Cervical Cancer: 90% लड़कियों को 2030 तक दी जाएगी वैक्सीन
Cervical Cancer: विश्व के हर देश से सर्वाइकल कैंसर की दर घटाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वैश्विक योजना बनाई है, भारत समेत विश्व के 194 देश सर्वाइकल कैंसर के खात्मे के लिए साथ काम करेंगे। विश्व स्वास्थ्य संगठन का लक्ष्य 2050 तक सर्वाइकल यानी गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के 40% तक नए मामलों को घटाना है और 5 लाख मौतों को कम करना है।
सर्वाइकल कैंसर खत्म करने के लिए इसकी वैक्सीन, स्क्रीनिंग और ट्रीटमेंट पर ज्यादा फोकस किया जाएगा, 194 देशों में 15 साल की उम्र वाली 90% लड़कियों को 2030 तक वैक्सीन दी जाएगी ताकि इस कैंसर की वजह बनने वाले एचपीवी को रोका जा सके। वहीं दुनिया के सर्वाइकल कैंसर के मामलों का लगभग 5वां हिस्सा भारत में है।
हर साल लगभग 1.25 लाख नए मामले और 75,000 मौतों के साथ भारत में महिलाओं में स्तन कैंसर के बाद सर्वाइकल कैंसर दूसरा सबसे आम कैंसर है। लगभग 83 प्रतिशत सर्वाइकल कैंसर के मामलों का कारण एचपीवी 16 या 18 है। देश में सर्वाइकल कैंसर के मामलों पर बारीकी से केंद्र सरकार नजर रख रही है और राज्यों और विभिन्न स्वास्थ्य विभागों के साथ नियमित संपर्क में है। शुरुआत में ही अगर बीमारी पकड़ में आ गई, तो इससे पूरी तरह ठीक हुआ जा सकता है।

भारत में इसकी वैक्सीन है, लेकिन अभी ये सिर्फ 9 से 26 साल की लड़कियों के लिए है। दुनिया में होने वाले हर 5 सर्वाइकल कैंसर के मरीजों में से एक भारत में हैं और पूरे एशिया में भारत में सबसे ज्यादा महिलाऐं इस बीमारी की चपेट में हैं। लांसेट की स्टडी के मुताबिक चीन का नंबर भारत के बाद आता है। इसके अलावा दुनियाभर में 2022 में सर्वाइकल कैंसर के कुल 6 लाख 4 हजार 127 मामले दर्ज हुए जिनमें से तकरीबन 21 प्रतिशत केस भारत के थे।
बचाव के लिए HPV वैक्सीन मौजूद
सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए अभी बाजार में ह्यूमन पैपीलोमावायरस यानी एचपीवी वैक्सीन मौजूद है, हालांकि, इसकी कीमत अभी काफी ज्यादा है, उम्मीद की जा रही है कि बड़े पैमाने पर टीकाकरण होने पर इसकी कीमत काफी कम हो सकती है। अगले वित्तीय वर्ष के लिए अंतरिम बजट में भी इसका जिक्र है। इसके लिए केंद्र सरकार 9-14 वर्ष आयु वर्ग की लड़कियों के लिए ह्यूमन पैपिलोमावायरस (एचपीवी) टीकाकरण अभियान दूसरी तिमाही से शुरू करने के लिए तैयार है।
यह अभियान तीन वर्षों में तीन चरणों में योजनाबद्ध तरीके से चलाया जाएगा। हालांकि यह अभियान शुरू करने से पहले सरकार पहले चरण के लिए आवश्यक वैक्सीन की 6 से 7 करोड़ खुराक का स्टॉक जमा कर लेना चाहती है। सर्वाइकल कैंसर के अलावा यह टीका एचपीवी स्ट्रेन से भी सुरक्षा प्रदान करता है जो एनस, वेजिना और ऑरोफरीनक्स कैंसर का कारण बनते हैं।
देशभर में चलाया जाएगा टीकाकरण अभियान
विश्व स्वास्थ्य संगठन की कम से कम 70 फीसद महिलाओं के परीक्षण करवाने की सिफारिश के बावजूद भारत में महिलाओं की सर्वाइकल कैंसर की जांच दर का राष्ट्रीय औसत महज 1 फीसद है। मुंह और स्तन कैंसर के लिए भी जांच की गई महिलाओं की हिस्सेदारी इसी दर के आसपास बनी हुई है। हालांकि कई दक्षिणी राज्यों और पूर्वोत्तर के चुनिंदा राज्यों में अधिक महिलाओं का परीक्षण करने में पहल दिखाई है।
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सर्वाइकल कैसर महिलाओं को गर्भाशय में होता है, सरकार जल्द 9-14 आयु वर्ग की लड़कियों के लिए 2024 की दूसरी तिमाही में एचपीवी टीकाकरण अभियान शुरू करेगी। केंद्र सरकार ने अंतरिम बजट के दौरान एलान किया था कि देश में 9-14 साल की बालिकाओं का मुफ्त टीकाकरण किया जाएगा, देश में सर्वाइकल कैंसर के हर साल करीब 1.25 लाख मामले सामने आते हैं। ये बीमारी हर साल करीब 75 हजार लोगों की जान ले लेती है।

