रक्रिया रुक जाएगी, तो सोयी हुई वेन्स, गन्दे खून से भरना शुरू हो जाएंगी और फूलने के कारण खाल के नीचे उभरी हुई मकड़ी के जाले की तरह दिखने लगेगी। यही वेरिकोस वेन्स की शुरुआत है।

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Blue veins
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खुद रोक सकते हैं

  1. – रोज सुबह व शाम एक-एक घंटे पार्क में टहलें।
  2. – पैरों को कुर्सी से एक घंटे से ज्यादा न लटकाएं।
  3. – लगातार एक घंटे से ज्यादा न खड़े रहें।
  4. – वजन को नियंत्रण में रखें, ज्यादा है, तो घटाएं।
  5. – चलते वक्त एक विशेष किस्म की क्रमित दबाव वाली जुराबों को पहनें।
  6. – हर दो महीने में वैस्क्युलर सर्जन से परामर्श करें।
Blue veins
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घाव दिखे, तो लेजर व आरएफए तकनीक मुफीद

पैरों पर काले निशान व चकत्ते उभर आएं और सूजन व लाली बनी रही या फिर घाव उभरने लगे, तो सर्जरी या लेजर या आरएफए तकनीक का सहारा लें। वेरिकोस वेन्स को टांग से बाहर निकालने का काम सर्जरी का है और टांग के अन्दर ही अन्दर खत्म कर देने का काम लेजर तकनीक का है। लेजर तकनीक में मरीज को बेहोश नहीं करना पड़ता। खाल में कट नहीं लगाने पड़ते और न ही टांके कटवाने की जरूरत पड़ती है। एक दिन में ही मरीज घर जा सकता है। आरएफए तकनीक में कोई सर्जरी नहीं करनी होती और न ही टांगों की खाल में कोई कट लगाना पड़ता है। आरएफए उपचार के बाद मरीज अगले दिन से अपने आफिस या काम पर जाना शुरू कर देता है। यह तकनीक लेज़र की तुलना में थोड़ा बेहतर है।

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