सरकार द्वारा देश में बालिकाओं को मुफ्त टीका लगाया जाएगा। देश में 9-14 साल की बालिकाओं की संख्या लगभग 8 करोड़ है, टीकाकरण अभियान देशभर के स्कूलों में चलाया जाएगा। जून 2022 में, टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह ने 9-14 आयु वर्ग की किशोरियों के लिए सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम के तहत एचपीवी टीके की एक खुराक देने की सिफारिश की थी।
भारत में जांच दर सबसे कम
2019-21 तक भारत में गर्भाशय ग्रीवा, स्तन और मुंह के कैंसर की जांच करने वाली महिलाओं की हिस्सेदारी क्रमशः 1.2, 0.6 और 0.7 प्रतिशत थी। इसके विपरीत, स्वीडन, आयरलैंड, अमेरिका और ब्रिटेन जैसी उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में सर्वाइकल कैंसर की जांच कराने वाली महिलाओं की हिस्सेदारी 70 फीसद से अधिक थी। रूस 93 फीसद जांच के साथ सूची में सबसे आगे है। उसके बाद ब्राज़ील में 58 फीसद और दक्षिण अफ़्रीका 52 प्रतिशत हैं।
तमिलनाडु में 7 प्रतिशत महिलाओं ने गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर और 3.8 प्रतिशत ने स्तन कैंसर के लिए जांच करवाई, जो पूरे राज्य में दोनों प्रकार के कैंसर में सबसे अधिक है। केरल, मिजोरम, मणिपुर और महाराष्ट्र ने भी इन दो कैंसर की जांच का आंकड़ा 1 प्रतिशत से अधिक रहा है। आंध्र प्रदेश में 5 प्रतिशत महिलाओं ने मुंह के कैंसर के लिए जांच कराई, जो पूरे राज्य में इस प्रकार के कैंसर के लिए सबसे अधिक है। दूसरी ओर बंगाल में किसी भी प्रकार के कैंसर के लिए केवल 0.1 प्रतिशत महिलाओं की जांच की गई, जो भारत में सबसे कम है। गुजरात ने भी 0.2 प्रतिशत के साथ खराब प्रदर्शन किया।
सबसे ज्यादा मौत अफ्रीका देश में हुई
वर्ल्ड कैंसर रिसर्च फंड के मुताबिक साल 2020 में सर्वाइकल कैंसर से सबसे ज्यादा मौत अफ्रीका के एक छोटे से देश इस्वातिनी में हुई है। राजशाही वाला इस्वातिनी एक विकासशील देश है। जिसे निम्न मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्था के तौर पर देखा जाता है। पिछले साल यानी 2023 में इस देश की आबादी 12 लाख थी। जिसमें से ज्यादातर लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं। इस देश में महज एक चौथाई लोग ही शहरी क्षेत्रों में रहते हैं।
आंकड़ों के अनुसार साल 2020 में सर्वाइकल कैंसर से इस देश में 341 महिलाओं ने अपनी जान गवा दी थी। ज्यादातर मामलो में देखा गया है कि यौन संबंध बनाते समय सफाई के अभाव में ये कैंसर जन्म लेता है। अमेरिकन सोसायटी के मुताबिक 2024 में अमेरिका में सर्वाइकल कैंसर के लगभग 13,820 नए मामले आने की संभावना जताई जा रही है। वहीं अनुमान है कि इससे 4,360 महिलाओं की मौत हो सकती है। ऐसे में सर्वाइकल कैंसर दुनियाभर में होने वाला चौथा आम कैंसर बन गया है। वहीं भारत की बात करें तो हमारे देश में ये महिलाओं को होने वाला दूसरा आम कैंसर बन गया है। हालांकि इसका सबसे ज्यादा शिकार ज्यादातर अफ्रीकी देश हो रहे हैं।

निम्न और मध्यम आय वाले देश सबसे ज्यादा शिकार
सर्वाइकल कैंसर से होने वाली मौतों में सबसे ज्यादा शिकार निम्न और मध्यम आय वाले देश हो रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार सर्वाइकल कैंसर से होने वाली 3,42,000 मौतों में 90 प्रतिशत महिलाएं निम्न और मध्यम आय वाले देशों से थीं। अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के मुताबिक इस कैंसर से मरने वाली महिलाओं में श्वेत महिलाओं की तुलना में अश्वेत महिलाओं की संख्या लगभग 65 प्रतिशत ज्यादा है।
क्यों होता है सर्वाइकल कैंसर
सर्वाइकल कैंसर की वजह HPV है, एक से अधिक पार्टनर के साथ संबंध बनाने पर इस वायरस के संक्रमण का खतरा रहता है, पेट का अल्ट्रासाउंड कराकर इसकी जांच कराई जा सकती है। सर्वाइकल कैंसर होने पर जननांग में संक्रमण हो जाता है, अगर समय पर इस पर ध्यान चला जाए तो इसका इलाज किया जा सकता है, लेकिन देर होने पर या संक्रमण फैलने पर इससे मौत हो सकती है।
लक्षण
सर्वाइकल कैंसर होने में सालों का समय लग जाता है, इसलिए शुरुआत में इसके लक्षण नहीं दिखाई देते हैं, सर्वाइकल कैंसर होने पर आमतौर पर जननांग से ब्लीडिंग ज्यादा होती है, सर्वाइकल कैंसर होने पर वजन कम होना, पैरों में सूजन जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, शुरुआत में ही अगर बीमारी पकड़ में आ गई, तो इससे पूरी तरह ठीक हुआ जा सकता है।
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